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कहानी

कहिनी : ममता

ममता एक झन ल पूछिस जेहा गाड़ी म बइठे रीहिस। का होगे? कइसे लागत हे एला ओ मनखे ह थोरिक ढकेलहा कस जुबान दिस मोर गोसईन हरे। कालीचे भात रांधत-रांधत लेसागे। उही ल अस्पताल लाने हावन।

म मता नांवेच ल सुनके पता चल जथे कि कतिक मया ल समोय हे अपन भीतरी। ममता अऊ मया के अगम दहरा हरे ममता बेटी के अंतस ह। नपन ले पढ़ई-लिखई म गजब हुसियार। अइसन गुणवंतीन बेटी ल काकरो नजर झन लग जाय कहिके घेरी-बेरी काजर आंजे ओकर दाई रमोतिन ह। फेर करिया काजर के छबौना म घला चुक-चुक ले चंदा बरोबर झलके नोनी के चेहरा ह।
ओकर ददा मोहन ह थोरको कमी नई करिस ममता के पढ़ई-लिखई के खरचा में। ओकर एकेच ठन सपना रीहीस हे ममता ल डाक्टर बनाय के। आज ओकर सपना ह पूरा होगे। साहर के बड़ जनिक अस्पताल म डाक्टरी करत हे नोनी ह। गांव म दाई-ददा मन ओकर ममा के देखरेख म ममता ल सऊंप देहे जिहां ओहा अपन जीनगी के गढ़ना गढ़त हे।
रोज दिन बरोबर आजो लकर-धकर खाइस ताहने हांथ पोंछत अपन मामी ल सोर करत अस्पताल जाय खातिर निकलत हे ममता ह। ‘मामी, ए मामी ओ! मेंहा जावत हंव अस्पताल डाहर। संझौती पंचबाी कस घर लहुट हूं।’ ममता कीहिस- हव बेटा जा। ओकर मामी ह कीहिस तुरते बस के अगोरा म खड़े होगे। अऊ बस आईस ताहने ओमा बठ के अस्पताल पहुंचगे। 
ममता ह बस ले उतरते साठ देखते कि एक ठन एम्बुलेंस ह खड़े राहय अऊ गंज अकन मनखे मन ओमेर जुरियाय हावय। ममता ह का बात कहिके जानकारी लेबर उही भीड़ तीरन गीस। डॉक्टरिन के कपड़ा पहिरे ममता ल आवत देखके भीड़ ह थोरिक छितरागे। एक झन मनखे के देंह भर कपड़ा लपटाय रीहिस जेला कम्पाउंडर मन अस्पताल म भरती करे बर लेगत रीहीन। ममता एक झन ल पूछिस जेहा गाड़ी म बइठे रीहिस। का होगे? कइसे लागत हे एला ओ मनखे ह थोरिक ढकेलहा कस जुबान दिस मोर गोसईन हरे। कालीचे भात रांधत-रांधत लेसागे। उही ल अस्पताल लाने हावन।
ममता ह ओकर भाखा ल सुनके अऊ कुछू नई पूछिस। ओहा तुरते अस्पताल डाहर दऊंडिस।
अस्पताल के कुरिया म जाके देखथे त वहू ह एक घांव डर्रा जाथे। अस्पताल होय के बाद भी ओकरो करेजा ह कांप जाथे।
ओहा तुरते ओकर इलाज पानी शुरू कर देथे। थोरिक बेरा मं ओ अभागिन के होस आय लगथे। पूरा देहे ह लेसागे रीहिस फेर कोन जनी केते करा ओकर परान ह अरझे रीहिस हे ते। थोरिक गोठ-बात करे के हालत रीहिस बिचारी के।
ममता ह पूछिस- कइसे करत रेहेस दाई? ये अलहन कइसे होगे? ओहा धिरलगहा बक्का ल फोरिस- मेंहा रांधत-रांधत नई लेसाय हंव बेटी। मोला तो मोर घरवाला मन लेसे हांवय। ऊंखर मन मुताबिक दाईज नई लाने रेहेंव तेकर सेती। एला सुनके ममता सन्न रहिगे। ओहा कीहिस- मेहा तुरते पुलिस बलावत हंव दाई तैं अपन बियान लिखवा। तोर घरवाला मन ल सजा देवाय के जिम्मा मोर हरे। ओहा ईसारा म मना करत कहिथे- अइसन झन करबे बेटी अइसन झन करबे मोरा हीरा। तोरेच कस मोरो बेटी हावय। ओ पापी मन बहु ल लेस दीही। तेंहा अइसन अलहन झन करबे… मोर बेटी! अतका काहत-काहत अपन दूनों हाथ ल जोर के उदीम करे लागिस फेर जुरे के पहिली दूनो हांथ अलग होगे। ओकर भाखा बंद होगे अऊ जम्मो देंहे ह जुड़ागे। ओकर बात ल सुनके ममता के आंखी ले आंसू झरे लागिस। डाग्टर बने के बाद एक से बड़ के एक केस देखे रीहिस हे, मनखे के शरीर के दु:ख पीरा के। फेर आत्मा के अतिक बड़ पीरा ल कभू नइ देखे रीहिस ममता ह। ओहा सोंच म परगे- का वोहा दहेज लोभी मन ल सजा देवाय के उदीम करे धुन आखिरी बेरा म अपन बेटी के जिनगी के भीख मंगइय्या महतारी के जुबान राखे। 

रीझे यादव

टेंगनाबासा छुरा