Categories
व्यंग्य

मनखे अउ सांप

हमर गांव के गली म
एक झन सांप देखइया ह आइस.
सांप देखौ सांप
कहिके जोरदार हांका ल लगाइस.
सांप वाले के आरो ल
घर के मन पाइन.
सांप देखे के सौंख म
सबे झन बाहिर निकल आइन.

संवरा ह सांप के मुंह म
अपन अंगठा ल लगाइस.
फेर बिख उतारे मंतर ल
मने मन म बुदबुदाइस.
मोटरी ल खोल के
जड़ी बुटी ल लगाइस.
फेर उही जड़ी बुटी के
कीमत ल बताइस.
सबे सियनहा मन
सांप के पांव परे लागीन.

पढ़े लिखे मन
सांप के जात ल पूछे लागीन.
तभे…
रेमटा असन भोला ह
सांप ल देख के किकयाइस.
फेर ओकर मुंह ले
अटपटहा असन गोठ ह निकल आइस.
पूछीस…
ह ग… सांप वाले कका
सांप अउ मनखे म
का अंतर हे.
का मनखे के काटे के घलो
कुछु मंतर हे.
सांप वाले कहीस…
का पूछथस ग साहब,
सांप अउ मनखे म
बरोबरी के का बात हे.
अरे, मनखे ह मनखे आय
सांप ह सांप हे.
सांप के डसे ले
ओकर इलाज ह हो जाथे.
जहर ह उतर जाथे
मनखे ह बांच जाथे.
फेर… मनखे के चाबे ह
पानी तको ल नइ मांगै.
ए गोठ ल आज के
जमो मनखे मन का नइ जानै.
अरे, मनखे ह तो सांप ले
अड़बड़ बिखहा हे.
रइथे गांव बस्ती म
फेर सुभाव के बड़ अनदेखहा हे.
का बतांव भइया…
सांप अउ मनखे के
का कुछु जोड़ हे.
मनखे के जहर के
कहां कुछु तोड़ हे.
अरे…
सांप ह जब पिटारी म आथे
त कोनो गरीबहा के
रोजी रोटी के साधन बन जाथे.
अउ मनखे…
मनखे ह चुन के
संसद नाव के पिटारी म जाथे.
घर गली मोहल्ला ल तो छोंड़
समाज अउ देस घलो ल दांव म लगाथे.
एकर सेती मोर गोठ ल सुन
अउ मने मन म गुन
सांप अउ मनखे म
फरक करना ह बेकार हे.
जादा कुछु कहे के
अउ कहां दरकार हे.
अपन अपन सुभाव रे भाई
दूनो म फरक के का बात आय.
मनखे ह तो मनखे आय
सांप ह तो सांप आय.

डॉ. सुरेश तिवारी