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कविता संग्रह : रउनिया जड़काला के

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रचनाकार
चोवाराम वर्मा ‘बादल’

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कवि परिचय
नाम श्री चोवाराम वर्मा “ बादल “
पिता स्व. श्री देवfसंग वर्मा
जन्मतिथि 21मई सन् 1961
जन्म स्थान ग्राम कुकराचुंदा,
जिला – बलौदाबाजार,छ.ग.
शिक्षा एम.ए. हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र
साहित्य सृजन 1984 से निरंतर
विधा काव्य,कहानी,एकांकी
भाषा हिन्दी,छत्तीसगढ़ी
प्रकाशित कृतियां रउनिया जड़काला के
अप्रकाशित कहानी संग्रह हिन्दी
अप्रकाशित एकांकी संग्रह हिन्दी
अप्रकाशित काव्य संग्रह हिन्दी
सम्प्रति व्याख्याता, उच्च. माध्य. विद्यालय केसदा
जिला – बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो.नं. – 9926195747

कोन मेर का हे
1- गनपति गनेश
2- गुरू वंदना
3- गुनत रइथौं न
4- वाह रे चुनाव
5- हिन्दी के दुरगति
6- दबंग – दबंग
7- दुरगा दाई आथे
8- आरक्षण
9- बधाई हे बधाई
10- रउनिया जड़काला के
11- दसेरा
12- धरती दाई
13- बापू फिकर झन कर
14- ररूहा मर
15- चिनहा हे
16- मलोवन के साग
17- तिहार
18- भाजी
19- नेता बन जावो रे
20- टक टक ले दिखत हे
21- बुधकतरू
22- चक्कर उपर चक्कर
23- सुराज
24- गरबा
25- परघनी
26- सावन
27- भारत भुईयां
28- प्रभु अवतार
29- छत्तीसगढ़िया
30- बिचित्र बात हे
31- कतको दिया बार
32- धजा लहरावत हे
33- भ्रष्टालचार
34- जिनगी सागर म
35- घोटाला
36- अब तो जाग जावौ
37- आना बईठ ले
38- आवेदन आमंत्रित हे
39- पितर
40- कुण्डली
41- खनती खनके
42- हरिनाम गा रे
43- तिजा उपास
44- हाय वोटर
45- छत्तीसगढ़ मैं छत्तीसगढिया
46- जेठ इंतराव हे
47- होरी खेले म
48- हे राम
49- गुन ल सकेलौं
50- रितु राज के दरबार
51- नांगर जाते ल

1.गनपति गनेश
गनपति गनेश प्रभु गनपति गनेश।
आजा मिटा दे हमर सबके कलेश।।
बिदिया के दाता
देवईया नवनिधि के ।
पिता शुभलाभ के,
स्वामी रिद्ध सिद्धि के ।।
हरदे हिरदे के प्रभु, ईष्या अऊ द्वेश ।
गनपति गनेश प्रभु, गनपति गनेश।
मोदक चढ़ा के,
फल मनवांछित पाथें ।
संकट मिटा जाथे ,
जेन तोला मनाथे ।।
एकदंत दयावंत, तोर घुंघरालू केश ।
गनपति गनेश प्रभु गनपति गनेश ।।
माता के परम भक्त,
देवता में सबले सशक्त ।
देथच सहारा तैं,
आथे जब बुरा वक्त ।।
हंसी खुशी झूमत राहत, प्यारा मोर देश ।
गनपति गनेश प्रभु गनपति गनेश ।।

2 गुरू वंदना

गुरू ज्ञान के तैं सउंहे थाती,
तहीं तेल दिया अऊ, तंही बाती ।
भटकत हंव रद्दा देखा दे,
भव सागर पार लगा दे ।।
दू नैना हे फेर हंव अंधरा,
भैरा के संग कोंदा संघरा ।
नई बाचे सकंव पोथी पतरा,
माथा म भरे हे माया कचरा ।।
ओमा तुरते आगी लगा दे ।
भव सागर पार लगा दे। गुरू…………….
काम क्रोध कांटा बगरे हे,
जिनगी मोर बद परिया परे हे,
चारी चुगरी दूबी कांदी भरे हे,
हिरदे मोर पथरा लहुटे हे
जोत फांद के धनहा बना दे ।
भव सागर पार लगा दे । गुरू……………
बिजहा बिना डोली सुन्ना,
करम के कोठी हे उन्ना,
खा डरे हे सबो ल पाप घुना,
मन माते मतंग कर कतको मना ।
तोर किरिपा के रोपा लगा दे ।
भव सागर पार लगा दे । गुरू……………

तोर दया मया सावन भादो,
भाव भजन के मुंही बंधवाबो ।
छल कपट के सांवा fनंदवाबों,
पुन धरम के खातू fछंचवाबो ।

मोर अरजी हे तोर मरजी ल तैंहा बता दे ।
भव सागर पार लगा दे । गुरू……………….

ÛÛÛ

3. गुनत रइथौं न

ए सुनत रइथौ न ऽऽए गुनत रइथौ नऽऽ
कइसे पहाही जिनगी जी गुनत रइथौं न ऽऽ ।
चाय पी के चारी करे, बईठ पेपर बांचे ।
पारा मं भट्ठी खूलगे, उघरा होके नांचे ।
ए सुनत रइथौं न………………
आँखी म जी करिया चश्मा, मुंड मं उल्टा टोपी ।
शूट बूट मं बेटा दिखय, बाप झूंल fनंगोटी ।
ए सुनत रइथौं न………………
पाँच बरस ले राजा बने, पांच दिन भिखारी ।
आगे चुनाव खड़े दिखे, हांथ जोरे दुवारी ।
ए सुनत रइथौं न………………
उल्टा चोर कोतवाल ल डांटे, सुन के आवै हांसी ।
थाना मं जी चोरहा मरगे, थानेदार ल फंासी ।
ए सुनत रइथौं न………………
बुढुवा दिखय सांगर मोंगर, पहिली के जमाना ।
अब लईका ल बनादेच बुढुवा, गुटका खजाना ।
ए सुनत रइथौं न………………
दू हजार के नवकरी बर,घूस पचास हजार ।
गांव -गांव शहर – शहर, दलाली के बाजार ।

ए सुनत रइथौ न ऽऽए गुनत रइथौ नऽऽ
कइसे पहाही जिनगी जी गुनत रइथौं न ऽऽ ।

ÛÛÛ

4 वाह रे चुनाव

वाह रे चुनवा, तोर बुझाजतीच नांव।
जब लें तैं आये हच, होगे कांव कांव ।।
भाई संग भाई ल, तैंहा लड़वा डरे ।
जनम भर के मितमितानी, छिन भर म मेंट डरे।
जेती देखबे उही कोती हाबय हांव हांव।
वाह रे चुनवा, तोर बुझाजतीच नांव।
छल करे अइसे, सबला, बनादेच लबरा।
गईरी कस मता डरे पारा-पारा झगरा ।।
काट डरे मया रूख ल, कांहंा मिलही छांव।
वाह रे चुनवा, तोर बुझाजतीच नांव।
निसरमी बना डरे, सबला, भिखारी।
घुमा डरे हाथ जोरे, ये दुवारी वो दुवारी।।
खिया जही मांथा घलो, परत परत पांव।
वाह रे चुनवा, तोर बुझाजतीच नांव।
का जादू करे अइसे, मुक्का के बोली फुटगे ।
अंधवा के जी अब तो, टकटक ले आँखी बरगे।
भैरा ह कान टेंड़ के, कइथे कुछ सुनाव।
वाह रे चुनवा, तोर बुझाजतीच नांव।
डोकरी दाई के फरमाईस, लुगरा चाही ऊंचहा।
डोकरा बबा खाहौं कइथे, पिहुं ठंड़ा चाहा ।
हरियर – हरियर नोट संग आई.बी के पाव।
वाह रे चुनवा, तोर बुझाजतीच नांव।

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ÛÛ0ÛÛ

5 हिन्दी के दुरगति

हिन्दी बुझावत हे, अंगरेजी गुगुवावत हे।
हिन्दी पछुवावत हे, अंगरेजी अगुवावत हे ।

नवां नवां किसिम किसिम के आगे अंगरेजी,
बीते जुग के गोठ, सही हिन्दी नंदावत हे।

हिन्दी बनगे बईला, गाड़ी मं फंदावत हे ।
गाड़ा म बइठे अंगरेजी, कोर्रा चमकावत हे।
हिन्दी जस छोटे सरांगी, भाशा के तरिया मं।
अंगरेजी पोठ पढ़ीना, कूदा – कूदा के खावत हे।

हिन्दी चपरासी, अगंरेजी साहब आॅफिसर हे।
सौंजिया ह गौंटिया ल आँखी देखावत हे
इंगलिश बनगे सेठ, हिन्दी बनगे नाँऊ
हाथ पाँव चपकाके, मालिश करावत हे।

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6 दबंग – दबंग

दबंग दबंग दबंग, चारों खूंट दबंग हे।
चरचर ले चिरागे, काबर, पेंठ अबड़ तंग हे।

घर दुवार सभा समाज
स्कूल कालेज नईये लाज
अरात बरात म झपटे बाज
बिना बिघन कहां शुभ काज ।

हुड़दंग हुड़दंग, सबो जगा हुड़दंग हे । दबंग………………

कोनो नइये पाछू, टूरी मन घलो दबंग हे ।
बूचड़ी – बूचड़ी कपड़ा, उहू मकस के तंग हे।
फैशन रंग रंग के जम्मो मर्यादा भंग हे।
निसमूढ़ दाई ददा, उही देवत संग हे ।

ये कईसन पहनावा, झलकत सरी अंग हे। दबंग……………….

