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मोर गांव के फूल घलो गोठियाये : श्रीमती आशा ध्रुव

मोर गांव के फूल घलो गोठियाये।
बड बिहनियां सूरूज नरायन मया के अंजोर बगराये।
झुमे नाचे तरियां नदिया फूले कमल मुसकाये।
नांगर बईला धर तुतारी मोर किसनहा जाये।
मोर गांव के फूल घलो गोठियाये……
मोगरा फूले लाई बरोबर मोती कस हे चक ले सुघ्घर
कुआं पार बारी महमहाये तनमन ला ये ह सितलाये।
उंच नीच के डोढगा पाट ले अंतस मन ला कर ले उज्जर।
मोर गांव के ……..
गोंदा फूले पिवरा पिवरा पाटी मार खोपा मा खोचे।
चटक चदैंनी अंगना मा बगरें खूंटधर अंगना ह लिपाये।
पैरी बाजे रूनुक झुनूक मोटीयारी टुरी इतराये।
मोर गोव के ……..
दसमत फूले लाली लाली माता के हे वो ह प्यारी।
चईत अउ कुवांरे के राती आथे ये ह पारी पारी।
नरीयल भेला पान सुपारी लाली चुनरीयां चघा ले।
मोर गांव के……..
रसवंती महुआ हा फूले डारा लहुसे लहुसे जाये।
परसा फूले लाली लाली सेमरा फूले हे छतराये।
ये जिनगी के रददा मा कहे लगीन धराले। मोर गांव के….

श्रीमती आशा ध्रुव

नाम.श्रीमती आशा ध्रुव
जन्म.रायपुर 27.09.1969
श़िक्षा.हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर, लोक सेगीत में डिप्लोमा, कम्प्युटर में डिप्लोमा
विधा.लेख, कहानी, कविता, गीत, गजल (हिन्दी/छत्तीसगढी)
प्रकाशित. रसमंजरी भाग1 .भाग2
पत्र पत्रिकाओ में रचना का प्रकाशन
अनेक साहित्यिक संस्थाओ द्वारा सम्मान
वर्तमान में सिरजन लोककला एवं साहित्य संस्था की प्रांतिय सचिव, शासकीय विज्ञान महाविधलय रायपुर में कार्यरत।
मों नं 9009813419

One reply on “मोर गांव के फूल घलो गोठियाये : श्रीमती आशा ध्रुव”

बढिया लिखे हस आशा । सुन्दर शब्द – चित्र हे । तैं पतियाबे कि नहीं मैं नइ जानवँ , फेर मैं तोर गॉव के , रुख – राई संग, सुख – दुख गोठिया के एदे आए हौं, मैं सोंचेवँ तोला बता दवँ । तोला बहुत – बहुत बधाई ।
मोला बहुत सुख लागिस आशा कि तैं अतेक पढे – लिखे छोकरी अस, तैं कतेक विदुषी हावस ओ !

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