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आंखीं म गड़ जाए रे चढ़ती जवानी

छत्‍तीसगढ़ के नामी कबि गीतकार साहित्‍यकार लक्षमण मस्‍तुरिहा कवि सम्‍मेलन म –

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साथियों मिलते हैं एक ब्रेक के बाद

One reply on “आंखीं म गड़ जाए रे चढ़ती जवानी”

पूरा समझ तो नहीं आया मगर रंग जमा दिया होगा..पक्का!!

आभार हमारे साथ बांटने का.

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