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कविता

कबिता : नवा साल म

Budhram_Yadav

 सुकवि बुधराम यादव के रचना  “डोकरा भइन कबीर ” (डॉ अजय पाठक के मूल कृति “बूढ़े हुए कबीर” का छत्तीसगढ़ी भावानुवाद ) के एक ठन बड़ सुघर रचना-
newyear

नवा साल म 

सपना तुंहर
पूरा होवय, नवा साल म !
देस दुवारी म सुरुज बिकास  बरसावय
संझा सुख सपना के मंगल गीत सुनावय
अक्षत रोली
दीया अउ चंदन, लेहे थाल म!
कल्प रुख म नवा पात मन सब्बर दिन उल्होवंय
सकल मनोरथ फल सिरजे बर भुइंया उरबर होवय
फूल फुले होवंय
रुखुवा के सब डगाल म!
 लइकन मन के चेहरा म मुसकान ह छावय
अउ सरलगहा नवा सरग के कती उड़ावंय
झन सब उलझंय
दुरमति मन के कुटिल चाल म !
डर भय ले दुरिहा धरती अउ रहय गगन ह
नदिया परिपूरन, परदूबन परे पवन ह
समता के उत्तर ह
समावय हर सवाल म !
 बुधराम यादव, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
  09755141676