बेटा बर बाप, बाप बर बेटा।
भाई ह भाई के परे हे सपेटा।
सस बर बहू, बहू बर सास ।
भऊजी अऊ ननद, कभू फेल कभू पास।

डोकरी डोकरा ल, लईका मन कर डरे तंग हे। दबंग……………..

सरपंच बर पंच, पंच बर वार्डवासी।
अविश्वास प्रस्ताव के, लटके रइथे फांसी।
मुखिया हे दुखिया, आथे रोवासी ।
अधिकारी सुनय, गुर्रावय चपरासी।
विरोधी विरोध विरोध, भरे सरी अंग हे।

ककरो चुटकी दबंग हे, ककरो चुटका दबंग हे।
ककरो मुटकी दबंग हे, ककरो मुटका दबंग हे।
ककरो सुटका दबंग हे, ककरो गुटका दबंग हे।
कोनो सन्यासी दबंग हे, कोनो साधु दबंग हे ।

भले मेला म बइठे, नंगरा नंग धड़ंग हे। दबंग…………….

मुन्नी बदनाम हुई, श्लोक असन याद हे।
शीला के जवानी म, पूरा देश बरबाद हे।
टिंकू जिया ओ, पिया पिया पिया।
पांच साल के लईका ल, हमी मन सिखो दिया।

संस्कृति के नाम म, सब्बो संस्कार भंग हे।
दबंग दबंग दबंग, चारो खूंट दबंग हे।

ÛÛ0ÛÛ

7 दुरगा दाई आथे

उज्जर मन ले पार गोहार,
तब दुरगा दाई आथे।
अपन लईका जान महतारी,
दुरगति दूर भगाथे।

जब चारों मुड़ा घपटे अंधियारी,
कोनो रद्दा दिखय नहीं।
कतको जांगर पेर कमाबे,
जब दुख दरिद ह मिटय नहीं।
कोनो बयरी के बोए कांटा,
गोड़ गड़े जब fहंटय नहीं।
फूटे भाग करम के रेखा,
मेटें म जब fमंटय नहीं।

उज्जर मन ले पार गोहार, तब दुरगा दाई आथे। अपन……………….

जब झांझझोला, जिनगी के जेठ,
सावन जाय नंदाय ।
जब भाई भतीजा, संगी साथी,
देवय गा बिसराय।
कालनेमि कस देखौटी हितवा,
रद्दा म दय बिलमाय।
जब अहिरावन, रूप धरे विभीसन,
हनुमान ल दय भरमाय।

महिसासुर कस अब के मनखे, जब कौंरा नंगा के खाथे।
उज्जर मन ले पार गोहार, तब दुरगा दाई आथे।

मुड़ी नवां के धान के बाली,
भुइंया ल करै परनाम।
निसदिन सेवा करत सेऊक मन,
दाई के लेवय नाम।
कुंवर कुंवर जुड़हा बाढ़य।
निक निक लागय घाम।
छोलय बियारा मंगलू भईया,
गाड़ा के करै सिरजाम ।

गांव – गांव में राम के लीला, जब जी धुम मचाथे।
उज्जर मन ले पार गोहार, तब दुरगा दाई आथे।
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8 आरक्षण

वही दे आवत हे आरक्षण
प्रतिभा के करत भक्षण।
अलकरहा हे ओकर लक्षण।
हल्का फुल्का नइये, भारी वजन।

कोनो ल गिराथे,
त केानो ल उटाथे,
जात – पांत के आगी ल,
माचीस बार लगाथे।
अड़बड़ हे ओकर महिमा,
वोट ल बढ़ाथे।

पहिली दू ठन सींग रहीसे,
एस.टी.एस.सी.
अब एक ठन अऊ जामगे,
ओ.बी.सी.
वाह रे धम धूसरी भंईसी
देशी नसल के रहेच अब होगेच जर्सी।

कोनो जात के होवय,
गरीब ल दूध पियाते।
पोशण दे के तैंहा,
कुपोशण ल भगाते।
तब सच मे कपिला,
गऊ माता कहाते।

9 बधाई हे बधाई

बधाई हे बधाई, आगे नवा साल हे ।

बधाई हे fजंकर करा,
चुनाव के बांचे माल हे ।
जीते हें fतंकर बर हार,
हारे के माथा बर गुलाल हे ।
कार्यकर्ता मन बर भावना के,
सादा अऊ लाल हे ।
बधाई हे बधाई,
आगे नवा साल हे ।
बधाई हे बधाई,
डिफाल्टर मन के करजा छुट होगे ।
ईमानदार पटईया मन के,
झूमा झटकी लूट होगे ।
तनखा बढ़वाये बर,
कर्मचारी तन एकजुट होगें ।
टाटा के सफारी अऊ,
बाटा के बूट होगें ।
चारों खंूट बेरोजगारी, जीव के जंजाल हें ।
बधाई हे बधाई, आगे नवा साल हे।
बधाई हे भईया समारू,
एक रूपिया के चांऊर खाबे ।
एक दिन कमाबे अऊ,
पंदरही मेछराबे ।
काम में आवत हौं कहिके,
घलो नई आबे ।
एडवांस, ले लेबे फेर,
मुड़ धर के रोवाबे ।
कतको बाढ़ही रोजी,अरे मुरदा
fजंदाबाद fजंदाबाद चिल्लाबे ।
बेचाल नेता मन के, जऊंहर कमाल हे ।
बधाई हे बधाई, आगे नवा साल हे।
भविष्यवाणी हे, बड़का मन अऊ मोटाही ।
मध्यम हे तेनमन, थोकुन दुबराहीं सोटाही ।
उद्योगपति मन के, दुरगति होही ।
मंहगाई परेतीन, रहि रहि के बटोही ।
नेता चुहकही आमा, जनता बर गोही ।
अफार बइठे कुरसी म धरे गरी फोही ।
घोटाला के अबड़ेच योग,शनि के आँखी लाल हे ।
बधाई हे बधाई, आगे नवा साल हे।

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10 रउनिया जड़काला के

बिहनियां रऊनिया जुड़हा,
मन हो जथे कुनकुनहा,
जइसे केानो मोटियारी ह, हांस के गोठियादीच ।
जइसे अपन सुवारी ह, तेल ल चुपरदीच ।

रूखवा के टीप म बइठे,
हाँसत रइथे टूरा अंजोर ।
उतर नहीं ते धुंधरा भईया,
रगड़ा ल देही टोर ।

बेलबेलहा टूरा ईंतरौना, ठेंगा ल देखादीच ।
जइसे कोनो मोटियारी ह, हांस के गोठियादीच ।

कुंवर कुवंर हांथ म,
जब धरती ल तैं छुथच ।
मुचमुच मुसका देथे,
बता न का कईथच ।
नवा नवेली बहुरिया कस निच्चट लजागीच ।
जइसे कोनो मोटियारी ह, हांस के गोठियादीच ।

घर कुरिया दिखथे,
उसनींदा रात जागे हे ।
डारा पाना नार बियार,
बेरा होगें तभो सूते हे ।

घुरघुरहा हवा कका, मया म पोटारदीच ।
जइसे कोनो मोटियारी ह, हांस के गोठियादीच ।

कंऊवा ह आये नइये,
नहाये बर बलाये ।
अंधियारी नोनी हाबय,
केानो केान्टा म लुकाये ।

एक कटोरी गरम चाहा, भौजी ह मढ़ादीच ।
जइसे कोनो मोटियारी ह, हांस के गोठियादीच ।

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11 दसेरा

असो दूंहा के रावन,
पऊर ले हे दुगूना ।
लागथे समिति वाले मन,
जम के लगाये हे चूना ।
अभी ले योजना बन गेहे,
अवईया साल अगास ल हे छूना ।
दू सौ फूट के बनही रावन,
हंडा कस मुड़ी दस ठन ।
तेमा मेंछा दस फुट ,
आंखी डरडरावन ।
मैं सोंचेव ये उल्टा कइसे होवत हे ।
राम दुब्बर, रावन मोठ – डांट होवत हे।
रावन कोन से टानिक पियत हे ।
सालपुट मरथे फेर कइसे fजंयत हे ।
सोचेंव त, बात समझ में आगे ।
हिरदे धक ले करदीच, मति बऊरागे ।
बलत्कार, हत्या डकैती,
दसो गुना बाढ़े हे ।
मेघनाथ के गरजत सेना,
गली गली म ठाढ़े हे ।
बिहनियां मांस, मंझनिया मांस,
संझा मांस, रथिया मांस,
चईत बइसाख, जेठ असाड़,
सावन भादो अऊ चौमास

बोकरा भेड़वा कुकरा कुकरी,
सूराबधिया के मास ।
दारू दारू चौबीस घंटा दारू,
धरम करम के होगे नास ।
व्यभिचार के बाजार लगे हे,
सुर्पनखा फांसत हे हांस ।
राम के संग म लछिमन नइये,
सीता भोगत हे बनवास।
हनुमान कहां खोजे ल जाही,
गुड़ी म बइठे खेलत हे तास।
बाली बइठे हे थाना म,
मुड़ बोहे सुग्रीव के लाश ।

मंदोदरी अब नई समझावय,
उपराहा देथे पंदोली ।
अब विभीषण सपट के आथे,
हांथ धरे तमंचा गोली ।
अंगद के गोड़ कहाँ हे,
भ्रष्टाचार ह काट डरे हे।
कहाँ हे नल – लील इंजीनियर,
ठेकादार मन सांट डारे हे।
राजनीति के कालेनेमी ह,
देवत हाबय अबड़ दगा ।
देखौटी धरम के धजा,
फहरावत हे जगा जगा ।
ऊंकरे पुन्य परताप ह,
रावन ल मिलत हे ।
बाढ़त हे बाढ़ी कस,
अजर अमर जियत हे ।

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12 धरती दाई

धरती दाई ऽऽ, धरती दाई ऽऽ,
तोर गुन ल ओ गावन धरती दाई ऽऽ ।

कन – कन म तोर संउहे बिराजे,
राम अऊ लछिमन सीता ।
महिमा तोर बखाने हाबय,
रमायेन अऊ गीता ।

महतारी ऽऽ, महतारी ऽऽ,
तोर सेवा ल बजावन धरती दाई ऽऽ । तोर गुन…………..

