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कहानी

कहिनी – नवा अंजोर

नोनी मैं तो आन धर के छईहां नई खुंदे रहें, बुता करई तो जानते नई रहें। फेर मोर आदमी के बीते म जीनगी के ताना नना होगे।
घर चलाय बर गहना गूंठा तक बेचागे। माय मइके मैं दिन के चार दिन बने राखही तहां…। नानमुन गोठ ह हूल मारे कस लागथे। एही पाय के मैं मिस्टरी बबा अउ रउतईन दाई संग-संग रांधे करे के काम करे लागे। कोनो काम छोटे बड़े नई होवै। काम करे म का के लाज।
गांव के सियान मन कहिथें- परवार के बड़े अउ छोटे ल भारा जादा परथे। मंझला-मंझली मन तो खोल्लो नहाक जाथें। हीरा- भागीरथी के छेवरहा बेटी। नानपन के कमेलीन। सबके दुलौरिन हा दाई ददा ल कतेक बेर का चाही, बूढ़ी दाई के ओखर, बड़े भाई मन के संवांगा, दीदी मन के बेनी चोटी। सबो बर पूर जाय। कहत हंव न धरनी कस चुनन-चुनन बुता करते रहय। ओखर ददा तभे कहय-हीरा सबके हरय पीरा।
खड़-खड़… संकरी बाजते सात भोला अपन दई के कोरा ले कूदीस। दादू- आगे दादू आगे। फइरका उघरते सात भोला दादू मेर रपट जाथे। सेत बई, भोला के दई टी.वी. देखत बइठे रइथे, उठके रंधनी कती जाथे। कुछु चहा-पानी के जोखा मढ़ाथे। मनहरन कही पारथे- कस वो आज भजिया मजिया नइ छान डारते। खाए के बड़मन करत हे। गुनगुनहा जाड़ घलो लागत हे।
तुंहर तो रंग-रंग के गोठ सेत बई तनतनात कहीस बिहनिया ले हमर कनिहा पीरात हे तेखर गम नइए। आते साथ फरमईस। सेत बई के तेवर रेख के मनहरन सुकुरदुम। मध्दम सुर म कहीस- त तोला कोन कहत हे- महारानी। हीरा ह बना डारतीस न। ओहर तो दूएच धरी म छानछुना के मढ़ा दीही। हीरा कहां हस वो थोकन तहीं ह भजिया छान डारते।
भइया मैं ह तोर भांचा ल पियात हंव। अभीच्चे थिराए हंव। बियारी बर साग-भात रांध डारे हंव। हीरा कहते कहत उठगे।
अरे अभी तो बेटा बुड़के बियार नइ होए हावै। भात साग ल बेर बुड़ते थोड़ी लीलबे। भांचा ल छोड़ अऊ कहत हंव तेला कर डार। ए छोटू भांचा के रात दिन के पीरीर-टीरीर रोवाईच ए। थोकन दबकार के चुप कराए बर नइए। बस पियाए के ओढ़र…।
भइया के गोठ सुनके कच्च ले करथे हीरा के छाती। सब दिन जेकर सेवा म लगे रहय, तेन मनहरन भइया ह ओढ़र मढ़ात हस कहि दीस। हाए कसन दिन…।
गांव के इस्कूल ले बार भी पास करके हीरा बीए करत रहय। साइकिल चला के बलौदा जावत कलयान कॉलेज म। बीए के आखिरी बछर रहय। परचा चलत रहय। फेर अपन बड़े बहिनी के बिहा म दऊंड-दऊंड क़े कमावत राहय।
हीरा के ममा ह कहिस भांची के परीच्छा हे अऊ तुमन ओला पढ़ेच्च नइ दव, त कइसे पास होही? हीरा के दाई कहीस- का करबे भाई तोर भांची पास होके कलेक्टर, पुलुस बन जाही। भारी चिंता करत हावस। ऐसो भर टूरी पढ़ लेवय तहां आन बछर एकरो खूंटा मढ़वा दिहां। असना नइ कहंय दीदी। आज काल तो नोनी मन घलो साहेब सिपइया बनत हे। बंदूक चलावत हे। सासन चलावत हें। हंत तैं अपन बेटी ल बने पढ़ा डार न ग…।
कसनही- जसनहो करके हीरा बीए पास हो जाथे। राईस मील म लिखा-पढ़ी के काम करइया मोहन संग ओखर बिहाव होगे। सुखे-सुख म डेढ़ बछर बीतत हीरा के कोरा म छोटू आगे।
हीरा के बेवहार ले सास-सुर जेठ-जेठानी परसन रहीन। हीरा के ससुरार जाए म ओकर दाई-ददा, भई-भऊजी ल अखरय। फेर समे के खेला ल कोन जानथे। पंचराम मिरझा ठीके गाठे। कइसा रेल बनाया बनाने वाला। हीरा के बिहा होए तीन बछर नइ पूरे पाइस के एक दिन घर लहुटत म डंफर के चपेट म आके मोहन काल कर डारीस। हीरा ऊप्पर तो पहार टूटगे। मोहन के सेठ मदद नइ करीस। हीरा करय त का करय।
बेटी के दु:ख देखके ओखर दाई अपन घर ले आईन। मइके आके मन भुलाई कइके? फेर मन भुलाथे का?
