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घर तीर के रुखराई जानव दवई : बेरा के गोठ




हमर पुरखा मन आदिकाल ले रुख राई के तीर मा रहत अऊ जिनगी पहात आवत हे। मनखे ह जनमेच ले जंगलीच आय। जंगल मा कुंदरा मा रहे।रुख राई बिन ओखर जिनगी नई कटय। हजारो बच्छर बीत गे , मनखे अपन मति ल बऊर के जंगल ले निकल के सहर बना डरिस फेर रुख राई के मोहो ल नई तियाग सकिन।घर मा फुलवारी बनाके जीयत हे। आज गांव अऊ सहर घर ,अरोस परोस म गजबेच रुख राई के दरसन परसन होथे।बर, पीपर, आमा, अमली, लीम, लिमऊ, जाम ( बीही), चिरईजाम ( जामुन), कटहर,मुनगा,पपीता,केरा अऊ नानम परकार के नान्हे बड़े रुखराई तीर खार म रहिथे।बेदपुरान मा बताय रद्दा ल धरके मनखे रुख राई मा देबी देवता के वासा अउ भगवान मानके पूजा पस्ट करथे।रुखराई ले आरूग हावा, दानापानी, अउ नानम परकार के जिनिस मिलथे।ऐला बिग्यानिक मन परमानित करे हावय।हमर घर, बारी–बखरी तीर तखार के ये रुख राई मन सिरीफ फर,फूल,लकड़ी,छंईहाच भर नई देवय ये हा डाक्टर अऊ बईद के बुता घलाव करथे।आज मनखे लईका,जवान,सियान,दाई,माई, बेटी महतारी सबोच कोई न कोई नान्हे बड़का रोगराई ल धरे हे।ऐकर निदान रुखराई म हावय।जौन ल रोजीना देख के हमन अपन आंखी मुंद लेथन ऊही रुख राई के पाना,फूल,फर,जर,डारा, छोलटा ह दवई आय।
आवव जानन कोन कोन रुख राई हमर दवई बनथे।

1.आंवरा–ऐलाआयुरबेद अमरित फर मानथे।ऐहा बिटामिन “सी” के खदान आय।ऐहा कसहा होते।ऐकर रसा आंखी के जोत बढ़ाय बर रामबान आय।ऐकर खायले हाजमा बने होथय।पेट म गैस बनन नई देवय।एखर खाय ले जवान अऊ बुढ़वा ल ताकत मिलथे।हर्रा बहेरा संग मिंझार के तिरफला बनाय जाथे।चुंदी घलो पढ़ाते।आंवरा ल कइसनो खाय मा फायदा मिलथे।

2. आमा–आमा के दुसर नाव देवफर, राजाफर, आरुगफर (पवित्रफल) हावय।ऐकर पाना, छोलटा,डारा ,फर ,सबो पूजा पाठ म बऊरे जाथे।आमा घलो नानम परकार के रोग राई के दवई आय ।जौन मनखे म लहू कमती हे ओहा आमा खाय ,ये ह लहू बढ़ाते ।पक्का आमा ल दूध संग पीये ले थकासी मेटाथे अउ नवा ऊरजा लानथे।रोग राई ल रोके के ताकत (रोग प्रतिरोधक) बढ़ाथे।गरमी मा ऐकर पना बना के पीये ले लू नइ लगय।

3. लीम–लीम ल गांव के दवई दुकान (दवाखाना) कहे जाथे।ऐकर सुवाद करु रहिथे फेर लाख पीरा के एक दवई लीम आय।रोजीना बिहिनिया ले लीम के दतोन करेबर हमर पुरखा मन सिखोय रहिस फेर फेसन ह ब्रस धरादिस अउ मसकुरा पायरिया घलो धर डारेन। लीम के पाना फुसमंहा चाबे ले नइ ते एक चम्मच रसा पिये ले कभू कोन्हो रोग नइ हमाय । बिच्छी मारे , दतिया चाबे जगा म पाना ल पीस के लगाय म पीरा झींकते। फोरा–फुनसी, खाज– खजरी,घाव के रामबान दवई आय। लीम गुठलू ल पीस के भुरका बनाके खाय ले शक्कर बिमारी (मधुमेह/डायबिटीज) मा फायदा करथे।

4.लिमऊ– लिमऊ बारो महीना मिले वाला फर आय।ये बिटामिन सी के सगरी आय।जौन जादा मोटाय हावय अउ पातर दूबर होना चाहत हे त लिमऊ खाय। कब्ज,गैस बिमारी वाले मन जेवन संग जरुर लेवय अउ जौन जादा तेलहा मसलहा खाथे ओहा जरुर रोजीना लिमऊ खाय। लिमऊ ल हाजमा बढ़ायबर, चेहरा मोहरा के करियापन ल सफई करेबर बऊर सकत हव।चना पिसान हरदी संग लिमउ रसा मिंझार के चुपरे ले मुहूं ओग्गरा (गोरिया) जाथे।

