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अकती तिहार : समाजिकता के सार




बच्छर भर के सबले पबरित अउ सुभ दिन के नाँव हरय “अक्षय तृतीया” जउन ला हमन अकती तिहार के रुप मा जानथन-मानथन। अक्षय के अरथ होथे जेखर कभू क्षय नइ होवय,जउन कभू सिरावय नही,कभू घटय नही अउ कभू मिटय नही। एखरे सेती ए दिन हा हिन्दू धरम मा सबले परसिद्ध अउ लोकपिरिय दिन माने गे हावय। अकती तीज के तिहार हा बइसाख महीना के जीज के दिन मनाय जाथे एखर सेती ए तिहार ला अकती तीजा घलो कहे जाथे। ए तिहार हिन्दू अउ जैन मन के एकठन सोनहा दिन के रुप मा बङ उछाह अउ धूमधाम ले मनाय जाथे। ए तिहार मा सारवजनिक छुट्टी रहे के संगे-संग सरी संसार भर मा अउ कहू नइ मनाय जाय। एखरे सेती ए तिहार के महत्तम हमार भारत भुँइयाँ मा अब्बङ हावय। भारतीय संसकिरति मा अक्षय जइसे धन,रुप,बैपार,रिसता-नता पाये बर अकती तीज के दिन सबले सुभ माने गे हावय। ए दिन कोनो भी कुछू भी नवा उदिम ला सुरु करे बर कोनो पंचांग अउ मुहुरत देखे देखाय के जरुरत नइ परय। सरी सुभ काम बर ए दिन हा सुभ माने गे हे। इही सुभ दिन मा सोन चाँदी अउ गहना बिसाय ला सुभ माने जाथे।
अकती के दिन जनम लेवइया लइकामन अउ बिहाव करइया नवा जोङी मन हा जिनगी भर बङ भागमानी,सफल अउ खुसहाल होथें। ए दिन असनांद दान,जप,तप,जग,पूजा-पाठ अयादि ला अपन सक्ती हिसाब करे ले ओखर फल अक्षय रुप मा हमला मिलथे। इही दिन पबरित नंदिया मा असनांद के हूम-जग,देवता-पुरखा मन ला तरपन,जप,दान-पुन करे ले सबले सुभ फल मिलथे। अकती तीजा के पबरित दिन मा अटके-फटके बिगङे-बिसरे कारज,बैपार मा बिरिद्धि,कोनो नवा निरमान गृह परवेस,कोनो बङका जीनिस के बिसई-बेचई अउ वो बुता-काम जउन ला सुरु करे बर कोनो सुभ मुहुरत नइ मिलत रहय ता अइसन जम्मो परकार के कारज ला साधे ले सिध परथे। एखरे सेती ए अकती के महत्तम जादा हे,जग परसिद्ध हे।
अकती तिहार के हमर मन के जिनगी मा घलाव मा अब्बङ महत्तम हावय। अकती तीजा ले बङ अकन कथा-कहिनी अउ मानियता जुरे हावय। बसंत ले गरमी के अवई,खेत-खार मा फसल -ओनहारी के पकई, लुवई-टोरई अउ एला सकेल के किसान भाई मन के खुसी मनाय के ए पबरित तिथि हरय। ए पबरित परब ले अउ आन तिथि-तिहार मन हा जुरे हावय। अकती तीज के दिन धरम के रक्छा करे खातिर भगवान सिरी बिसनू हा अपन तीन रुप के अवतरन इही सुभ दिन करे रहीन। एखरे सेती ए पबरित तिथि “अक्षय तृतीया” या अकती तीजा कहे जाथे। भगवान बिसनू हा इही दिन बरनरायन,परसुराम अउ हयग्रीव के रुप मा अवतरे रहीन तभे ए दिन तोनों अवतार मन के जयन्ती एके संघरा मनाय जाथे। पराचीन पुरानीक मानियता के अनुसार महाभारत युद्ध हा सिराइच अउ त्रेता जुग हा सुरु होइस। ए सेती अकती तिथि हा जुग तिथि घलाव कहाथे। ब्रम्हाजी के बेटा अक्षय कुमार क अवतरन हा इही तिथि मा होय रहीस। अकती के पबरित दिन सिरी केदारनाथ अउ बदरीनाथ के कपाट हा फेर खुलथे। बिरिन्दाबन इस्थित सिरी बाँके बिहारी मंदिर मा सिरिफ इही दिन भर सिरी विग्रह के चरन दरसन अउ दुसर दिन अँगरक्खा ले तोपाय रथे। ए तिथि मा दान-पुन करे के सतकर्म करे के अचार-बिचार ला पबरित करे के दिन आय। अकती तीजा के दिन जउन-जउन जीनिस के दान हमन करबो वोही जीनिस हा हमला परलोक मा अउ आगू जनम “अक्षय” रुप मा वापिस मिले के मानियता हावय। ए दिन भगवान नरायन अउ देबी लछमी के संघरा पूजा-पाठ,सादा कमल फूल या सादा गुलाब फूल या फेर पिंवरा गुलाब फूल ले करे ले पूजा सुभ होथे।
अकती तीजा मा अपन आचरन ,करम अउ सतगुन ले बङे-बुजुर्ग मन के आसीरबाद लेवई हा सदा “अक्षय” के समान सुभ अउ कलयानकारी होथे। ए दिन बानी अउ बेवहार ले सत आचरन करके अक्षय आसीरबाद प्राप्त करना चाही। अकती तीज के दिन के सादी-बिहाव हा बङ सुभ माने जाथे। साल भर के सबले जादा बिहाव इही सुभ घरी मा होथे। देव लगन, सुभ मुहुरत अउ “अक्षय” फलदायी तिथि होय के सेती “अकती भाँवर” के पुन पाय बर कोचकीच ले बिहाव के भरमार रथे। बिहाव लाइक लइका मन के बिहाव “अकती भाँवर” जादा ले जादा होवय एखर बङे सियान मन हा अब्बङ परयास करथे।




