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गोठ बात

नवा अंजोरी गे काय रे…

छत्तीसगढ़ राज बने चाैदह साल होगे। साल 2015 के बिहान हो गे हे! अब्बड़ होथे 15 साल फेर का छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़ियां मन बर नवा अंजोरी गे हे? सोचे बर पड़त हे। का बड़े-बड़े भवन, डामर के सड़क अऊ विकास के नाम धूल धुआं छोड़त कारखाना, यही विकास के पैमाना ये? अपन घर, अपन सहर हमन आज अनजान होगे हन। कोनो पहिचान नई आये, नवा-नवा चेहरा, नवा लोग एइसे लगथे के हमन दुसर सहर, राज के हन। छत्तीसगढ़ियां परमपरा, संस्कृति नंदात हे। नाचा-गम्मत, रहस, ददरिया, करमा, सुआ के जगह डीजे, काकटेल पार्टी, डिस्को डांडिया, फिल्मी नाईट शो चलत हे। अब चिला, चैसेला, खुरमी, ठेठरी, देहरौरी, गुलगुला के बदले चाऊमीन, पीजा, बर्गर, एगरोल खातहन। लईकन मन अपन दाई-ददा लंग पूछते ये सब काये? बताये ले लईका मन मुसकात कइथे-ये सब देहाती मन के। सुन के गुस्सा आथे, फेर सोचे बर पड़थे के येखर पाछु दोस तो दाई, ददा के ही हे। हमार खान पान, रहन सहन, रीति रिवाज सब मिलावट गये हे। साग-भाजी लईका मन मिठाये नई का खवाये दाई-ददा मन। पढ़ाई के टेनसन अऊ बड़े आदमी बनाये के सपना देखे के बीच दाई-ददा मन लईकन मसीन बना देत हे। सरीर के वैयाम होये नहीं, घर ले स्कूल, स्कूल ले ट्यूसन, कोचिंग। खाना-पीना, खेल-कूद सब खतम। लईका मन तनाव हे, दाई-ददा के सपना हे, बड़े मनखे बनना हे। अब्बड़ पैसा कमाना हे, बस मसीन बन के रह गे हे। बचे खुचे कमी पूरा करत हे नसा सीधा लईका ले डोकरा बनत हे, तन अऊ मन दुनों ले।
छत्तीसगढ़ राज के नेता-अफसर मन बड़ खुस हे। विकास जो करत हे छत्तीसगढ़ ह। आम छत्तीसगढ़ियां महंगाई, घूसखोरी ले गरीब होत जात हे। अऊ नेता मन, अफसर मन अमीर अतका अमीर के घर समात नई हे। मय मने-मन-गुनथौं, ये मन मरे के बाद घलौव ये पैसा ले के ऊपर जाहि का? फेर गरीब जनता के पैसा चूस-चूस के बड़े आदमी बने ये नेता, ठेकेदार, अफसर मन बताही के छत्तीसगढ़िया मन के खून चूस-चूस के धन जमा करत हव, का तुमन सच छत्तीसगढ़िया हव? अगर छत्तीसगढ़ रइथा, खाथव, पीथव, पहिनथव तव फेर छत्तीसगढ़ के सोसन काबर करत हव?
पन्नी बंद करे के आदेस सरकार दे दीस फेर ओखर बदला सामान कामा लिही-दीही ओखर वैवस्था कोन करही? का ऐखर बर सरकार के पास कुछु योजना हे। 20-25 साल पहिली कागज के ठोंगा चलत रहिस ओमा दुकान दार सामान देत रहीस। घर-घर ठोंगा बनय-सब घर बईथे रोजगार मिले रहीस। परसा पान के दोना खाई-खजाना, मिल जात रहीस। फेर विकास करे के नसा अऊ अफसर मन दिल दिमाग ले गरीब हो गे हे।