भव ले पार होगे कतको,
जेन तोर गुन ल गाईन ।
दुच्छा झोला भरगे दाई,
हीरा मोती पाईनऽऽ ।

महतारी ऽऽ, महतारी ऽऽ,
तोर पंईया पखारन, धरती दाई तोर गुन………………

–0–

13 बापू फिकर झन कर

बापू, तैं fचंता फिकर झन करबे,
हम तोर सपना के,
भारत बनाबो ।
आनी बानी के जोजना बनाबो,

खाबेा अऊ खवाबो,
पईसा सिरा जही त केाई बात नहीं
विदेश ले मांग के लाबो
नहर खनवाबों, बांध बनवाबो,
साक्षरता अभियान चलाबेा,
भले दू झन पढ़े ल झन सिखय,
कागज मं सोला आना देखाबो ।

बापू तैं चिंता फिकर झन कर,
हम तोर सपना के, भारत बनाबो ।

बैंक ले करजा देके,
पच्चीस परसेंट घूस लेके ।
बाँचीस तेमा रो धो के,
घरोघर पानठेला खेालवाबो,
धीरे-धीरे दुकान ल सिरवाबो ।
तीन साल म नोटिस चपकाबो
दूच्छा हाथ झर्रावत आबो
अइसने करके कुटीर उद्योग लगवाबो ।

बापू तैं fचंता फिकर झन करबे,
तोर सपना के, भारत बनवाबो ।
महिला आरक्षण, महिला आरक्षण
राग धरके बोमियाबो,
काम के बेरा मौका पाके,
संसद ले उठ पराबो ।
बाहिर में फेर चिल्लाबो
दूसर ऊपर दोष लगाबो
गुस्सा में विधेयक ल नंगाबो
चिथरा चिथरा करबे देखाबो,
अइसने करके नारी जागारिती लाबो ।

बापू तैं fचंता फिकर झन करबे,
तोर सपना के, भारत बनवाबो ।
अल्पसंख्यक मन के सवाल हे,
अइसे तो अड़बड माते बवाल हे ।
हमला तो अपना वोट के खियाल हे ।
हमला का मतलब बहुसंख्यक मन के का हाल हे ।
हम तोर बेंदरा कस चुपचाप रहिबो
तभो तो आन ल सांप्रदायिक कहिबो
दू के झगरा में तिसरईया फायदा उठाबो
अइाने करके भाईचारा लाबो ।

बापू तैं fचंता फिकर झन करबे,
तोर सपना के, भारत बनवाबो ।
पाकिस्तान कुछू करय,
संसद में रखवार मंरय ।
ए गाल म रोल उपटही,
ओ गाल ल दतांबो ।
लाहौर अऊ करांची, बस लेके जाबो,
जोहार भेंट करके, मीठ-मीठ गोठियाबो
समझौता होगे कहिके, ढींढोरा पिटवाबो
शांति, शांति, शंाति ससन भर ओरियाबो
तभे तो दुनिया मं शंातिदूत कहाबो ।

बापू तैं fचंता फिकर झन करबे,
तोर सपना के, भारत बनवाबो ।

मुंह में राम बगल में छुरी,
मुड़,में गांधी टोपी ।
भाषण देबो नशा विराधी,
लुका छिपा के पी ।
तोर त्याग के महिमा गाबो,
भले हिरदे पईसा लोभी ।
गॉंव – गांव, में झगरा मतवाबो,
दूसर के कौरा नंगा के खाबो
हरिजन आदिवासी के जै बोलाबो
तभे तो पक्का गांधीवादी कहाबो ।

बापू तैं fचंता फिकर झन करबे,
तोर सपना के, भारत बनवाबो ।

–0–

14 ररूहा मर
ए देश हमर ए धरती हमर ए
ररूहा मर, दुच्छा तोर, भरती ऊंकर ए
कश्मीर ले लेके, एके हे, कन्याकुमारी
सब जगा भ्रष्टाचार लूट खसोट लबारी ।
कुर्सी मं बईठें हे fतंकर जोर हे ।
ररूहा मर गलती तो तोर हे ।

एक रूपिया, दू रूपिया के अन्नपानी,
ररूहा समझें, काबर खुले हे दुकानी ।
ये हा विकास पुरूष, माटीपुत्र छत्तीसगढ़िया ।

ररूहा मर तोर वोट, ऊंकर गोठ बढ़िया बढ़िया ।

देहा अफसर, वोहा मंतरी, त येहा नक्सली ।
ररूहा चिन्ह केान असली कोन नकली ।
संसद म बइठे बइठे, रंग – रंग के गोठियावंत हे ।

ररूहा मर तोर घर, बम बारूद म भुंजावत हे ।

थूंके थुंक मं लाडू बंधागे, गांव – गांव विकास
ररूहा देखय चुपचाप, महंगाई के बिनाश
गॉंव – गांव म गोदी माटी, सरकार ह खनावत हे ।

ररूहा मर तोर पईसा ,ऊंकर भटटी म ओfल्हायवत हे ।

गली गली म भाजी भांटा, जस दारूह बेंचावत हे ।
कतको सरपंच कमिसन खाके, घोस -घोस ले मोटावत हे ।
गरीब गुरबा मन, गेंहूँ, कस कीरा मनमाड़े रमजावत हे ।
ररूहा मर तोर बर बिकास कहाँ, बिनाश ह आवत हे ।

15.चिनहा हे

चिनहा हे हमर छत्तीसगढ़ के,

गऊरी अऊ गऊरा
तुलसी के चंवरा
गेंड़ी अऊ भंवरा
चटनी बासी दू कंवरा ।

चिनहा हे हमर छत्तीसगढ़ के

तीजा अऊ पोरा
धान बेंचई बोरा – बोरा
लागा ह बाठे, मुसुवा कस केारा
लेकर छूटत ले, हाथ भर फोरा

चिनहा हे हमर छत्तीसगढ़ के

हंकर हंकर कमई
तभो ले हाथ लमई
गांव – गांव झगरा अऊ लड़ई
गली – गली दारू के बेंचई

चिनहा हे हमर छत्तीसगढ़ के

तेंदू के पान, पथरा के खदान
किसान भाई के धान, भाव आन तान
लेय बर सरकार हलाकान
झपटे बर चारों मुड़ा चेचान

चिनहा हे हमर छत्तीसगढ़ के

कमाये खाये बर कानपुर जवई
बेटी बेटा के बिगड़ई
मेला अऊ मंडई, उदाली मरई,
चुनाव में कुकरी कस लड़ई ।

चिनहा हे हमर छत्तीसगढ़ के

नाम बड़ा सरलहा, केानो सरही, कोनो सरहा
कभू – कभू अलकरहा, ककरो मरही, ककरो मरहा
ककरो समारू, ककरो बुधारू, बरहा
ककरो समे, सुकलहा ककरो मंगलू दुकलहा

चिनहा हे हमर छत्तीसगढ़ के ।

–0–

16. मलोवन के साग

हमन मलोवन के साग होगेन जी
ओमन ताजा तरकारी, रखिया पाग होगे जी ।

जांगर पेर के मरहा होगेन,
ओती बइठे मोटागे
मोटरी मोटरी सुख ह कइसे,
ऊंकरे घर सकलागे ।

हमर करम छंड़हा, फुटहा भाग होगे जी ।
ओमन ताजा तरकारी, रखिया पाग होगे जी ।

चिरहा लुगरा, फटहा धोती,
उजरे खपरा छानहीं ।
केाठी सुन्ना, पेट उन्ना
वाह रे जिनगानी ।

एती घेंच बईठे, ओती छत्तीस राग होगे जी ।
ओमन ताजा तरकारी, रखिया पाग होगे जी ।

बनी करईया भूख मरत हे,
बईठांगुर खीर झड़के ।
सोना चांदी रूपिया पईसा,
ठनाठन खनके ।

जेला अपन जानेन, बिखहर नांग होगे जी ।
ओमन ताजा तरकारी, रखिया पाग होगे जी ।

–0–
17. तिहार

वाह जी सरकार, तोर लीला अपरमपार
रात दिन जगा जगा, मनावत हच चुनाव तिहार ।
आज फलाना चुनाव, काल ढेकाना चुनाव
हमला का हे जनता मन, रोज चुनाव
चुना चुना के बुचुवा हो जाय
एक दिन दारू पी, मुरगा खाव
तहाँ ले भेंड़ी कस, मुड़ नवाव ।
ऊंकर बाढ़, गेहे भाव
तुंहर ठंडा परगे हे ताव ।
चरों मुड़ा हांव – हांव ।
एती खांव, ओती खांव ।
गरीब के रोटी बर कांव – कांव
आलिका चुनाव, पालिका चुनाव
सालपुट चुनाव, घेरीभेरी चुनाव
एकर से बांचे बर हे, त पनही उठाव
घेरीभेरी वोट मंगईया मन ल दुचार लगाव

–0–

18. भाजी

मोर छत्तीसगढ़ के भाजी, मोला आथे खवासी खवासी ।
बड़े बिहनिया ले बड़ सुहाथे, मिरचा के संग बासी ।

