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कहानी : अलहन के पीरा





गुमान ओ दिन अड़बड़ खुस रहिस जेन दिन ओखर घर लछमी बरोबर बेटी ह जनम लीस। ओकर छट्ठी ल गजबेच उछाह मंगल ले मनाईस, गांव भर ल झारा-झारा नेवता पठोइस। बरा, भजिया, सोंहारी अऊ तसमई संग जेवन कराइस।अरोस परोस के सात–आठ गांव के पटेल , मंडल, पंच, गऊंटिया,बड़े किसान ल घलाव नेवता देय रहीस।बेटी के नांव सरसती राखिस। ओला बेटी पाय के बड़ गुमान राहय। गुमान के अंगना म सरसती ह किलकारी मारत ,खेलत कूदत बाढ़े लागिस। इस्कूल जाय के लाईक होइस तब गुमान ओकर दाखिला करा दीस।नोनी इस्कूल जाय गुमान अपन गोसानिन फगनी संग खेत म जाय। फेर भगवान सरसती के भाग म जादा पढ़ई नई लिखे रहीस। गांव म दसवीं तक इस्कूल रहीस त ओतकेच तक पढ़हिस,फेर घर के काम-बुता , गोबर -द्वार , रंधई-गढ़ई म फगनी पार नई पाय।घर के सबो बुता ल चुक ले कर लेय। छकछक ले पंडरी कनिहा तक बेनी ओकर गुन संग रुप ल बढ़ाय।
एक दिन पारा के प्राथमिक इस्कूल म नवा मास्टर आइस। गांव म रहे बर किराया के घर खोजत आइस। गुमान अऊ फगनी सुनता बिचार के अपन एक कुरिया ल दे दीस। मास्टर बिहनिया ले इस्कूल जाय।रांधे-गढ़े बर ओला नई आय मंझनिया, रतिहा अदर कचर रांध के खाय।येला देख के ओ जवान लईका के दुख गुमान नई देख पाईस अऊ ओला अपने घर ले खाय बर कहिस।एक बच्छर घलाव नई बीतिस अरोस परोस म आनी बानी के गोठ होय लागीस। सरसती अऊ मास्टर के नांव ल जोड़ के अऊ किसम-किसम के बदनामी करे लागिन। गांव म बैइटका सकलाइस मास्टर अऊ सरसती अपन गलती मानिस। गुमान अपन बेटी ल गजबेच समझाइस फेर सरसती नई मानिस।पाछू कछेरी म जाके मास्टर संग बिहाव कर लीस। ओ दिन ले गुमान के गरब अपन बेटी बर रहीस ओ ह माटी म मिलगे। मने मन भगवान ल धिक्कारीस कि मैं अतका बड़ काय गुनहा करे रहेंव कि मोला अपन बेटी ह अतका पीरा दीस।दाई ददा के मया दुलार ल नई समझिस ।मोर संस्कार म काय कमती हो गे कि अतका बड़का अलहन कर डारिस।फेर भगवान तोर इही मरजी हे त यहू ल सहिबो। लईका मन दाई-ददा के पीरा ल नई समझय।जब ओ मन दाई -ददा बनही तब लईका के बिसरे के पीरा ल समझही। एक ठन अलहन आईस अऊ टलगे कहिके गुमान अपन पीरा ल अंतस म समा लीस।




