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समीच्‍छा

साक्षरता का अकासदिया – पुस्तक समीक्छा

‘अकासदिया’ के 40वाँ अंक साक्छरता ऊपर निकले हावय। संपादक परदेसीराम वर्मा ह अपन संपादकीय म लिखे हावयं के 12 जनवरी 1990 के दुर्ग जिला म साक्छरता अभियान के जोत जले रहिस हे।
जेन ह कला जत्था के माध्यम ले काम करीस। सामुदायिक विकास विभाग दूवारा ग्रामीण विकास एवं प्रौढ़ सिक्छा अउ लोक कला महोत्सव संचालक होवत रहिस हे। एखर बर परदेसीराम वर्मा जी कला जत्था लाए के काम करयं। संपादकीय के माध्यम ले छत्तीसगढ़ म प्रौढ़ शिक्षा के पूरा इतिहास के जानकारी हो जथे। कोन-कोन, कइसे-कइसे जुगत लगा के साक्छरता के जोत ल आज इहाँ तक पहुँचाए हावयं ये सोचे के बात आय। बालोद के पत्रकार प्रशांत पाण्डे अउ लोहारा के अधिवक्ता दिनेश टांक आज साक्छरता अभियान ल सम्भाले हावयं ये मन दुर्ग जिला के प्रशिक्छित साक्छरता वीर आयं।
ये अंक म देशबन्धु म 1991 म प्रकाशित साक्छरता अभियान ले जुरे 21 लघुकथा पढ़े बर मिलिस। पहिली कथा म लिखाय हे ”साक्छरता भवन की पुरानी और बंद खिड़की खोलिए जरूर लेकिन आहिस्ता। वरना बहुत कुछ इसी तरह टूटकर झूलने लगेगा। झुलाना हमारा उद्देश्य नहीं है।” अंतिम कथा म कहे गे हे सामंती प्रवृत्ति के बड़े लोग नहीं चाहते थे कि इतनी जल्दी साक्षरता का उजाला फैले और उसकी जबरदस्त जकड़ से लोग मुक्त हो जाएं ”हम निरक्छर के अंधकार में हुए दुर्ग जिले में पैदा जरूर हुए हैं मगर अंतिम सांस लेंगे उस जगमग साक्षर दुर्ग जिले की माटी में जहाँ चारों ओर साक्षरता का उजास होगा।”
साक्छरता म भिलाई नगर के सफलता, पंडवानी अउ साक्छरता, साक्छरता की नई मुनादी, साक्छरता अभियान महिलाओं का ऐतिहासिक कीर्तिमान लेख पठनीय हावय। तभे कहाबो साक्छर नारी म दारू भट्ठी हटे के बाद साक्छरता तिहार मनाना प्रेरनादायक गोठ आय।
”चलो पढ़ाएं, कुछ कर दिखाएं” म अंधविश्वास ल भगाए के गोठ हावय। रामबती के कहना ”लइका के महतारी ल, पढ़ा-लिखा दव नारी ल”, ”जगे देश की पहचान, साक्षर हो मजदूर किसान” एक जोस पैदा करथे।
अंत म नवसाक्छर मन बर मूषक कथा देय गे हावय। जेमा बतायेगे हे के मुसुवा ह लगातार 120 घंटा पढ़े के बाद पूर्ण साक्छर होगे। मुसुवा के अंत म कहे गोठ ये पुस्तक ल सार्थक बना देथे। साक्छरता अभियान के सुरुआत, संघर्ष प्रेरना के संग-संग असाक्छर मन म पढ़े के उत्साह पैदा करना ये पुस्तक के सफलता आय।
परदेसीराम वर्मा के अगासदिया के हर अंक विसेस होथे। हर अंक एक संदर्भ अंक के भूमिका निभाथे। ये अंक घलो गंज अकन जानकारी लेके आय हावय। ऐखर बर वर्माजी ल बधई।
-अपूर्व वर्मा
-पुस्तक के नांव-
साक्षरता का अगासदिया
अंक : 40 वाँ
: संपादक :
डॉ. परदेशीराम वर्मा
सहयोग राशि: 100 रुपए