नरवा तीर के खा मुसकेनी,
हांस हांस गोठियाले।
टोर के बर्रा उत्ताधुर्रा,
मोटरी भर गंठियाले।

कोहको ले रतिहा कुन खाले, रांध के कोहड़ा भाजी ।
मोर छत्तीसगढ़ के भाजी, मोला आथे खवासी खवासी ।

भाजी मछेरिया, मछरी काहे,
अइसन वोकर सुवाद।
बांबी भाजी लम्हरी लम्हरी,
रांध ले छांट निमारं

दुरिहा कहाँ खाले ल जाबे, भर्री डोली रहवासी ।
मोर छत्तीसगढ़ के भाजी, मोला आथे खवासी खवासी

डार अमारी रांध ले भऊजी
बखरी के तैं चेंच ।
खाही भईया मड़िया के वो,
लमा लमा के घेंच ।

कुरमा भाजी गोंदली के फोरन, चिखना कस खवासी ।
मोर छत्तीसगढ़ के भाजी, मोला आथे खवासी खवासी।

उलहा उलहा fतंवरा भाजी,
घातेच जी मिठाथे ।
भाजी चरौंटा अऊ चनौरी,
हटरी म घलो बेंचाथे ।

पटवा भाजी संग हरियर मिरचा, चाब आवैं सुसवासी ।
मोर छत्तीसगढ़ के भाजी, मोला आथे खवासी खवासी।

रांध बोहार झन पार गोहार,
सुन भौजी परोसीन, लेही डोहार ।
भाजी के कतका महिमा ल गावौं,
बादल के जम्मो ल जै जोहार ।

दुरपती घर किशन कन्हैया, भाजी म होंगे राजी ।
मोर छत्तीसगढ़ के भाजी, मोला आथे खवासी खवासी।

–0–

19 नेता बन जावो रे

एक बजे एक बेर, दू बजे दू बेर, तीन बजे तीन बेर,

कस कस के खावो रे ।
फोकट के ताय , खाके अंटियावो रे ।
जीप डाहर जावो रे , माईक म चिल्लावो रे
आनी बानी के राग धरके ,
कुकुर कस बोमियावो रे ।

कईसनो करके नेता बन जावो रे ।

चार बजे चाय पीये, पांच बजे पान खावो ।
छः बजे भजिया खाके, भांटा कोती दंऊड़ लगावो
फोकट के पावो, मरत ले खावो, पीओ,
आवो, जावो नरियावो, पईसा कमाओ ।

भोकवा हौ तभो ले नेता कहावो रे ।
कईसनो करके नेता बन जावो रे ।

सात बजे सादा के आठ बजे अंगरेजी के
नौ बजे नवरंगी के , पऊवा ढरकाओ रे,
आंय बांय चिल्लावो, सब करा रोfम्हायावो रे,
उन्डत उन्डावत घर आवो, बाई ल ठठावो रे ।

अपेली करके दाई ददा ल गुर्रावो रे ।
कईसनो करके नेता बन जावो रे ।

दस बजे दस लबारी ,ग्यारा बजे चारी,
बारा बजे पारा म झगरा करवावो रे ।
मंदिर म फेको कचरा मस्जिद म पथरा,
चर्च मेर फाग गाके, नंगारा बजावावो रे ।

सौ मुसवा खाके, हज म जावो रे ।
कईसनो करके नेता बन जावो रे ।

20 टक टक ले दिखत हे

चारो कोती पानी पानी , पुरा म बोहागे पंजाब बिहार ।
एती बर पानी बिना सुक्खा, तरिया, ढोड़गा, खेत अऊ खार ।
करनी के फल भुगते ल परथे, टक टक ले दिखत हे ।
मनखे ह अपने हाथ में , अपने तकदीर लिखत हे ।
मंजिल के ऊपर मंजिल बिfल्डंग, बड़े-बड़े कारखाना ।
तोप डरेन धरती दाई ल, डामर गिटटी के ओढ़ना ।
जइसे करनी तइसे भरनी, सोला आना हाना ।
बोए पेंड़, बबूल के , आमा कहाँ ले पाना ।
आनी-बानी के दवाई पानी ,धरती के भुंजाना ।
सब भांठा भर्री बेंच डरेन, दू कौड़ी दू आना ।
नरवा ढोड़़गा ल चपक डरेन, बढ़ा बढ़ा के खेत ।
उजरगे हमर डीह डोंगरी, जंगल झाड़ी, समेंत ।
घेर डरेन जम्मो आबादी, नई बांजीच पशु चरागन ।
कहाँ चरै मोर माता गईया, बता भईया मनराखन ।
रूख राई झन काटौ कइबे , कोनो ककरो नई मानय ।
जानबूझ के अपने गिरे बर , अपने गड्ढा खनय ।
पक्की-पक्की घर कुरिया, भोंभरा तिपय अशाढ़ म ।
कुलर पंखा, रात दिन हे चालू, सावन भादो कुंवार म ।
तोर महिमा ल तैं जान मालिक, का होवत हे ए संसार म ।
हाहाकार मचे हाबय तोर , माया के बाजार म ।

-0-
21 बुधकतरू

नोनी ह ले दे के, करे पाये रहीसे फरहार ।
मुंहाटी म ठाढे़, दमाद बाबू, फटफटी म सवार ।
कहीच हमला जल्दी जाना हे, समे नई पहाना हे।
मोर दीदी ल आजेच, ओकर ससुरार पहुँचाना हे ।
मैं कहेंव बाबू , चार पहर बिताले ईंहे ।
काम बुता कुछु नइसे, का करबे ऊंहे ।
आन मन ससुरार आथे, दू चार दिन रतियाथे ।
सुआगत सत्कार होथे , खा पीके जाथे ।
वो हा चालू करके फटफटी, करीच भुर्र-भुर्र ।
बोलीच आप नई समझव, आदरणीय ससुर ।
काल के जवईया, आजेच्च चल देबो, त का होही
रूके मं ईहां, तहू मन ला अबड़ परेसानी होही।
मैं, अरजी करेंव, मोर बाप हमर फिकर झन कर ।
तोर फटफटी ल ओलिहा , परछी केाती धर ।
कहीच ऊँ हूँ, ददा आजेच्च आये ल, कहे हे ।
अऊ कतका रईही तोर बेटी, ई हेच्च तो रहे हे ।
समझगेंव , बाबू हे बुधकतरू, नईये भोला ।
टुकुर टुकुर देखत रहिगेंव ,ओती जोरागे झोला ।

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22.चक्कर उपर चक्कर

चक्कर उपर चक्कर, चक्कर उपर चक्कर ।

सुसाइटी के चक्कर,
चांऊर नून शक्कर ।
झोला झोला ऊंकर बर,
मंगलू आबे काली जुवर
रजिस्टर में अंगूठा चपके बर
पैंतीस किलो चांऊर मिलही
खाबे कहाँ? बेंच के पिए बर ।

चक्कर उपर चक्कर, चक्कर उपर चक्कर ।

नेतामन ल चुनावी चक्कर
दौरा दिल्ली टिकिट बर
नई मिलीच त रिसाय बर
फारम भरे उठाय बर
खड़े, हे तेन ल, अंइठे बर
असंतुश्ट, पार्टी के जर उखेने बर
दूसर ल मार के खुद मरे बर ।

चक्कर उपर चक्कर, चक्कर उपर चक्कर ।

झंगलू के दुसर हे चक्कर
कोनो जीतै, मिलय पियेे बर
मुरगा पईसा बांटय घरोघर
सबला कहना हे, फिकर झन कर
तोरे म ठोंकबो, घर भर
अऊ जुगाड़बो, तोर बर
भईया थोकुन जेब ल ढीला कर ।

चक्कर उपर चक्कर, चक्कर उपर चक्कर ।

टुरा मन के आन हे चक्कर
कान म मोबाइल,घुमथें दिनभर
घर आथें बस खाये बर
कमी नईये अंटियाये बर
करिश्मा, ऐश्वर्या, रानी दू-चार
सब चक्कर, इही मनल संटियाये बर

चक्कर उपर चक्कर, चक्कर उपर चक्कर ।

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23 सुराज

अब तो हमरो गांव मं सुराज होही जी ।
बने बने अऊ बड़े-बड़े काज होही जी ।

संतरी अऊ मंतरी मन नई करही बहाना ।
नई होही घुसखोरी, घेरी भेरी जी घुमाना ।

काल के होवईया बुता आज होही जी ।
अब तो हमरो गांव मं सुराज होही जी ।

नवां नवां सड़क बनही, दवा खाना बनही ।
आंगन बाड़ी स्कूल म, जम्मो लईका पढ़ही ।

चुक चुक ले अंजोर, चंदा रात होही जी ।
अब तो हमरो गांव मं सुराज होही जी ।

छोटे बड़े जात पांत के नई होही झगरा ।
गरूवा अऊ बघवा मन, पानी पीही संघरा ।

दीन धरम कानून के राज होही जी ।
अब तो हमरो गांव मं सुराज होही जी ।

खार – खार खोर-खोर रेंगही नहर पानी ।
खातू माटी मिलही पूरा, पूरा जी किसानी ।

बेटी बेटा साहब गुनिया, नाज होही जी ।
अब तो हमरो गांव मं सुराज होही जी ।

24. गरबा
मोला गरबा नाचे म नीक लागे भवानी,
मोला गरबा नाचे म नीक लागे।
झांझ मंजीरा, मिरंदग,मोहरी, तोर मोहाटी म बाजे ।
मोला गरबा नाचे म नीक लागे ।

लईका लईकुशहा मन मटकत रहिथे,
मोटियारी कनिहा लचकावै
डोकरी डोकरा के सक नई चलत ये,
देख देख के हांसे ऽऽ।

मोला गरबा नाचे म नीक लागे । मोला…….

