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गोठ बात

बिकास के नाव म बिनास ल नेवता

उत्तराखंड म पाछु सोला जून के आय बाढ़ ल तो दुनिया ह देखत हे। ए तबाही ल भूलाना सायदेच कखरो ले संभव हो सकथे। ए तबाही म जिहां हजारों मनखे मन ह अपन परिवार के कतकोन मनखे मन ल गंवा दीन, उहें लाखो लोगन मन घर ले बेघर होगे। बिकराल तबाही के रूप म आय ए बाढ़ ह कोनों ल अनाथ कर दीस त कखरो ले उंखर चिराग ल छीन लीस।
ए तबाही ले बांचके अवइया लोगन मन ह भगवान ल दुआ देवत हे। चारधाम के ए यात्रा ल लोगन मन अपन जिनगी के एक ठिन महत्तम वाले यात्रा अउ अपन किस्मत के बात मानथें। उहें, ए यात्रा ह आज उंखर मनके मन म अईसन घाव भर दे हे, जेला सुरता करतेच उंखर मनके आंखी ले उहां के भयानक तबाही अउ उंखर दरद ल आगू आ जथे। उत्तराखंड के केदारनाथ, बद्रीनाथ, गौरीकुंड, गंगोत्री अउ गोचर जईसन कतकोन ठिन अईसन क्षेत्र हावय जउन ह आज ए तबाही के सामना करत थक गे हांवय।बाढ़ ह जिहां लोगन मनके घर अउ उंखर परिवार ल अपन संग बोहा के लेग गें, उहें कतकोन मनखे अइसे घलो हांवय जउन मन उंखर मनके दरद के हिसाब अपन जेब भरे म करत हांवय। मानवता के धरम ल सर्मसार करत कुछेक लोगन मन ह तबाही म फंसे लोगन मनके घाव के फायदा उठावत अपन जेब ल भरत हांवय। कहुं ओमन ल 5 रूपिया के बिस्कुट के पाकिट ल 250 रूपिया म बेेचे जावत हे, त कहुं लास के संगेसंग बेहोस हालत म परे लोगन मनके हाथ ल काटके उंखर मनके गहना अउ दूसर जीनिस ल लूटत हांवय।
ओती, बाढ़ म फंसे लोगन मन ल बचाय खातिर सेना के जवान मन दिनरात महीनत करत हांवय। अपन जान ल खतरा म डारके ओमन ह हजारो लोगन मनके जान बचावत हावय। अईसन म लोगन मन बर सेना अउ आने-आने दल के जवान मन ल भगवान ले कमती नई माने जा सकय। उहें, कुछ लोगन अइसे घलो हांवय जउन मन इंसानियत के परमान देवत दिनरात महीनत करके बाढ़ म फंसे लोगन मन बर खाना अउ दूसर जीनिस के बेवस्था करे म लगे हांवय।
उत्तराखंड के ए तबाही ल प्राकृतिक आपदा के नाव देना तो सही हे, फेर का हमन एला कभु सोचे हावन कि ए तबाही ल नेवता कोन ह दे हावय? आज लोगन मन बिकास के रद्दा म सरलग आगू बाढ़त हंे। बिकास करे केे धियान म ओमन ह पर्यावरण अउ धरती माता के कोख ल सुन्ना करत हांवय। बिकास के नाव म न जाने कतका बछर ले दुनिया के संगेसंग देसभर म लाखो रूख-राई के सरलग कटई करे जावत हे।
एक कोती जिहां बिकास अउ सहुलियत के नाव म बोरिंग अउ आने साधन मन ले धरती माता के कोख ल सुन्ना करे जावत हे। उहें, दूसर कोती जघा-जघा घर-दुआर के संगेसंग रद्दा-बाट म कांक्रिटीकरण करके पानी ल धरती माता के गोद म जाय ले रोके जावत हे। नंदिया अउ नरवा के मदद ले बरसा के पानी ल समुंदर तक पहुंचाय जावत हे। खेती-किसानी वाले हमर देस म आज खेती-बाड़ी करे खातिर भुंईया ह सरलग कमती होवत हे, फेर ए डहार कखरो धियान ह नई जावत हे। जउन जघा म पहिली लहलहावत खेत अउ जंगल-झाड़ी रिहीस, उहां आज या तो कारखाना बन चुके हे या फेर बड़का बिल्डिंग टेक गे हांवय।
फेर, एखर बर सरकारे ल जिम्मेवार बताना सही नई होही। मानवता के नता ले जइसे हमन ह अपन महतारी अउ परिवार वाले मन ले मया करथन अउ उंखर मनके रक्षा करे बर सदा-दिन तियार रईथन, वइसनेहे हमन ल अपन मातृभूमि अउ पर्यावरण के रक्षा करे खातिर आगू आय बर परही अउ हमर अइसन परयास ले उत्तराखंड म आय तबाही जईसन दूसर तबाही ल रोके जा सकत हे। कहुं न कहुुं ए परलय बर हमर देस के बाढ़त जनसंख्या ह घलो जिम्मेवार हावय। देस म मनखे मनके संख्या ह अतका बाढ़ गे हे, कि कहुं आज हमन ए बिसय के बारे म नई सोचबो त ओ दिन ह दूरिहा नई रिही जब भारत ह देस के सबले जादा जनसंख्या वाले देस बन जही। त संगी हो आप जम्मो ले हमर ए अपील हे कि परिवार के संगेसंग हमर देस, धरती अउ पर्यावरण के बारे म घलो थोरकिन सनसो करव, ओला सहेजे बर आगू आवव।
हमर कहना ए नइहे कि बिकास झन करे जाय, बिकास करे जाय संगेसंग ओला बिनास के रूप लेबर घलो रोके जाय।

अरूण कुमार धीवर
मठपारा, रायपुर