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कविता गीत

करिया बादर छागे

करिया करिया बादर छागे, सनन सनन पुरवैया चलै ना
उमड़ घुमड़ के गरजन लागे, कड़क कड़क के बिजुरी चमकै  ना

झिमीर झिमीर गीत सुनावै, गावै बरखा रानी
नरबा तरिया डिपरा खोचका, गाव माँ भरै पानी
टिप टिप छानी चुहचुहागे, खुजरी ओढ़े खपरा उलतैना

टरर टरर मेंचका के बोली, मोर नाचै वन मा
चकवा चकवी दुनो मिलगे, फूल महके तन मा
धरती के अचरा हरियागे, ठुमके गोगी कनिहा लचकै ना….

तो तो तो तो बइला के तुतारी, जोते नांगर खेत ला
मारे ददरिया के तान जोही, बासी धरे मेड़ मा
नंगरिहा के बुता फरियागे, मृदंग बाजे आल्हा गरजै ना…

अरुण कुमार साहू “अमित”
बालोद