मुड़ मं बांधे लाली लाली साफा,
कनिहा मं जी पटकु ।
हांथे मं धरे fरंगी fचंगी डंडा, टूरा मन उम्हियागे ।
मोला गरबा नाचे म नीक लागे । मोला…….

कोनो चढा़वै फुलपान सुपारी,
कोनो नरियल केरा,
कोनो जलावै घी के दियना ऽऽ।

मोला गरबा नाचे म नीक लागे । मोला…….

सूरज जोत कस उज्जर मुखमंडल,
अगिन जोत कस काया ऽऽ,
आठ भुजा तोर fसंह सवारी ऽऽ।
सेउक मन जस गाथें ऽऽ,

मोला गरबा नाचे म नीक लागे । मोला….

25 परघनी

एक ठो बरात में केशियो बजात रेहेंव ।
टूरा नई जानय के धुन ल लहरात रेहेंव ।
ठंऊका एक झन आके कहीच ।
मेला जनईच टुन्न पीये रहीस ।
बेलीच -ए टूरा नई जानय बजा ।
मैं कहेंव -भईया काबर देथच सजा ।
उहीच्चल तो बजात हौं ।
ले जा तोला नचावत हौं ।
गीच अऊ नांगीन नाचे ल धरलीच ।
घोलंड के मनमाड़े, धुर्रा ल भरलीच ।
मैं समझगेंव टूरा नई जानय रे नइग् जानय ।
खरी मंझनिया मर जही, फेर नई मानय रे नई मानय ।

एक ठो परघनी म फरमाईस आईच ।
टूरा मन मनमाड़े चिल्लाई च।
गदर मचाही रे टूरी ह गदर मचाही ।
मैं समझेंव अब ऐ मन, जरूर मार खांही।
नाचत नाचत दू चार टूरा, खुसरीन माई लोगीन कोती ।
अऊ रमाझम परे ल धरलीच ओती ।
झीना झपटी कुरता पेंट चिरागे,
ककरो घड़ी ककरो मोबाइल फेंकागे ।
ककरो मुंहकान, माड़ी कोहनी छोलागे ।
मैं धुन बजायेंव ………………
ये मन ल झोल्टूराम बना देबे का ।
ये मन ल अस्पताल पहुँचा देबे का ।

एक ठन परधनी म लड़की वालेच्च मन
बिधुन होके नांचत हें ।
बरतिया मन, छांव मं,
खड़े खड़े हांसत हें ।
मैं सोचेव ये उल्टा गंगा कइसे बोहात हे।
बरतिया ठंड़ा, घरतिया मन ओकलात हे।
एकझन सियन्हा ल पूछेंव त बताईच ।
पूरा हिस्ट्री ल समझाईच।
कहीच दुलहिन हे गोरी, सरकारी नौकरी
तुंहर दुल्हा हे बेरोजगार, भले हे खेती खार ।
ओकर का चलही चौकरी।
मैं केशियों बजायेंव
बहारों फुल बरसाओं ऽऽ,
किसी का नौकर आया है।
संग में अपने और कितने चाकर लाया है।
एक ठो परघनी मं शुरू करेंव
दे दे प्यार दे, प्यार दे, प्यार दे रे………..
कोनो नचईया नई आईच ।
दूसरा धुन बजायेंव …………..
ए टूरी बम के गोला हे रे, ए टूरी
कोनो नचईया नई आईच…………….
फेर धुन बदलेंव……………….

ए पान वाला बाबू, ए पान वाला।
दूल्हा चिल्ला के कहीच, बंद कर साला।
मैं कहेंव मोर बर काबर गुर्राथच जी ।
दूसर के रिस मोर उपर झारथच जी ।
सुक्खा परघनी देख के वोहा झल्लाईच ।
अपन भांटो ल बलाईच ।
कहीच देख तो मोर साथी मन कहाँ हे,
नाचत नईये पेटी के पेटी स्वाहा हे ।
भांटो कहीच – पी के सब बरतरी चितियाये हे।
तोर ददा ल नाचे ल काह, उहीभर आरूग आये हे।
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26.सावन
सावन रिमझिम बरसय
डोली डावां छलकय।
अबड़ दुख ल भोगे हन दुकाल मं ।
अबड़ दुख ल भोगे हन दुकाल मं ।

जोड़ी जांवर छूटय झन,
झन निकलय परदेश।
तन के पीरा सहा जथे,
भारी मन के कलेश
मिलय आनंद अइसे।
गोदी भरथे जइसे।

कोने एंहवाती के बीस साल म।
अबड़ दुख ल भोगे हन दुकाल मं ।

धरती दाई करय अपन,
सोला fसंगार,
नदिया नरवा खुलखुल हांसय,
बईहा म बंईहा डार ।
बादर रिमझिम बरसै,
जोगनी जुगजुग चमकै।

मेचका गावैं बने सुरताल म,
अबड़ दुख ल भोगे हन दुकाल मं ।

हंसी खुशी मनावय सब,
तिहार जी हरेली।
गेंड़ी मचय टुरामन,
झूलना जी टूरी ।
सवनाही जी रमायेन
भोले बाबा ल मनातेन

ब्हिनी राखी भेजय तिहार म।
अबड़ दुख ल भोगे हन दुकाल मं ।

27. भारत भुईयाँ

कोनो नइये गा ऽऽ कुछु नईये गा ऽऽऽ
मोर भारत भुईयाँ ले सुघ्घर जग म, कोनो नईये गा
मोर भारत भुईयाँ ले, पबरित जग म, कुछु नईये गा।

कतको बईरी आके झपागिन, रूप दिया म पतंगा।
बाबर आईच, गोरी आईच, आईच डच फिरंगा ।

थक हारगे बईरी दुशासन, लाज बचाये कन्हैया ऽऽऽ
ये दे कोनो नईये गा ऽऽऽ
भारत भुईयाँ ले सुघ्घर जग म, कोनो नईये गा।

गियानी धियानी मुनीजती, सब ईंहा के रहवईया
जेकर बेटी सती सवित्री, सीता अऊ अनुसूईया

जग म कहाँ खोजे म मिलही, अगिन परीक्षा देवईयाँ।
ये दे कोनो नईये गा ऽऽऽ
भारत भुईयाँ ले सुघ्घर जग म, कोनो नईये गा।

गिल्ली डंडा, फुगड़ी पित्तूल अनगिनती खेल।
नरियर फेंक, माते कबड्डी, डोर ईच पेल ठकेल।

किसिम किसिम तिहार ईंहा, रंग रंग के मनईया ।
ये दे कोनो नईये ना ऽऽऽ
भारत भुईयाँ ले सुघ्घर जग म, कोनो नईये गा।

परबत घाटी चंदन कस माटी, घपटे बन रूखराई
आँखी हाबय जीभ बिना, कइसे करय ग बड़ाई।

बांट के कौंरा खाते जिंहा, जांगर के पेरईया।
ये दे कोनो नईये ना ऽऽऽ
भारत भुईयाँ ले सुघ्घर जग म, कोनो नईये गा।

–0–

28. प्रभु अवतार
जब-जब मनखे ह धरम करम ल बिसरथे ।
सत के रद्दा चलाये बर, प्रभु ह अवतरथे ।

बन जथे राम कृश्ण, कबीर घासीदास ।
किरपा करके काट देथे, माया जम के फांस।
सूते सेवा ल जगाथे ,अऊ प्रेम पियास
अज्ञान के अंधियारी मेटके, भरथे गियान परकास।

अटेलिहा अतियाचारी मनके मुड़ी ल नवाथे।
सत के रद्दा चलाये बर, प्रभु ह अवतरथे ।

झुठ लबारी चोरी,चकारी,गांजा,दारू ब्यसन ।
गांव-गांव दुर्योधन राज, दुशासन करैं चीरहरन।
गली-गली म रावन घुमैं, करै निसदिन सीताहरन।
जटायु के पांख कटावै, विभीशन परै जब प्रभुशरन।

तब -तब वो मालिक ह, दास के रक्षा करथे।
सत के रद्दा चलाये बर, प्रभु ह अवतरथे ।

किसिम किसिम के आडम्बर रचथे, जब पतरा पोथी ।
चोवा चंदन, धोती ,लंगोटी, बन जथे देखौटी।
पुन के रद्दा छोड़, जीव, दऊड़य पाप गहिरहा कोती।
नंगरा लुच्चा मन शासन करैं, नर नियाव देखौटी ।

तभे तिपे भोंभरा बर , भगवान छंईहा बन जाथंे।
सत के रद्दा चलाये बर, प्रभु ह अवतरथे ।

–0–

29. छत्तीसगढिया़
छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़िया।
तोलगी कस अऊ झन ढेरिया।

तोला नानकुन लईका कस, कई झन डरवाही,
चना फूटेना गोली देके, कतकों झान भरमही
तोला घोंटो दर्रा देके , खुद तसमई खांही ।
कुर्मी, तेली, धोबी कहिके, अब्बड़ झगरा करवाही।

अब अल्लर झन रहीबे रे संगी, लाठी धर अऊ अंटिया।
छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़िया,तेलगी कस अऊ झन ढेरिया।

तोर बासी मं बाल गंगाधर,चटनी म चंद्रशेखर हे।
गुरू हाबय घासीदास, पुरखा खूबचंद बघेल हे ।
मन के राजा मोर दुलरवा, दुवारी म भले फरिका हे।
बेटी रानी कौशिल्या, तेकर लईका राम लखन हे।

घेंघिया झन रे भाई, मुड़ी ऊँचा के गोठिया।
छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़िया,तेालगी कस अऊ झन ढेरिया।