एती सरसती अऊ मास्टर दूसर गां म चल दीस। नौ महिना पाछू सरसती ह एकठन नोनी ल जनम दीस । ओकर छट्ठी म मास्टर घलाव उछाह मंगल मनाइस।बफर पारटी राखीस।नोनी के नांव सुनीता धरीन। गुमान ल नराज जानके नेवता नई भेजीस। इही बीच मास्टर के बदली सहर तीर के गांव म होगे। पाछू सरसती हर दू ठन बाबू घलाव पाईस। गुमान अऊ फगनी अपन एकठन बेटी के सुखदुख ले दुरिहागे।आना-जाना, गोठ-बात, नेवता -हिकारी कहींच नई चलय। ऐती सरसती ह लईका मन ल पालत पोसत सिलाई सीखगे।साया, बुलाऊज, कुरती, फराक, सीले लगीस। घर म दू पइसा आय लगिस। नोनी बाबू मन इस्कूल जाय लागिस। सरसती काम बुता म अगुवा तो ननपन ले रहीस। लोग-लइका संग अपन सीलई बुता संगेसंग महिला समूह के सदस्य बनके वहू काम देखे लागिस। गांव म ओखर मान घलाव बाढ़े लागिस।गांव के कई बाढ़े बेटी मन ल सीलई सीखोदीस। फेर ये सब काम करत अपन बेटी ऊपर धियान नई दिस। दसवी कच्छा म पढ़त सुनीता ह अड़बड़ अरदली होगे।घर के बुता ह जियान परय। टीबी देखई म जादा धियान राहय।
इही बीच सरपंच चुनई आगे ,महिला पद होय ले सरसती सरसम्मत गांव के सरपंच बनगे। मास्टर के परमोसन होय ले आन गांव चल दीस।घर , गांव अऊ लईका के बोझा सरसती ऊपर आगे। गुमान अऊ फगनी ल परोसी मन सरसती के बारे म बताय फेर ओमन ल ऊंखर सुख ले अऊ दुख ले कोनों फरक नई परय।बेरा बीतत गीस सरसती के बेटी सतरा बच्छर के होगे।अब बारवी पास हो के कालेज पढ़े जाय लागिस।फेर ओ लईका म सुधार नई हो पाइस। एक तो ये लइका ल कका, बबा ,ममा, आजी, आजा के मया दुलार संग डांट फटकार नई मिले रहीस। बड़का सियान मन के नई होय ले सुनीता म सुछंदता हमागे।काकरो बरजय ल नई मानय। मन के जाय, मन के आय , मन के खाय, ढीठ तो ननपन ले रहीस काम बुता के चेत नई करय।
ऐसो पहिली कालेज म पास नई हो सकिस। सरसती अऊ मास्टर के नाक गिरगे, फेर सुनीता ल कुछु फरक नई परीस। सरसती ह कहीं बुता तो सीखाय नई राहय तब काय करतीस। ओला अब कमपुटर सीखे भेजे लगीस। साइकिल म नई जावंव कहिस त नवा स्कूटी ले दिस अऊ एक ठन मोबाइल घलाव लेवाइस। अब बिहनिया ले कमपुटर सीखे जाय, मंझनिया आय तहान टीबी देखय अऊ मोबाइल म लगे राहय।सरसती एला देखे त ओकर गोड़ के रीस तरवा म चढ़ जाय। फेर आज के कायदा कानून के डर के मारे कुछु करे नहीं। गांव के माई लोगिन मन गुमान अऊ फगनी ल घलाव बताय फेर ओमन सियान होके कुछु नई कर सकय।




सुनीता दू दिन होगे घर नई लहुटे हे। ओकर संगी सहेली मन कर पता कराय गीस। कोनों नई जानय कि ओ कहां हे। मास्टर अऊ सरसती थाना म रिपोट लिखाइन । पुलिस मन पता लगाईन अऊ बताइन कि सुनीता दू दिन पहिली कमपुटर पढ़ईया संग मंदिर म बिहाव करके नागपुर चल दे हे। सरसती माथा ल धर लीस।ओला अठारा बच्छर पहिली के अपन करे अलहन के सुरता आगे। मोर दाई ददा ल कतका पीरा होय रहीस होही जब मैं ऊंखर बात ल नई माने रहेंव।आज मोला ऊंखर पीरा समझ आवत हे। सरसती तुरते अपन दाई ददा के घर पहुंच गे । मोहाटी म बैईठे गुमान के दूनो गोड़ ल धर के रोय लगीस अऊ छिमा मांगे लगीस। मोर अलहन के पीरा अब मोला समझ आगे कहात सबो बात ल बताइस। गुमान अऊ फगनी के अंतस के पीरा आंखी डहार ले आंसू बनके बाहिर निकलगे। दूनो परानी सरसती ल पोटार के रोये लागिस।

हीरालाल गुरुजी”समय”
छुरा जिला गरियाबंद
9575604169