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कविता

ऐसो के देवारी म

deepak
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चारो मुड़ा गियान के उजियार हो जाए
अगियान के अंधियारी घलो मिट जाए,
दिया जले मया-पिरीत के
सबो अंगना अऊ दुवारी म,
कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म।
समारू के बेटा घलो नवा कपड़ा पहिर सके,
मंगलू के नोनी सुरसुरी जलाके फटाका फोर सके,
दिखे बबा अऊ डोकरी दाई के चेहरा म
खुसी के चिन्हारी न,
कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म।
घमघम ले बाली के मारे
धान के पउधा ह लहस जाए,
डोली म फसल ह
सोना-चांदी बरोबर चमक जाए,
गुलाब अऊ गोंदा के महक उठे
जम्मो के बखरी बारी म,
कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म।
मंदिर-मस्जिद म मनखे-मनखे
एक हो जाए,
सुनावे मंदिर ले कुरान[/bscolumns][bscolumns class=”one_half_last_clear”]
अऊ मस्जिद में गीता रमायन हो जाए,
जम्मो मान लेवन
ये भुइंया ल अपन महतारी न,
कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म।
जुआं-सट्टा अऊ दारू के धंधा बंद हो जाए,
लड़ाई-झगरा अऊ अतियाचार खतम हो जाए,
असत में सत पर जाए एकदम भारी न,
कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म।
शहर के लोगन हांसे गाए,
गांव के मनखे मुस्कुराए,
प्रदेश भर में मजाच्च मंजा हो
अऊ देश खुशी म खिलखिलाए,
अब्बड़ आनंद भर जाए ‘सादर’
दुनिया के सबो नर-नारी म,
कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म।
राजेन्द्र शर्मा ‘सादर’
ग्रा. व पो. जंजगिरी (बीएमवाई)
जिला -दुर्ग (छग)[/bscolumns][bscolumns class=”clear”][/bscolumns]