महानदी अरपा पैरी, गढ़धमधा सुन कांपै बैरी
धान कोदो म भरे कोठी, गाड़ा-गाड़ा चना खैरी
लोहा केाईला, सोना, चांदी, भरे भंडार भुंईया तरी ।
गद हरियर जंगल झाड़ी, दवाई बुटी कतको जरी।

रतनपुर खल्लारी राजिम,भंडारपुरी अऊ तुरतुरिया।
छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़िया,तेालगी कस अऊ झन ढेरिया।

तेली कुरमी बाम्हन बनिया के झगरा म झन भुलाबे।
मौका परे म मेडों मं जाके, धर बंदूक चलाबे।
ददरिया म हिरदे के दरद ल, सुवा म सुघ्घर गाबे।
चीला म भाग जगा जगा के, अंगरा खा अगुवाबे।

गोरसी कस झन गुंगुवा रे भाई, भभकत आगी बन जा ।
छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़िया,तेालगी कस अऊ झन ढेरिया।

30.बिचित्र बात हे
1
राजा जेन,
टू जी स्पेक्ट्रम के छट्ठी म
बजाईच अब्बड़ बाजा।
गवाही म प्रधानमंत्री ल बलात हे।
जइसे कुश्ती लड़े बर हुर्रियात हे
अऊ हमर सबले पगड़ीदार पी.एम.
न एती न वोती, न अपर, न डीपर
मुड़ी ल डोलात हे ।
बड़ विचित्र बात हे।
2.
आशाड़ म धुर्रा,
सावन म सिरिर्फ सुर्रा
भादों म ओरवाती
मनमाड़े गदगदात हे
लागथे खड़भुसरा इंद्र ह,
दू तीन साल म,
अब रोज नहात हे।
कुबेर ल धर ले हे सरदी,
नाक शिवनाथ कस बोहात हे।
बड़ विचित्र बात हे।

–0–

31. कतको दिया बार

नई होवय जी अंजोर तैंहा कतकेा दिया बार ।
मन भीतरी म मनमाड़े, घपटे हे अंधियार।

कोनो बोली बोलय जहर मुहरा जी
देख के नईतो देखय आंखी वाले अंधरा जी ।

दयाधरम के बिरवा बोहागे धारे धार ।
नई होवय जी अंजोर तैंहा कतकेा दिया बार ।

गरीब के अरजी कहाँ जाथे खुसर जी ।
हालय न डोलय तैंहा कतको हुदर जी ।

घुस के पईसा करे मनखे चिन्हार।
नई होवय जी अंजोर तैंहा कतकेा दिया बार ।

बढ़ई बइठे ठलहा, अड़हा नांगर छोलय जी।
सुपा राहय मुक्का, उल्टा चलनी बोलय जी ।

लगे राजनीति चस्का, बने गदहा हुशियार।
नई होवय जी अंजोर तैंहा कतकेा दिया बार ।

कुरसी होगे दाई ददा ,उही ह भगवान जी
कुरसी सेती दंगा दासी, जावत हे परान जी।

गांव-गांव गली-गली कुरसी के बाजार,
नई होवय जी अंजोर तैंहा कतकेा दिया बार ।

–0–
32. धजा लहरावत हे
देख तो भईया धजा हमर, कइसे लहरावत हे।
जइसे कोनो सुर धरके पंडवानी गावत हे।

रामकृश्ण गौतम के धरम के पताका ए।
सत्य के पुजारी गांधी बाबा के आशा ए।

जइसे कोनो लईका ह केारा म इंतरावत हे।
देख तो भईया धजा हमर, कइसे लहरावत हे।

त्याग रंग केसरिया, सादा हरिशचंद रंग हे,
धरती ह दुलार येला, हरियर रंग में रंगें हे।

अभिमन्यु के रथचक्का, बीच मं अर्रावत हे।
देख तो भईया धजा हमर, कइसे लहरावत हे।

बैरी बर काल सऊंहे, सिधवा बर मितान ।
भारत के आन बान, बीर मन के परान ।

जइसे कोनो गियानी, कथा ल सुनावत हे ।
देख तो भईया धजा हमर, कइसे लहरावत हे।

33. भ्रष्टानचार
कइसे रूकही भ्रष्टाटचार, लुटेरा जम्मो सरकार ।

काम नई होवय कभू, कोनो बिना घुस के।
हदराहा आफिसर मन, खाथे ठुंस-ठुंस के ।
तनखा मनमाड़े पाथे, दारू म उड़ाथे मुत मुत के।
जनता बेसरम अल्लर, दिन पहाथे सुत सुत के ।

भ्रश्टाचार बनगे शिष्टा चार, भरे दलाली के बाजार
कइसे रूकही भ्रष्टारचार, लुटेरा जम्मो सरकार ।

घोटाला के महिमा हे भारी ।
का होही कतको दे गारी ।
एक सिराथे दुस रईया के पारी ।
चिखला म सनाये, मंत्री बैपारी।

देश ल चरत गोल्लर, ढिल्ला खारे खार।
कइसे रूकही भ्रष्टालचार, लुटेरा जम्मो सरकार ।

चोर ल चोर कहिबे, नो हौं चिल्लाथे।
केानो सिधवा हौं कहिके, मौनी भगत बन जाथे ।
देखौटी उपास रहिके, लुका लुका के खाथे ।
सौ मुसवा खाके बिलई, हज करे बर जाथे ।

बेंदरा बिनास होगे, बिकास बोहागे धारेधार ।
कइसे रूकही भ्रष्टा,चार, लुटेरा जम्मो सरकार ।

घोटाला आदर्श होगे, लाज घलो नई लागत हे ।
राजा ह बजा के बाजा, दांत निपोर के हांसत हे।
सांपनाथ अऊ नांगनाथ मन, संसद म फोसकारत हे।
छानही म चढ़के होरा भूंजत हें, घर ल भुर्री बारत हें।

छोटे मोटे चोर कहाँ, बड़े बडे़ हे सेंधमार।
कइसे रूकही भ्रष्टाकचार, लुटेरा जम्मो सरकार ।

–0–

34. जिनगी सागर म

जिनगी सागर म दुख पीरा के तुफान हे ।
जेला तैं अपन कहिबे, उही ह बिरान हे ।

एक अकेला आये हच, एक अकेला जाबे तैं ।
मुंड़ ह कटाही तोर, जतके जपबे मोर अऊ मैं ।
अब मनखे के भेश म संउहे शैतान हे ।
जिनगी सागर म दुख पीरा के तुफान हे ।
तैं कमाबे सब खांही, मोंगरा कस ममहाबे।
होबे अथक नई चलही सक, तब गोबर कस बस्साबे।
दुनिया के हटरी म जम्मो बेंचागे ईमान हे ।
जिनगी सागर म दुख पीरा के तुफान हे ।
जगा-जगा धोखा, छिन-छिन म झूठ लबारी ।
गली-गली झगरा, घर -घर म चुगरी चारी ।
लूट खसोट बेईमानी म सबके धियान हे ।
जिनगी सागर म दुख पीरा के तुफान हे ।
जेन अबड़ लपरहा वो सबले गियानी हे ।
चोर उच्चका लम्पट मन, जोगी धियानी हे ।
किसानी अऊ किसनहा, पिसावत पिसान हे।
जिनगी सागर म दुख पीरा के तुफान हे ।

सबगुन ले बड़े गुन, बनगे नेतागिरी।
बीरता के परमान हाबय दादागिरी ।

नेता बर फुलपान सबके भगवान हे ।
जिनगी सागर म दुख पीरा के तुफान हे ।
–0–

35.घोटाला
घोटाला घोटाला घोटाला
बिकराल घोटाला
आनी बानी रंग रंग के घोटाला
घोटाला में घलो घोटाला,
ओलिहावय सबला जेल में,
लगा, दौं ताला।
घोटाला घोटाला घोटाला

चांउर में घोटाला, चारा में घोटाला
दमाद में घोटाला, सारी सारा में घोटाला
खेल में घोटाला, तेल में घोटाला
गिनती सिरा जही, गिनावौं काला काला
घोटाला घोटाला घोटाला
झकझक कुरता टोपी वाला
लुहंगी वाला, कोट टाई वाला
सादा चुंदी, चश्मा वाला
मोटल्लू करिया बंडीवाला
सुन सुन के कान बोजागे
मुंह में परगे छाला
घोटाला घोटाला घोटाला
–0–
36. अब तो जाग जावौ
छत्तीसगढिया सबले बढिया, अतके म झन भुलावौ़
कतका निचट सूते रइहौं, अब तो जाग जावौं ।

छत्तीसगढ़िया, हाबन बढ़िया सच हे सोला आना
हमर हाबय पान ठेला, बड़का ऊंकर कारखाना

करौं हिम्मत जुरमिल व्यापार घलो चलावौ
कतका निचट सूते रइहौं, अब तो जाग जावौं ।

बेचौं झन डांवा डोली, भर्री परिया भांठा
लंगटा हो जाहू, सहिलौ दुख पीरा के कांटा

गुन के देखौं गए भंुईया दुबारा कांहां पाहौ ।
कतका निचट सूते रइहौं, अब तो जाग जावौं ।

