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कविता

आके हमर गांव…

तैं झुमर जाबे रे संगी, आके हमर गांव
तोला का-का बतांव, तोला का-का बतांव….
उत्ती म कोल्हान के धारा रेंगत हे
बोहरही दाई जिहां मया बांटत हे
जिहां बिराजे महादेव-ठाकुरदेव के पांव….
चारोंखुंट तरिया अउ डबरी जबड़ हे
लोगन के मया पहुना बर अबड़ हे
मया-भेंट पाबे अउ अंतस म ठांव…
रंग-रंग के भाजी-पाला, आनी-बानी खाई
मुसकेनी, अमारी अउ लम्हरी तोराई
इढऱ के कढ़ी देख, मन होही खांव-खांव…
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सुशील भोले
म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.)
मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811
ईमेल – sushilbhole2@gmail.com
ब्लाग – http://mayarumati.blogspot.in/

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