Categories
कहानी

कहिनी : दूध भात

डोकरा काहत रिहिस दूध भात खाहूं कहिके। उही पाय के लोटा ल धर के दूध मांगे बर आए हंव। होही ते दे देतेस? अतका म बिसवन्तीन किहिस- काला बतांव डोकरी। मेहा तो ए रोगही बिलई के मारे मर गेंव। ते नइ पतियाबे, मंझनिया बेरा अंधियारी के बेंस ला लगाए बर भूला गेंव अऊ नाहे बर चल देंव। आवत ले बिलई ह जम्मो कसेली भर दूध ला पी डरिस।
नदिया के तीर मां नानकून गांव- ‘जामगांव’। जामगांव के बड़े गंउटिया बेलास ह संझउती बेरा अंगना म बिछे खटिया मां बइठे रिहिस अउ तीर म पीड़हा मां बइठे रिहिस खम्मन ह। दूनो झन चाहा पीयत रिहिस। खम्मन पहिली बइला कोचिया रिहिस। गांव-गांव जाके बइला-भंइसा बेचय। फेर अब जुग बदलगे। किसानी करे के तरीका बदलगे। नांगर, बइला, गाड़ा नंदागे। ट्रेक्टर आगे। ओकरे सेती खम्मन के धंधा घलो चउपट होगे। खम्मन सोचिस अब का करे जाय?
खम्मन देखिस आजकल साहर अउ गांव मां नावा फेसन उग्गे हावय कुकुर पोसे के। उही पाय के खम्मन ह बइला-भइंसा बेचे ल छोड़के कुकुर बेचे ल धर लिस। अउ बइला कोचिया ले कुकुर कोचिया बनगे। बेलास गंउटिया ह खम्मन ल एक ठन सुग्घर कुकुर मंगाए रिहिस पोसे बर।
खम्मन ह एक ठन भोकण्ड कुकुर ल लान के बखान करत किहिस- ‘गउंटिया! ए कुकुर ह हिन्दी, छत्तीसगढ़ी नइ जाने, अंगरेजी जानथे। ‘कम’ किबे ते आथे अउ ‘गो’ किबे ते जाथे। कुकुर किबे ते रिसा जथे अउ ‘टॉमी’ किबे ते घेरी-बेरी पूछी ल हलाथे। संझा-बिहना एला घुमाए बर लेगबे। अउ हां, ये ह जुड़ भात ल नी खाय। ताते-तात ल खाथे अउ दूध खाके टकराहा होगे हे बुजाके ह।
जामगांव भर ये खभर ह बगरगे कि बेलास गंउटिया ह नावा कुकुर बिसाए हे। कांही जिनिस होवय ओहा गांव म सबले पहिली बेलास गउंटिया घर आथे। रेडियो ह घलो सबले पहिली बेलास गउंटिया घर अइस। सइकिल तको ओकरेच घर अइस। टीभी ल घलो बलास गंउटिया सबले पहिली बिसाइस। गांव भर मा ट्रेक्टर घलो ओकरेच घर लेवइस सबले पहिली। अउ आज एदे गांव म सबले आघू कुकुर पोसे के सनमान घलो बेलास गउंटिया ल मिलगे।
बेलास गउंटिया घर के कुकुर ल देखे बर गांव के कतको ऊंखर घर जावत जाय अउ कुकुर के बड़ई करके जावत जाए। कोनो कांहय ‘का मस्त भोकण्ड कुकुर हे जी, बघवा पिला कस दिखथे।’ लइका मन तको उम्हिागे बेलास गउंटिया घर के कुकुर ल देखे बर।
बेलास गउंटिया जनम के लुकलुकहा। कुकुर जेखर ‘टामी’ नांव रिहिस तेला धरिस अउ गली डाहर घूमे बर निकलगे। जाए के पइत बिसवन्तीन ल हुंत करइस- ‘थोकिन देरी बाद आहूं। आती खानी टॉमी बर पारले बिसकुट घलो बिसाहूं।’ बिसवन्तीन अतका मां किहिस- ‘हमर ससुर ल जर धरे हे तइसे लागथे। काली के अब्बड़ खांसत हे। जाके थोकिन देख आवव।’ फेर बेलास गउंटिया नइ सुनिस टॉमी ल धरके घूमे बर चल दिस।