पढ़ौ लिखौ जम के बनों साहब सिपईहा
दुनिया ल देखा दौ, नईअन लेड़गा बईहा

कामधेनु ए शिक्षा, अमरित पियौ अऊ पियाऔ ।
कतका निचट सूते रइहौं, अब तो जाग जावौं ।
–0–
37. आना बईठ ले
एक लोटा पानी अऊ गुरतुर जुबान
एगा छत्तीसगढ़िया तोर हाबय पहिचान
आना बईठ ले
आना बईठलेगा भईया
गोठियाबो सुख दुख
आना बईठल ।
लोग लईका मन अतलंग पियत हे दारू
काली एक्सीडेंट म मरगे, बाढे़ बेटा समारू ।
आना बईठल ।……………
बेटी वाले ल चाही दमांद नौकरी वाला
मोर बेटा किसनहा का होही उपर वाला ।
आना बईठल ।……………
पाहू बछर शादी असो होगे तलाक
बने जोड़े रहेन रिश्ता करके पूछताछ ।
आना बईठल ।……………
दू रूपिया चाऊंर अऊ गोंदली अस्सी रूपिया
वोमन कुंदरू करेला, हमन दुच्छा खाथन भईया ।
आना बईठल ।……………
नेता ऊपर नेता, नेता के भाशण
केांदा बऊला जनता, भैरा हे शासन ।
आना बईठल ।………..
38. आवेदन आमंत्रित हे
भ्रश्टाचार ट्रेfनंग केम्प म आवेदन आमंत्रित हे
ओला प्राथमिकता देए जाही जेन अन्ना ले आतंकित हे।

अनुभवी ल फीस में 50 प्रतिशत छुट हे
घोटाला के रकम अऊ नाम बताना होही
यदि जेल जा के आए होही तेला,
प्रमाण पत्र के फोटूकापी लगाना होही
मंत्री मन बर सीट आरक्षित हे ।
भ्रश्टाचार ट्रेfनंग केम्प म आवेदन आमंत्रित हे
ईंहा घोटाला करे के अऊ बंाचे के
गुरूमंत्र दिए जाही
सस्पेंड, रिटायर नौकरशाह मन,
चुfनंदा शार्टकट ट्रिक बताही
हमर संस्था भ्रश्टाचार निवारक ब्यूरो ले प्रमाणित हे।
भ्रश्टाचार ट्रेfनंग केम्प म आवेदन आमंत्रित हे।
लखटकिया घोटालेबाज मन आवेदन झन करैं
करोड़ से ऊपर वाले मन फारम भरय
दंगा, बलात्कार, हत्या योग्यता माने जाही
वोला, छात्रावृत्ति दिए जाही, जेन घोटाला करके आही
जल्दी करै जेनमन सी बी आई ले पिड़ीत हे ।
भ्रश्टाचार ट्रेfनंग केम्प म आवेदन आमंत्रित हे ।
39.पितर
वाह भईया बने तैं पितर ल मिलाए
दाई मरगे बिन सेवा के, पानी नई पियाए।

जीयत भर डोकरा बाप होगे रहीस गरू
मीठ जुबान बहू नई बोलीच, हुरसीच करू-करू

घर ले निकाले रहेव ठेंगा ल देखाए।
वाह भाई बने तैं पितर ल मिलाए।

ऊंकर सकेले चीज बस, गुलछर्रा उड़ाये।
जीयत भर दाई ददाल तरसाये अऊ लुलवाये।

मुसुर मुसुर खावौं सब, बरा ल जेवाए ।
वाह भईया बने तैं पितर मिलाए ।

अब का होही पछताए, फोटू म मुड़ी ल नवाएं
गया म पिंडा ल पराए, कुटुम कबीला ल खवाए।

कंऊवा कुकुर ल, सोंहारी भोग लगाए ।
वाह भईया बने तैं, पितर ल मिलाए।
–0–
40 कुण्डली
मोर बेटी आठवीं पास दमांद चाही ग्रेजुएट
अलवा जलवा नई चलय नौकरी परमानेंट
नौकरी परमानेंट , राहै दस बीस इक्कड़
पास बुक में ठनाठन दू चार लाख रोक्कड़
कहै चोवाराम ननद जेठ झन रा है
सास कमावैं मोर बेटी बइठे बइठे खावै ।
ÛÛÛ
मैं करिया , बाई कारी , बेटा भीम करिया
बहु खोजत ह गोरी नारी, आठों राज धर हरिया
आठों राज धर हरिया , सीध नई परत ए।
बदना बदेंव देवता धामी , धियान नई धरत ए
कहै चोवाराम सब समझाथे , बहू खोज न कारी
तहीं बात भईया, खानदान ल लहुटा दौं कोईलारी

ÛÛÛ

41 खनती खनके
रात दिन तैं जांगर पेर, खपगेच खनती खन के ।
बने नई पहिरे, बने नई खाये, मरगेच बनी करके ।
अकती पकती झांकत रहिथे,
टप टप चूहे पसीना ।
चेपटे गाल अऊ धंसे पेट हे,
दुख दाई होगे जीना ।
मोर भईया तोर भाग नो है,
भगवान के बनाए,
मोठहा मन लूटे हे,
तोला बिना जगाए।
एक बार भभक जा रे भाई, गुंगुवा झन रहि रहि के
रात दिन तैं जांगर पेर, खपगेच खनती खन के ।
दरदरहा हे दाढ़ी खेत,
करगा कस तोर मेंछा
चिरहा फटहा अंगरखा हे,
घोंघट मईलाए अंगोछा
घाम जरे खोईला सुखसी कस,
बिटबिट करिया तन हे ।
खलखला के कभू नई हांसे,
ऊबुक चुबुक तोर मन हे ।

मुड़ी नवां के निसिदिन रेंगे, खड़े नहीं तैं तनके ।
रात दिन तैं जांगर पेर, खपगेच खनती खन के ।
लाली आँखी झांझझोला म,
चूंदी बगरे जस कचरा।
मुंह के दांत दिखै अइसे जी,
जईसे फेंकाये बदरा।
लईका तोर गली म fगंजरय,
ठाढ़े, उघरा नंगरा।
पानी पी पी के दिन ल घालय,
चाबय रोटी अंगरा।
अब तो तैं फोसकार बने जी, चोखहर सांप बनके ।
रात दिन तैं जांगर पेर, खपगेच खनती खन के ।
सिधवा झन बने रा निच्चट,
दुनिया हे बड़ चालू
हक के सेती लड़ चैती,
समारू अऊ दुकालू
मरमर के तैं भरे,
दोगला मन के तिजोरी,
गारी सहे अऊ मार ल खाये,
नई करे कभू मुंहजारी ।
अब मांग बने तैं बंटवारा, ये धरती सब झन के ।
रात दिन तैं जांगर पेर, खपगेच खनती खन के ।
42. हरि नाम गा रे
हरि नाम गा रे, हरि नाम गा रे ।
मया के बंधना ल छोर के पगला, हरि नाम गा ।
पईसा हे तब मोहलो मोहलो, सब संगी संगवारी,
धन सिराही संग छोड़ देही भांवर fगंजरे नारी
पईसा में बनवा लेबे तैं, कईठन महल अटारी
पईसा खातिर करे पाप, हतिया चोरी चकारी ।
पाप के रद्दा छोड़ के संगी पुन केाती जा रे ।
हरि नाम गा रे, हरि नाम गा रे ।
ए तन हे माटी के संगी, माटी म मिलजाही
करके बैमानी धन जोरबे ,दूसरा मन रे खाहीं
मरे तहां ले चार दिन म सब कोई तोला भुलाहीं
करम के खेती बने कर ले, नाम अमर हो जाही ।
राम नाम भव पार लगईया, उही ल ओरिया रे ।
हरि नाम गा रे, हरि नाम गा रे ।
–0–

43. तीजा उपास
तीजा रे उपास तीजा रे उपास
मोर दीदी हाबय संगी तीजा रे उपास ।
छिटही बुंदही लुगरा पहीरे
टेरीकाट के कुरती ।
मोर दीदी भात रांधय,
मोरेच पुरती ।
तीजा रे उपास…………….
बाबू ह बजार गेहे,
लाने बर फरहार ।
भांचा भांची झुलना झुलय,
परत हें गोहार ।
तीजा रे उपास……………….
सरर सरर हवा चले,
झूमत हाबय धान।
करईहा मं तेल कड़के,
जल्दी सान पिसान।
तीजा रे उपास……………..
घरो – घर fगंजर के दीदी
बासी खाँही काल ।
स्ंागी जंहुरिया करमा नाचै,
खोंचे हे उरमाल।
तीजा रे उपास……………..
44 हाय वोटर
हाय वोटर झूठ मुठ करे तैंहा वादा
राम घलो नई जाने सकय, का हे तोर ईरादा।
वोट ल देवाहंू कहे, दस ठन उपराहा
मनमाड़े भजिया झोरे, कई कप चाहा ।
मछूरी कस फंसगेव मैं, तोर कड़िहा फंादा
हाय वोटर झूठ मुठ करे तैंहा वादा।
कुकरा खवायेंव तोला, बोकरा खवायेंव ।
कपड़ा लत्ता देयेंच, खीसा पईसा धरायेंव ।
अंगरेजी, नवरंगी पियायेंव तोला सादा।
हाय वोटर झूठ मुठ करे तैंहा वादा।
करम फूटगे मोर ,होगे जमानत जब्ती
लूट डरेव जुरमिल के, बस्ती के बस्ती।
चेत चढ़गे मोर , सुरता आगे बाप दादा ।
हाय वोटर झूठ मुठ करे तैंहा वादा ।

ÛÛÛ

45. छत्तीसगढ़ मैं छत्तीसगढ़िया

छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया
कहे सुने म बढ़िया बढ़िया
सब दंउड़त हे सरपट सईया
हम घिलरत हम मंड़िया मड़िया

हमर महतारी के छत्तीस पीरा
कचरा में गवागे हाबय हीरा
चढ़गे fदंयार तन माटी म
छेदे करेजा घुनहा कीरा।

गली गली बेंचावत नशा पानी
छोईहा होवत हाबय जवानी
हतिया चोरी लूटमार डकैती
होत बिहनिया पढ़ ले कहानी

