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कविता

आम आदमी

आम आदमी के का औकात हे
ओखर बर मंहगाई हे
गरीबी, रोग-राई हे
दु:ख के दुनिया हे
झुग्गी, अऊ कुरिया हे
खैराती अस्पताल हे
न दवई, न डॉक्टर, खस्ता हाल हे
राशन दुकान हे
न कोनो समान हे
इसकुल हे लईका के
भीड़ कोरी खईरखा के
नईए गुरुजी
पढ़ई नइ हाय हे शुरूजी
थाना म, दफ्तर म
नेता के घर म
रेल म, मोटर म
गांव म, सहर म
भीड़ बड़ भारी हे
बड़ लाचारी हे
मंत्री ह आय हे
सड़क ह छेकाय हे
दरिद्री अऊ भूख, पियास
टूटत हे मन के आस
धनवाला, पद वाला हीरा आय
अउ आम आदमी त मकोरा कीरा आय।
आनंद तिवारी पौराणिक
श्रीराम टाकीज मार्ग
महासमुन्द