हमर छत्तीसगढ़ राज मा अकती तिहार के अङबङ महत्तम हावय। गाँव-गँवई अउ सहर मन मा अकती के दिन पुतरा-पुतरी के खेल-खेल मा बिहाव के खेल हा अपन समाजिक रीति-रिवाज ला सिखे-सिखाय के सुग्घर मउका मिलथे। पुतरी-पुतरा के बिहाव खेल हा एकठन खेल भर नइ होके खुदे करके देखे-सीखे के एक ठन बने उदिम हरय। करके देखे बुता हा कभूच नइ भुलाय जा सकय। एखरे सेती लइकामन ला लोक बेवहार के सिक्छा अउ सीख खेल-खेल मा सोज्झे सरल ढ़ंग ले मिल जाथे। अइसन समारिज कारज के जिनगी मा का महत्तम हे जेला समझे मा सहुलियत होथे। समाजिक कारज ला लइकामन उछाह अउ जोस के संग खेलथें अउ सीखथें। खेल-खेल मा अपन जिमेदारी ले घर-परवार अउ पारा-परोस ला एकमई सकेल के राख देथे। ए परकार ए अकती परब के पुतरा-पुतरी के बिहाव हा हमर अवइया पीढ़ी ला समाजिक अउ लोक संस्किरति ला करके देख सीख के जिमेदार बने मा मदद करथे। ए अइसन तिहार हरय जेमा लइका,जवान अउ सियान मन हा अपन समाजिक समरसता के गुरतुर भाव ला पोठ अपन जिमेदारी अउ ईमानदारी ले निरवहन करके करथे। इही सुभ दिन किसान भाई मन हा बच्छर भर के खेती-किसानी बर सुभ सगुन समे ला देख के ए दिन बाउग करथे। जउन हा सत प्रतिसत सत होथे। बरसा बरसे बर इही सुभदिन कामना करे जाथे। ए परकार अकती तिहार हा हमर लोकजीवन सैली के प्रसिक्छन अउ दरसन कराथे। ए सुभ दिन “अक्षय” आसीरबाद ला पाये बर कोनो मनखे हा अपन जिनगानी मा चुक करना कभू नइच चाहय।

कन्हैया साहू “अमित”
परसुराम वार्ड-भाटापारा
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