दारू मुरगा म वोट बेंचाथे
जितई या पाठू उमचाथे
हाय विधाता फूटगे करम
दोगला तिरछंडी नेता बन जाथे।

जनपद, पंच सरपंच पति हे
दीदी बहिनी मनके दुरगति हें,
नाम इंकर , सब काम ऊंकर
पाछू पाछू रेंगत पारवती हे ।

गांव गांव मं दिखते पक्की सड़क,
घर कुरिया पक्की तड़क भड़क
दिखथे fनंद्धा फेर तरी सरे
भीतरी करिया अऊ ऊपर चकचक
…………………………………………………..
सड़क म सीमेंट तेल चुपर कस
दू चार महीना में जस के तस
बड़े बड़े गड्ढा फोरा परे
दुब्बर शरीर झांके नस नस

दू रूपिया के चांऊर कोढ़िया कर दीच
पी दारू बेटा खटिया धरलीच
भर्री धनहा परिया परगे
गरीबी दरहा किसान बुड़गीच

आईच सुराज लुकागे कती
आनी बानी चुनाव दुरगति
भाई भाई म माते झगरा
कुलटा राजनीति तोरे सेती

छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया
जीयत हन भईया पी पसिया
वोमन बने गुलछर्रा उड़ावै
हमर घेंच दंता हंसिया

ÛÛÛ

46. जेठ इतरावत हे
जेठ के महीना ह अब्बड़, इतरावत हे

घाम चरचरावत हे
हवा भरभरावत हे
भंुईया आगी अंगरा कस
चट ले जर जावत हे।

जेठ के महीना ह अब्बड़, इतरावत हे

दिन ह मोटावत हे
रथिया दुबरावत हे
नदिया नरवा तरिया ढोंडगा
ठाढ़े सुखावत हे।
दुरजन के राज जस सज्जन दुंरिहावत हे।

जेठ के महीना ह अब्बड़, इतरावत हे

खोर गली सुन्ना सुन्ना
कोठी खार उन्ना उन्ना
करसी के पानी घलो
लागत हे कुनकुना
एक बुंद पानी बर चिरई फड़फड़ावत हे।

जेठ के महीना ह अब्बड़, इतरावत हे

रद्दा बाट सांय सांय
घर कुरिया भांय भांय
डोकरा के तरवा गरम
बड़बड़ाथे आंय बांय
उसनत हे झांझझोला, तन ह उसनावत हे।

जेठ के महीना ह अब्बड़, इतरावत हे

घेरी भेरी रेंधियाथे आंधी तूफान
गर्रा धूर्रा भर देथे, आँखी अऊ कान
सुरूज तमतमाए हे, अब्बड़ गुस्साए हे
गहि गहि के मारत हे, चोक्ख अगिन बान।
बेलबेलहा करिया बादर घेरी भेेरी बिजरावत हे।

जेठ के महीना ह अब्बड़, इतरावत हे ।

ÛÛÛ

47. होरी खेले म

अब तो होरी खेले म डर लागे संगवारी
अब तो होरी खेले म डर लागे।
काला रंग गुलाल लगाबे,
कइसे हंसी गोठियाबे
गांव के गांव बूड़े मंद मऊहा
खोजे आरूग नई पाबे।
मनखे के अंतस घपटे अंधियारी, मरी मशान समागे।
अब तोर होरी खेल म डर लागे।अब तो
बात बात म चाकू छूरी,
मॅंुह बंदूक गारी के गोली,
नईये राधा नईये ग्वाला,
सोंच समझ के करबे ठिठोली।
हिरनाकश्यप के निशचर सेना, चारों कोती ढिलागे।
अब तो होरी खेले म डर लागे। अब तो
कोन गाही फाग, कोन बजाही नंगारा।
सुकालू दुकालू बुढ़ागे।
का पिचकारी का रंग कटोरा,
लईका लोग भुलागे।
ठेठरी खुरमी के नाव बुतागे, मछरी कुकरा पऊलागे।
अब तो होरी खेले म डर लागे। अब तो………..
गॅाव लहुटगे घोड़ा कराएत
आधा शहर आधा बस्ती
सिधवा मन होगे घर खुसरा
नंगरा लुच्चा के चलती।
पुरखा मन के जी पुरखौती, छईहा कस दुरिहागे।
अब तो होरी खेले म डर लागे। अब तो………..

48. हे राम

हे राम, हे भगवान, हे राम।

सीता हरन रोज होवत हे।
जटायु ह देखत हे
विभीशण ह पलोंदी देवत हे
अनुसूईया ह कतको समझावय

पईसा म बंेचावत हे चाम।
हे राम , हे भगवान, हे राम।

कैकेई बईठे हे घर-घर म,
मंथरा हाबय गली-गली,
अब के भरत पादुका नई सेवय
वो बईठथे भईया के मुड़ी
बेटा के सेती कतको दशरथ मरत हे
लछिमन ल उरमिला अलग करत हे।

सुमित्रा करत हे जीना हराम।
हे राम, हे भगवान , हे राम।

दूसर ल कुरसी म बईठ देख
जरजरावत हे कतको बाली
नता कुनता के नईये चिन्हारी
बहू बेटी बनगे घरवाली
हनुमान कहाँ पाबे जी भाई
दगाबाज संगी संगवारी
कतको हाबय कुंभकरण सिरिफ कुरसी से काम।
हे राम, हे भगवान, हे राम।
ÛÛÛ
49 गुन ल सकेलौ

गुन ल जोरे म गुनवान होथे जी
अऊ धन ल सकेले म धनावन होथे जी

कोन रद्दा म रेंगना हे,
तेला तुमन जानौ।
बात सोला आना हे,
मानौ या झन मानौ,

जेमा ईमान उही इंसान होथे जी ।
गुन ल जोर म गुनवान होथे जी ।

सुक्खा तरीया मं,
हंसा ह आवय नहीं
झुक्खा रूखवा ल,
पंछी ह भावय नहीं।

ठक ठक ले पथरा म कोन धान बोथे जी।
गुन ल जोर म गुनवान होथे जी ।

मनखे अऊ जानवर म,
अतकेच तो अंतर हे ।
मनखे करा सोंचे गुने के,
भरे भारी मंतर हे।

मेहनत के दू कौंरा बड़ फुरमान होथे जी
गुन ल जोर म गुनवान होथे जी ।

दरशन कम होगे,
परदरशन जादा ।
फैशन बन गेहे,
झुठ मुठ के वादा।

छत्तीसगढ़ के चिन्हारी एक जुबान होथे जी।
गुन ल जोर म गुनवान होथे जी ।

ÛÛÛ
50. रितु राज के दरबार

जब ले कली जवान होए हे ।

भौंरा सब बदनाम होए हे
हवा ह माते घुमत रईथे
गली गली ईलू ईलू कहिथे
जुड़हा घाम फुरमान होए हे।

जब ले कली जवान होए हे ।

मऊर खापलीच आमा दुलरवा
बने सुवास परसा रूखुवा
झूम झूम कोईली गावैं भडौ़नी
कूदै नाचै मैना गड़ौनी

घातेच मीठा जुबान होए हे।
जब ले कली जवान होए हे ।

अतर फूलेल लगाए हे मंऊहा
मंमहावत हे गंधिरवा कऊहा
मोहिनी जादू करे हे धनिया
करै ईशारा बोईर बनिया

सबके नियत खराब होए हे ।
जब ले कली जवान होए हे ।

चना ह छुम छुम घुंघरू बजावै
पातर कनिहा सरसों ह डोलावै
मुचमुच मुसकावै बटरी मटमटही
ताकै झांकै तिवंरा अरसी।

रितु राजा के दरबार सजे हे
जब ले कली जवान होए हे ।

ÛÛÛ
51. नांगर जोते ल

चल भईया जोंते ल नांगर
आगे किसानी के दिन गा भईया
झन ओतिहा कर जांगर।…………….

देख तो लाली सुरूज ह, तोला हे बलावत
बईठे बरेंडी बांग के कुकरा, तोला हे जगावत।

जग के जीवराखन हीरा सुते हच काबर
चल भईया जोंते ल नांगर।……………..

बइठे बईठ असकटागे, बईला बलहा कबरा।
रद्दा जोहत हे तोर भुजा के, पईठू के डबरा डिपरा।

कर ले तैं मेहनत भईया, दू मन के आगर
चल भईया जोंते ल नांगर।……………..

भागे मछूरी जांघ असन, समे राहत म चेत जा
ठलहा रहे म नई भरय, ये बीता भर पेट गा।
देख तोला बिजरावत हाबय, वो बिलवा बादर।
चल भईया जोंते ल नांगर।……………..

ÛÛÛ

3 replies on “कविता संग्रह : रउनिया जड़काला के”

सिरतोन म बादल जी के रचना ह जुड़ म रउनिया बरोबर लागिस….

नई होवय जी अंजोर तैंहा कतकेा दिया बार ।
मन भीतरी म मनमाड़े, घपटे हे अंधियार।
कोनो बोली बोलय जहर मुहरा जी
देख के नईतो देखय आंखी वाले अंधरा जी ।

चक्कर उपर चक्कर, चक्कर उपर चक्कर ।
सुसाइटी के चक्कर,
चांऊर नून शक्कर ।
झोला झोला ऊंकर बर,
मंगलू आबे काली जुवर
रजिस्टर में अंगूठा चपके बर
पैंतीस किलो चांऊर मिलही
खाबे कहाँ? बेंच के पिए बर ।

…………………..घातेच सुघ्घर कविता हवय

Bahut Badhiya rachna sangrah. Verma saahab man la gaada-gaada Badhai.. hamar jan maanas tak atek sughar rachana pathoye khatir.

आपके सब्बो कविता अब्बड़ सुग्घर लगीस सिरतोन वर्मा जी

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