दू-चार कौंरा परान राखे बर खावय। सुन्ना म छोटू ल पोटार के रोवय।
ददा के नानपन के संगी मनोहर गांव आईस। मनोहर बेलासपुर म सरकारी डॉक्टर रहय। ओला देखके हीरा भीतरी खुसर जाथे।
डॉक्टर कका गोहराईस- कस बेटी रिसाए हस का। आन दफे आंव त डाकटर कका कहत तीर म आ जावस। हीरा कलेचुप आके ठाढ़ हो जाथे। डॉक्टर देखके अबक रइ जाथे।
थोकन बेटा के गए ल डाकडर कका कहीस एकर मन भुलाए बर कुछु कांही करवाए करव नहीं त असनहे परे रहे म सरीर के नकसान होही। ओईच कती ल सोचत रही त थोरे बनही भई। जऊन होगे तऊन होगे। विधि के विधान थोरी टरथे।
थोर बहुत करत रही त ओला बने लागही। फेर अब तो जमाना करत रही त ओला बने लागही। फेर अब तो जमाना बलद गे हे। जी कड़िा करके ओला कुछू करे बर परही न।
रेख भऊजी आजकाल तो नोनी पिला मन बाहिर जाके काम करत हें। हीरा पढ़े-लिखे हे। अऊ अभी एखर उम्मर कतेक हो गए हे? कुछु सीख-साख जाही त ओकरे काम परही। हां, अऊ कोनो हाथ यमोइया घलो मिल सकत हे।
कइसन बात करत हव डाकडर दाऊ। एक घंव ओकर ददा हीरा ल अइसने कही पारीस भइगे नोनी सुरर-सुरर के रोना। मैं बोझा बन गए हंव दाई त मोला ससुरार अमरा दे। मोरो पान-पतरी म गुजर हो जाही। तब ले नइ कह सकन हमन। एक दू झन दूजहा सगा आए रहीन। दू लइका के बाप रहीस, सरकारी करमचारी रहीस। ओमन तियार रहीन। हीरा के बेटा घलो बर तियार रहीन, फेर हमी मन हिम्मत नइ करे सकेन।
डाकडर कका चल दीस। ओकर कहे गोठ म गुनत सबे बिधुन हो गए रहीन। तीन बछर पहागे। हीरा घर के बुता काम म भुलाए रहय।
इतवार के संझा अंगना म सब बइठे रहंय तसनहे रामकली आगे अऊ हीरा ल अपन घर बुलाए लेगे। ओकर इहां महराजिन बइठे आए रहय। हीरा ल देखके महराजिन कहीस- नोनी मैं तो आन घर के छईहां नइई खूंदे रहें, बुता करई तो जानते नइ रहें। फेर मोर आदमी के बीते म जीनगी के ताना नना होगे। घर चलाय बर गहना-गूंठा तक बेचागे। माय मइके मैं दिन के चार दिन बने राखही तहां…। नानमुन गोठ ह हूल मारे कस लागथे। एही पाय के मैं मिस्टरी बबा अउ रऊतईन दाई संग संग रांधे करे के काम करे लागे। काम म का के लाज? बुता नइ करबो त हमर पेट के भरोइया कोन? लइका मन के जतनोइया कोन? चार पइसा हाथ म माढ़थे त भला लागथे। कोनो काम ह छोटे नइ होवै तेकर परगट परछन मैं पा गए हंव। मुंह के छोछल मरइया कोरी अकन मिल जाही, फेर का काम के।
ले नोनी रिस झन धरबे। दुखिया अंव न गोठिया पारेंव। एती हीरा के मन म खलभली माच गए रहीस। दाई ददा तो ओकर चिंता म छुटत हे। भईया अपने म मगन रइथे अऊ भऊजी। भऊजी सुना के ताना मारय। कपरा ओनहा के जात ल गन देवय। अपन लईका मन बर रंग-रंग के ओनहा अऊ ओकर छोटू बर कनकी बुलकऊ उप्प्र ले एहसान लदई।
हीरा ल चुप देखके रामकली कहीस- महराजिन दाई सीरतो कहत हे। तहुं तो पढ़े लिखे हस कुछु करबे त बता। मोर बाबू बलौदा म कपरा-लत्ता के दुकान करे हे। मे हर इहां जाथव। काहीं बात के चिंता नइए।
एक दू दिन के गए ल हीरा दाई ददा ल पूछथे। ओमन हामी भरथे- तोरेच मन ए बेटी। जा न का होवत हे। सीताराम बने मइनखे ए। हीरा रामकली संग सहर जाथे। ओमन दुकान म पहुंचथे त सीताराम हीरा ल देखके बड़ खुस होथे। तोर मन ओही त आ जाय कर बेटी। रामकली के नइ रहे म अकेल्ला पर जाथंव। एहर कभू-कभू ओतिया देथे। दूनो बहिनी आ जाहव संग म त महूं ल फिकिर नइ होही। फेर मइलोगन मन ल उनकर परसन के ओनहा देखात म सकुच लागथे। तैं तो बनेच पढ़े-लिखे हस, दुकान म बइठबे त अलगे परभाव परही। बने किसिम क ओनहा कपरा आडर करबे।
संझा लहुट के हीरा दाई-ददा ल अपन मन के बात बताईस। दाई ल तो बने नइ लागीस, फेर डाकडर कका के सुरता करके हामी भरदीस। हीरा दुकान आए-जाए लागीस।
महीना दिन के गए ले सुकवार के दिन सीता राम आईस। हीरा ल बला के ओकर दई दा के आघू म एक हजार रुपिया दे के कहीस, बेटी तोर मेहनत के फर ए झोंक ले।
हीरा के दई- ददा सोचत हे अब ओकर बेटो परभरोसी नइए। अपन जिनगी चला सकत हे। नवां अंजोर तो दिखत हे।
अशोक नारायण बंजारा
सिविल लाईन
बलौदाबाजार