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व्यंग्य

अब मंतरी मन बर रेड सिग्नल … लाल बत्ती खतरा हे !





रेड सिग्नल वइसे खतरा के निसान माने जाथे। फेर इही खतरा के निसान कोन जनि कब ले नेता-मंतरी ले के अधिकारी मन बर रुतबा के चिन्हारी बनगे मैं तो नइ जानव आप मन जानव होहु त समझ लेहु। वइसे सच तो इही हरय के लाल सिग्नल हा खतरा के ही निसानी हरय। जनता मन ला तो नेता-मंतरी, अधिकारी मन ले खतरा रहिबे करथे।
तभे तो लाल बत्ती वाला गाड़ी ले जब कान फोडू अवाज आथे सब सचेत हो जाथे। अउ वो गाड़ी मा बइठइया मन जइसे जनता ला डराय, झुझकाय अउ उंहला अपन धाक दिखाय के सुख पाथे। फेर बदलत बेरा मा लाल बत्ती जनता मन बर खतरा कब तक बने रइही? कब तक लाल बत्ती के कल्चर चलही? ये आज सवाल बन के आम मनखे ले ले के खास लोगन मन बर बहस के मुद्दा बन गे हे। लाल बत्ती के खतरा होना चाही के नहीं होना चाही येखर चर्चा पंचायत ले ले के संसद तक मा होवत हे। अउ समय के मांग इही हरय के होना भी चाही। चरचा करे में कोनो खरचा थोड़े होथे।
फेर ये सब के बीच म दिल्ली ले जेन पहल झाड़ू धरइयां नेता मन करे रहिस वोखर बिस्तार अब धीरे-धीरे देखा-सिखी दूसर राज मन घलोक सुरू करत हें। पंजाब राज मा घलोक उहां के पंजा छाप वाला सरकार के मुखिया हा कहि दिस के अब लाल बत्ती वाला गाड़ी के जरूरत नइहे। पंजाब के जनता मन ला बधई खतरा टल गे। पंजाब ले यूपी मा घलोक इही फइसला होगे। महंत के संग सीएम बनिस योगी जी घलोक लाल बत्ती के परथा खतम करे अइलान कर दिस। अब धीरे-धीरे दूसर राज म लाल बत्ती के खतरा टाले के घोसना हो सकत हे।
वइसे इहूँ बता दन के लाल बत्ती के खतरा ले मुक्ति जनता मन ला सबले पहली छत्तीसगढ़ राज मा मिले रहिस। जिहां जोगी जी हा लाल बत्ती परयोग ला बंद करवा दे रहिस। फेर सत्ता बदलत ही फूल छाप वाला मन पेलम-पेल लाल बत्ती बांट दिस। का पूछना तहा मंतरी लेके संतरी तक के एक नहीं कई-कई ठिन लाल बत्ती आगे।
लाल बत्ती के रुतबा कतका होथे येखर कतको उदाहरन मिल जही। फेर हाल ही के उदाहरन ला देना सही हे। मतलब ये बताना कि लाल बत्ती कइसे जनता मन बर खतरा हे। कुछ दिन पहली के बात हरय। रायपुर ले अभनपुर के रद्दा मा मनजीत कौर नाव के महिला हा अपन गाड़ी मा जात रहिन। पाछू मा एक झिन बड़का मंतरी अपन लाल बत्ती मा आत रहिन। मनजीत जी अपन रद्दा अउ मंतरी के लाल बत्ती (खतरा) वाला काफिला उई-उई के अवाज करत पाछू-पाछू..। भइगे फेर मंतरी के मंता भोंगा गे। मतबल भारी गुस्सा आ गे। तुरते आनन-फानन मा मनजीत के आघु पुलिस आ गे। पुलिस धर के मनजीत जी ला थाना ले आइस। सोचत होहू काबर. ? .काबर कि मनजीत जी हा मंतरी जी के लाल बत्ती मतलब खतरा वाले गाड़ी के आघु मा चलत रहिन। बाद मा बिना कोनो कार्रवाई के मनतीज जी ला पुलिस वाला मा छोड़ घलोक दिन।
ये सब बताय के मतबल ये हे कि लाल बत्ती हा नेता-मंतरी मन बर जलवा के ..अउ जेन जनता मन बर बड़ खतरा के हे।
येखरे सेति दिल्ली ले पंजाब अउ पंजाब ले यूपी राज मा लाल बत्ती ला बत्ती दे दिए गइस। मतबल ये कि ये खतरा के निसानी ला हटा दिए गइस । नेता-मंतरी मन घलोक जनता सही सादा-सादा आहीं-जाहीं। कोनो ला ना कोनो के डर..ना कोनो खतरा, ना नेता जी के रौब ना रुतबा।
दिल्ली-पंजाब-यूपी के सरकार ला बेमेतरिहा के बधई हे। अइनेहे बधई के बुता सब राज-देस सरकार करय। जनता के सरकार जनता सही रहय।
जय जोहार
वैभव शिव पाण्डेय
संवाददाता, स्वराज एक्सप्रेस, रायपुर






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