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कविता

छत्तीसगढ़ के तिज तिहार

हरियर हरेली तिहार मनागे
आरी पारी सबहो परंपरा
जम्मो तिहार अब आगे
हरेली के बाद राखी तिहार
बहिनी मन म खुशी छागे
भाई बहिनी के मया पिरित
रक्षाबंधन डोरी सुंत बंधागे
राखी तिहार बाद कमरछठ
लईका बर उपास राखथे
जन्माष्टमी के दिन दही लुट
आठे गोकुल तिहार मनाथे
तीजा-पोरा बर बहिनी ल
लेनहार तीजा लेवाय ल जाथे
दाई ददा अउ भाई भउंजाई
मईके के सुरता सुध लमाथे
तीजा पोरा के बिहान दिन
गणेश भगवान ल मढ़ाथे
गियारा दिन ले पुजा पाठ
तरिया म बिसरजन कराथे
सरग सिधार पुरखा ल
पीतर पाख म बलाथे
बरा सोंहारी अउ दुधभात
तोरई पान म भोग लगाथे
कुंवार नवराति मंदिर देवाला
नवदिन तक जोत जलाथे
मेला भराथे नवदिन ले
लोगन दरस बर जाथे
दसमुड़ी रावण ल मारके
विजयदशमी तिहार मनाथे
देवी देवता के पुजा पाठ
नवा चाउंर के नवाखाई खाथे
कातिक महीना सुरहुती दीया
घरो घर म दीया जलाथे
गोबरधन पुजा देवारी के दिन
गौमाता ल खिचड़ी खवाथे
अग्हन म धान मिंजई कुंटई
गंवई गांव म गांव बनाथे
पुस माघ म मेला मडंई
गांव-गांव म भराथे
मया पिरित के होली तिहार
फागुन के रंग-गुलाल लगाथे
अईसन हे हमर तीज तिहार
जूर मिलके सबो मनाथे??

मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम “माया”
रुद्री नवागांव धमतरी
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