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कहानी : अंधविसवास

असाढ के महिना में घनघोर बादर छाय राहे ।ठंडा ठंडा हावा भी चलत राहे ।अइसने मौसम में लइका मन ल खेले में अब्बड़ मजा आथे।
संझा के बेरा मैदान में सोनू, सुनील, संतोष, सरवन, देव,ललित अमन सबो संगवारी मन गेंद खेलत रिहिसे। खेलत खेलत गेंद ह जोर से फेंका जथे अऊ गडढा डाहर चल देथे ।
सोनू ह भागत भागत जाथे अऊ गडढा में उतर जथे ।ओ गडढा में एक ठन बड़े जान सांप रथे अऊ सोनू ल चाब देथे ।सोनू ह जोर जोर से अब्बड़ रोथे अऊ रोवत रोवत बेहोस हो जथे ।
सबो संगवारी मन हड़बड़ा जथे अऊ एक दूसर के मुँहू ल देखत रहिथे।
सुनील ह कथे – चलो एला सब झन उठाके घर ले जाथन । त संतोष ह कथे – नही पहिली एकर बाबू ल बलाथन ।
देव कथे – हां पहिली एकर घर के मन ल बलाथन ।
सरवन कथे – में जल्दी से बलाके लानाथों ।अइसे बोलथे अऊ दउड़त दउड़त जाके ओकर बाबू ल बलाके लानथे ।
ओकर बाबू ह सोनू ल उठाके घर लेगीस ।
गाँव भर में हल्ला होगे के सोनू ल सांप चाब दीस।
सब आदमी ओकर घर में सकलाय ल धर लीस ।
एक झन सियान ह बताइस के धमतरी के चेंदवा बइगा ह सांप काटे के पक्का ईलाज जानथे ।उही ल बलाके लानों तभे एहा बांच सकथे।नहीं ते एकर बांचना मुसकिल हे।
सोनू के ददा काय करे लकर धकर दू झन मनखे ल भेजीस ।ओमन ह बइगा ल धरके लानीस ।
बइगा ह अपन चार झन चेला चपाटी ल धरके आय राहे ।सब झन आदमी ल भगाके एक ठन कुरिया में अपन मंतर तंतर ल सुरु करीस।जोर जोर से मंतर पढ़े अऊ फूंके ऊपर फूंके फेर सोनू ल होस आते नइ रिहिसे। एती घर के मन ल रोवई होय राहे के हमर सोनू बेटा के का होही ।
थोकिन बाद में बइगा ह कुरिया ले निकल के आइस अऊ बोलथे के एहा अइसने वइसने सांप नोहे ।एला कसराहा करे गेहे।जादू मंतर से भेजे वाला सांप ह एला चाबे हे।अगर एला बचाना चाहत हो ते तुरते दू ठन खैरा कूकरा ,दू ठन मऊहा के बोतल अऊ एक्काइस ठन लिमऊ के बेवस्था करो।नहीं ते राम नाम सत हे।
सोनू के ददा बइगा के पांव ल धर लीस । ते कइसनो करके मोर बेटा ल बचा ले बइगा महराज । मेंहा अभी सब चीज के बेवस्था करत हों।अइसे कहिके एक झन आदमी ल पठोवत रिहिसे । ओतके बेरा में रमेश गुरुजी ह आइस अऊ सोनू के ददा ल बोलथे – ते का ए बइगा गुनिया के चक्कर में परे हस।देखत नइ हस सोनू के का हाल होगे हे।चल तुरते एला अस्पताल लेग।जादा देरी करबे ते ये हाथ नइ आही ।
त दू चार आदमी अऊ बोलथे के गुरुजी ह सहीं काहत हे , एला तुरते अस्पताल लेगो अऊ एकर परान ल बचाव।अंधविसवास के चक्कर में झन परो ।
तब तुरते ओला अस्पताल लेगीस।डाक्टर ह सूजी पानी लगाइस तब कुछ देर बाद में सोनू ल होस आइस।
डाक्टर साहब बोलीस के थोकिन अऊ देरी होय रतीस ते एकर बांचना मुसकिल रिहिसे ।
सोनू के ददा ह रमेश गुरुजी ल बहुत बहुत धन्यवाद दीस अऊ कथे आप सहीं समय में आके मोर लइका ल बचालेव गुरुजी ।मेंहा तोर एहसान ल कभू नइ भुलाव॔व अऊ कसम खावत हों के आज के बाद बइगा गुनिया के चक्कर में कभू नइ परंव।अंधविसवास ल कभू नइ मानों ।

महेन्द्र देवांगन माटी
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला – कबीरधाम ( छ ग )
मो•नं•- 8602407353