Categories
कविता

छत्तीसगढ़ के राजिम धाम

बड़ भाग मानी मानुष तन।
नंदिया तरिया कहत हे बन॥
जग म होगे कुंभ नाम।
मोर छत्तीसगढ़ के राजिमधाम॥
ऋषि, मुनि के दरसन पाए।
दूर-दूर ले मनसे आए।
सरग ले भगवान कुंभ मेला आगे।
सब नगर म मंगल छागे॥
देख के महादेव कुंभ के गुन गाईच
जेन नहाइच त्रिवेणी म तेन सरग पाइच॥
इंहा सब सरग लागे।
जगा-जगा मंगल गीत बाजे।
महानदी सोढुर, खारून नदिया नाम।
मोर छग के राजिमधाम॥
इंहे हे काशी, इंहे हे मथुरा।
आस्था म दीखय देवता पथरा॥
महानदी के निर्मल धार।
जेकर नहाय ले हो जाही पार॥
जिंहा आवत हे ऋषि मुनि नागा।
जय शिव शंकर के बाजे बाजा॥
धन-धन हे ये नाम।
मोर छत्तीसगढ़ के राजिमधाम॥

श्याम विश्वकर्मा
नयापारा (डमरू)
तह बलौदाबाजार
जिला रायपुर

2 replies on “छत्तीसगढ़ के राजिम धाम”

सही कहत हव भइया,
चारों धाम हमर छत्तीसगढ़ म हावय
अउ कोनो मेर जाए के जरूरत नइए।

गीत बने लागीस।

Comments are closed.