बिसवन्तीन के सास-ससुर, माने बेलास गंउटिया के दाई-ददा मन अलग रांहय। डोकरा-डोकरी दूनो झन बियारा म एक ठिन कुरिया रिहिस तेने मां राहत रिहिस। ‘कानी गाय के अलग कोठी’ इंकरे अस बर केहे गे हे।
डोकरा-डोकरी दूनो झिन आज गंडई गे रिहिस डॉक्टर करा इलाज कराए बर। दूनो झिन बस ले उतरिस अउ फइरका ला उघार के भीतरी डाहर खुसरिस। डोकरा ह खांसत खटिया मा बइठिस अउ डोकरी ला किहिस- ‘बेलास के दाई! जावव तो लोटा ल धर लव अउ बहू करा ले दूध लानहूं। मोला आज दूध भात खाय के सऊंख लागत हे। बड़ दिन होगे दूध भात नइ खाय हाैं।’
हव कहात डोकरी ह लोटा ला धरिस अउ चल दिस बेलास घर। बिसवन्तीन ल आरो दिस- ‘बहू का बूता करत हस वो।’ बिसवन्तीन ह अपन सास ल बइठारिस अउ पूछिस- ‘सब बने-बने हवय नहीं।’ डोकरी बताइस- ‘डोकरा ल दू दिन होगे जर धरे हे। डोकरा काहत रिहिस दूध भात खाहूं कहिके। उही पाय के लोटा ल धरके दूध मांगे बर आए हंव। होही ते दे देतेस?’ अतका म बिसवन्तीन किहिस- काला बतांव डोकरी। मेहा तो ये रोगही बिलई के मारे मर गेंव। ते नइ पतियाबे, मंझनिया बेरा अंधियारी के बेंस ला लगाए बर भूला गेंव अऊ नाहे बर चल देंव। आवत ले बिलई ह जम्मो कसेली भर दूध ला पी डरिस। राहत ले नइ कहिके नइ कितेंव घर बर। डोकरी ह उठिस अउ लोटा ला धरके जुच्छा आगे।
बेलास गउंटिया ल तिहार कस लागत हे। बड़ मनेमन गदकत हे बेलास ह। खोर ले किंजर के आइस अउ टॉमी ला अंगना मां बांधिस। बिसवन्तीन पानी दिस त हांत-गोड़ धोइस बेलास गंउटिया ह। बिसवन्तीन कथे- ‘बइठव, मैं जेवन लानत हंव।’ अतका मं गउंटिया किहिस- ‘पहिली टॉमी बर ला। दिन भर के भूखे हे बपरा ह। बिसवन्तीन टॉमी बर कटोरा, भर भात ल पोरसिस। फेर टॉमी कटोरा ल सूंघिस अउ मुंह ल अंते डाहर कर दिस।’ बेलास किहिस- ‘का होगे टॉमी ला ओ, ओतके पइत पारले बिसकुट ला घलो नइ खाइस अउ अभी भात ला घलो नइ खात हे।’ गउंटिया ला फिकर होगे। थोकिन सोचिस तहान बिसवन्तीन ला किहिस- ‘बिसवन्तीन! टॉमी बर दूध भात ला। खम्मन बताए रिहिस। टॉमी ह दूधभात खाके टकराहा होगे हे किके। बिसवन्तीन कोटरी म खुसरिस अउ कसेली भर के दूध ला कटोरा मं उलदिस अउ दूध भात ला टॉमी के आघू मां राख दिस। टॉमी ह दूधभात ला खाए ल सुरू करिस। टॉमी ल दूधभात खावत देखिस ते बलास गउंटिया के जी जुड़इस। बिसवन्तीन घलो टॉमी ल टक लगाके देखत रिहिस। टॉमी ह दूध भात ल उत्ता-धुर्रा खात रिहिस…।’
यशपाल जंघेल
ग्राम तेंदूभाठा (गण्डई)
जिला राजनांदगांव