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कविता

अपन रद्दा ल बनाबो

चलौ चलौ संगी,अपन रद्दा ल बनाबो।
जांगर टोर कुदरा धर,पानी ओगराबो।।
चलौ चलौ संगी……………………..

चिंता झन करौ संगी,कखरो नहीं आसा।
रखौ भरोसा करम में,पलट जाही पासा।
महीनत के पाछु , कुरिया ल सिरजाबो।
चलौ चलौ संगी……………………….

बड़े बड़े गड्ढा पटावत हे, तुंहर बल से।
परबत नइ बाचै रे,महीनत के फल से।।
कर बरोबर भुइया म ,सोना उपजाबो।
चलौ चलौ संगी……………………….

परती अउ कछार मा,हरियाली लाना हे।
बंजर झन रहै धरती,फूल ल फुलाना हे।।
झिमिर -2 बरसा में, आओ जी नहाबो।
चलौ चलौ संगी……………………….

बोधन राम निषाद राज
स./लोहारा, कबीरधाम (छ.ग.)
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