5. मुनगा– संसार मा सबले जादा पुस्टई रुख कोई हावय त ओखर नांव मुनगा आय। ऐला पर परांत , परदेस म बिलगे नांव ले जानत होही।आयुर्वेद मा मुनगा ले 300 रोग राई ल बने करे जा सकत हे।ऐमा बिटामिन ए गाजर ले 4गुना, बिटामिन सी संतरा ले 7गुना, कैलसियम दूध ले 4गुना, पोटेशिसम केरा ले 3गुना अउ प्रोटीन दही ले 3गुना रहिथे।ऐकर पाना के रसा निकाल नान्हे लइका ल पियाय ले पेट के कीरा मारथे। साठिका,गठिया,बात (वातरोग) मा फायदा करथे। लोकवा मारे मनखे ल मुनगा साग खवाना चाही।हाड़ा ल पोठ बनाय बर मुनगा खावव। जचकी ले उठे सेवारी ल एकरे सेती पुस्टइ मुनगा खवाय जाथे।छत्तीसगढ़ मा छठ्ठी के दिन मुनगा बरी रांधे के परंपरा हावय।

6. कटहर–कटहर गरमी मा बर बिहाव मा अड़बड़ खायबर मिलथे। कटहर हा आयरन के देवइया फर आय।ऐकर खाय ले लहू बाढ़थे। कटहर पाना के रसा पिये ले अल्सर घलो बने हो जाथेे। सबले जादा फायदा आजकल के परमुख रोग ब्लडप्रेसर मा करथे।

7. जाम (बीही)– बीही लइका सियान सबो के मयारुक फर आय।ऐला गरीब के सेव कहिथे। मलरिया बुखार मा बीही खाय ले बुखार कमती हो जाथे।बीही मा नून मिंझार के खाय ले पेट पीरा माड़थे। बीही के पाना ल पीस के करिया नून मिंझार के चाटे मा फायदा करथे।बवासीर वाला मनखे ल 2–3 सौ ग्राम बीही रोजीना खाय ले अराम मिलही।जेवन करे के पाछू जाम खाय ले पचोय म सहजोग करथे।हाजमा बने राखथे।

8.चिरईजाम– ये गरमी के जाती अउ असाढ़ के निंगती म फरथे।बारो महीना हरियर रहईया रुख आय। ऐकर तासीर ठंडा होथे।मुहुं भीतरी गरमी फूटे म खाय ले माढ़ जाथे। चिरईजाम हाजमा ल बने करथे।भूख बढ़ाथे।आमाजुड़ी (पेचीस) ल बने करथे।चिरईजाम के गुठलू ल पीस के दही संग मिझार के खाय ले पथरी ह फेका जाथे।बाढ़े शक्कर मा ऐकर पाना ल पीस के खाय ले शक्कर कमती हो जाथे। ऐकर छोलटा, पाना, गुठलू तीनो ल सुखाके पिसान असन पीस के खाय ले घलो फायदा मिलथे।

9.पपई(पपीता)–ऐला आरम पपाई घलो कहिथे।पपई कच्चा होय कि पक्का दूनो म खाय जाथे।दवई असन घलो बऊरे जाथे। पिलीया होय मनखे ल पपई खाय मा फायदा होथे।जौन छेवारी (जचकी होय) के थन मा दूध कमती आथे ओला रोजीना पपई खाय ले फायदा होथे।डेंगू नांव के बुखार मा पपई पाना के रसा पिये ले फायदा मिलथे।रतिहा जेवन करे के पाछू पपई खाय ले बिहनिया पखाना साफ होथे।नवा पनही पहिरे पाछू पांव म फोरा परे ले काचा पपई पीस के लगाय ले तुरते अराम मिलथे।

10. केरा–केरा सबले सस्ता,गांव सहर सबो जगा मिलइया फर अऊ गरीब के मिठई आय।अब किसान मन एकर खेती घलो करथे।यहू दवई बुटई बरोबर घलो बउरे जाथे। गैस, कब्ज, खट्टा ढकार ल दुरियाथे।जादा टट्टी (पेचिस) होय मा केरा संग दही मिंझार के खाय ले टठियाथे।आगीबुगी मा जरे पाछू फोरा परे मा पक्का केरा ल पिचक के छाबे ले रगरगई कमती होथे।पक्का केरा अउ आंवरा के रसा मा शक्कर मिंझार के खाय ले घेरीबेरी किसाब (पेशाब)जवई कमती हो जाथे। बिहनिया केरा खाके दुध पिये ले ताकत मिलथे। रतिया जेवन पाछू केरा खाय ले पचे मा सुभीता होथे।

11.अमली–अमली के फर कच्चा मा हरियर अउ अम्मट रहिथे।पाके मा लाल अउ अमसुर मीठ हो जाथे। अमली पाचुक होथे।पेट पीरा,कान पीरा, चक्कर, बुखार उतारे,गैस, कब्ज, सुजन मा अराम, मोटई कमती करे,जादा टट्टी होय ल मढ़ाय के लहू सफई करे के दवई आय।पीलिया बर अमली खाय म फायदा होथे। दारु के निसा उतारे के रामबान दवई आय। लिमउ रसा संग अमली रसा मिझार के पियाय मा दारु के नसा उतर जाथे।अमली के बीजा ले नानम परकार के दवई बनथे

अईसने कइ रिकिम के रुखराई हे जौन ल सियान मन जानथे फेर आज सब पइसा वाला बनगे हावन। अंगरेजी दवई खा के नवा नवा रोगराई लावत हन।अति सबो जगा बरजे जाथे।जिनीस ल दवई बरोबर खाय ले फायदा होथे।असाढ़ अउ बरसात म आनी बानी के रोग राई होथे ,सावचेत रहे बर परही।अड़हा बईद ले सावचेत रहव।

संकलन
हीरालाल गुरूजी “समय”
छुरा, जिला –गरियाबंद