Categories
कविता

सात हायकू सावन के

00
बादर आगे
किसान के मन
कुलकुलागे।

00
नांगर धरे
चलिस नगरिहा
खेत बोआगे।

00
कीरा झपागे
बतरकीरी आगे
जी कनझागे।

00
छेना सिरागे
लकडी गुंगवाय
ऑंखी पिरागे।

00
दिया बुतागे
कडकिस बिजली
बया भुलागे।

00
बोहाय पानी
खेत छलछलागे
बियासी आगे।

00
होगे बियासी
खेत हरियागे
जीव जुड़ागे।

अजय ‘अमृतांशु’
हथनीपारा वार्ड,भाटापारा
जिला-बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग. )
मोबा. 99261.60451