आज छत्तीसगढ़ गुटखा, दारू, गुड़ाखु के बोल बाला हे। पाऊच गुटखा जेखर ले सरीर भयंकर बिमारी होत हे। गुड़ाखू जेखर घीसे ले टीबी, केंसर, मुंह के बिमारी होत हे। वैसने दारू जेखर ले सीधा फेफड़ा खराब हो जाथे। छत्तीसगढ़ के का जवान, का डोकरा सब्बे झन नसा घिर गै हे। आज कल तव नोनी, लईका मन घलौव ये सब के नसा का करत हे।
बचपन बचाओ, जवानी बचाओ, के नारा सरकार दे थे, का सरकार सोचत हे ये सब कइसे बचही? सिरिप नारा दिये ले, माईक बोले ले कुछ नई होने वाला हे। बचपन बचाना हे, जवानी बचाना हे तव पाऊच-गुटखा, गुड़ाखू, दारू, सिगरेट बिक्री बन्द करना पड़ही। सरकार के हिम्मत हे सब बंद कराये के? पर मोला लगथे ये सब बंदिस कभू नई लग सके। काबर के ये सब बंद कर दिही तव फेर ओमन के घर रूपया-पैसा कैसे भरही, मरे छत्तीसगढ़िया मन। ये नेता, अफसर मन के दिल दिमाग तव दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता अऊ विदेश हावे, जहां ये मन के बड़े-बड़े फैक्टरी खुले हे। बैंक मन पैसा जमा हे। फेर सब नेता, अफसर मन गलत नई हे। कुछु मन अच्छा घलौव हे। फेर का करें ये मन के पार्टी के बड़े नेता मन तव गैर छत्तीसगढ़िया ए, दिल्ली बैठे हे जहां ले आदेश देथे अऊ वही ले सरकार चलाथे, मजबूरी हे हमार नेता मन के, कुरसी चिपके रईना हे, तव ओमन केे कहना मानना पड़ही। वोट हमन दे थन, सरकार हमन बनान, अऊ राज चलाये दिल्ली बैठे बड़े नेता मन……. का बात हे।
नवा अंजोरी गे रे गीत के लिखईया हमार सहर के डोकरा गीतकार गेंदराम सागर वतके खुस हे के जीयत-जागत छत्तीसगढ़ राज बनगे। पर हमन तव अभी जवान हन, हमन नई देख सकन छत्तीसगढ़ महतारी के सोसन ल। औं हम सब्बो संगवारी मन, नवा साल महतारी के किरिया खान, हमार छत्तीसगढ़ महतारी के अब आऊ सोसन नई होन देन। ये नारा घलौव भोथ लागे “”छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” काबर के यही नारा लगा-लगा के बाहरी मन छत्तीसढ़िया मनखे मसलमोटिया, आलसी बना दीन।
एक बात याद गए – एक दिन गांव के गुड़ी “मुस्टी’ उघंत, ठूठी बिड़ी पीयत बेमन ले बैठे मनखे मन भासन देत रहै – “फोकट नून अऊ एक रुपया चांउर, जांगर कमाई के पी दारू अऊ घीस गुड़ाखू, अरे समारू, अरे सुकालु थोड़कन अपन बर अऊ लईका मन बर भी सोच। ओमन पीयत हे दूध, खात हे मलाई अऊ घीसत हे बिदेसी मंजन। थोड़कन गुन अऊ मोर बात सुन, नवा साल आगे अब तो चेत, नही चेतबे तव हो जाबे लवलेेट।’
नाचा-गम्मत, रहस, ददरिया, करमा, सुआ नंदा गे… डीजे, काकटेल पार्टी, डिस्को डांडिया, फिल्मी नाईट शो चलत हे …..
Somnath Yadav
डा. सोमनाथ यादव
बिलासपुर

2 replies on “नवा अंजोरी गे काय रे…”

सिरतोन बात गोठ ल बताये हव भइया नकली छत्तीसगढ़िया मन भर बाढ़त हे छत्तीसगढ़िया मन ल का मिले हे जइसन कल रहिसे तइसन आज हे…..अब येला समझे बर परही…अब ये सब नै चलय अउ एखर बीड़ा ल हमी जवान मन ल उठाय बर परही……..

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