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गोठ बात

कहिनी म नारी पात्र के सीमा रेखा – सुधा वर्मा

छत्तीसगढ़ी कहानी म नारी के रूप काय होना चाही। कहानी के नायिका, छत्तीसगढ़ के नारी के आदर्श होना चाही या प्रतिनिधि होना चाही? ऐखर मतलब होईस के घर, परिवार बर बलि चढ़गे या फेर शराबबंदी करवा के एक नेता के रूप म नाव कमा लीस। जेन नारी ह अपन गांव म सबके मदद करीस, शराबी पति के धोय-धोय मार खईस, बेटा के गारी खईस अउ दुनिया के आगू म एक आदर्श पत्नी या नारी बनके नाव कमइस। ये ह तो पहिली प्रश्न के उत्तर होगे। दूसर बात हे यथार्थ होना चाही। यथार्थ के कोनो सीमा नइए। हजारों तरह के घटनाक्रम होथे। दुनिया म कतेक अनहोनी भी होथे। एक दस साल के लड़की ह एक लड़का ल जन्म देथे, बिन बियाहे। एक सत्तर साल के आदमी ह सोलह साल के लड़की ले बिहाव करथे।
एक अस्सी साल के आदमी के 127 लइका हे, ये ह यथार्थ नोहय? नब्बे फीसदी कहानी यथार्थ आय। मोर सब कहिनी सच घटना ऊपर आधारित हे। स्थान अउ पात्र के नाम बदल गेहे। तीसर बात हे नारी समस्या अउ सामाजिक समस्या होना चाही। कहानी म ये होना चाही। एक घर के बेटी जिनगी भर बइठे रहि जथे बिहाव नइ होवय, काबर के ओखर ददा गरीब हे, लड़की सुन्दर, नइए या फेर घर म कोनो सियान नइए। ये ह समस्या नइए? एक नारी बिहाव होय के 2-3 साल बाद विधवा होगे, सब के नजर ओखर ऊपर हे। गांव के पुरुष प्रधान समाज म हर कोई ओला बदनाम करना चाहते। कुछ भी हो सकथे। कोई भी ओला रख ले या फेर इात बचाय बर वो ह कखरो खून कर दे, ये यथार्थ ह कामा आही। ये समस्या ह नारी समस्या आय, सामाजिक समस्या आय फेर जेन मन कहिनी ल अपन नजर म एक सीमा बांध के रखे हे तेखर नजर म ये कोनों समस्या नोहय। छत्तीसगढ़ के बहुत से नारी बाहिर ले आय मनखे मन के शारीरिक सोसन के शिकार होईस फेर ओखर सुनने वाला कोनो नइए।
लइकामन ल कोनो नई अपनइन। पुरुष तो अउ बिहाव कर लीस फेर नारी बदनामी ल माथ म लगा के जियत रहिस हे। तब समाज, पारा, गांव कहां गे रहिस हे। एक लड़का ओ नारी के हाथ थाम लीस। काय ये ह समाज सेवा नोहय? ओ नारी के मन म ओ पुरुष बर घृणा के भाव तो आबे करही। दूसर पुरुष ह ओखर से बिहाव करके ओला सम्मान दिस। आज ओखर परिवार म 3 लइका हे। काय येमा बिहाव करइया लड़का के आदर्श नई दिखय।
ये नारी के पीरा मोला हर दिन दिखथे। हर आहट म चौंक जथे। हिरनी कस चौकन्ना ये नारी दुलारी आय मोर बनके चंदैनी के मुख्य नारी पात्र। ये कहानी (लघु उपन्यास) बहुत चर्चा के आगे हे। सब अपन-अपन तरह ले विचार रखत हावंय। एक करोड़ कहानी के भाव अउ विषय भी एक करोड़ हावय। नारी के दर्द ल लिखना कहानी नइए। सायद ये कहिनी म एक वर्ग बिसेस ल बहुत तकलीफ होय हे। जेन मन नारी के इात करना नइ जानय, नारी ल सिर्फ भोग-विलास के साधन समझथे। दुलारी पात्र एक उच्च जाति के नारी आय, ये ह सत्य घटना हे। ये पात्र मोर सामने से अक्सर गुजरथे।
आज भी ओखर पहिली आदमी के लइकामन के प्रति दर्द ल मैं ह ओखर आंखी म देखथंव। हजारों कहिनी छत्तीसगढ़ी म छपे हे फेर ये बनके चंदैनी के अतेक चर्चा काबर?
कहानीकार के ठेकादार मन ल येखर दायरा बताना चाही। मन के भाव कलम के माध्यम ले कागज म उतरथे। येखर कोई सीमा नइए। मैं तो आज तक नइ सुने हंव के कहिनी में आदर्श अउ यथार्थ होना चाही। छत्तीसगढ़ के नारी समस्या अउ सामाजिक समस्या ऊपर ही लेखन करना हे सब लेखक मन कुंआ कस मेचका लिखत राहव अउ अपन आप म खुस होवत राहव। दूसर के लेखन ल बिना सोचे-समझे अउ पढ़े मीटर में नापे की जिनिस ल तराजू में तौलना गलत हे। आज पूरा छत्तीसगढ़ म इही होवत हावय। घूमत हे लेखन ह सिरिफ छत्तीसगढ़ म। छत्तीसगढ़ महतारी अउ हमरे गांव गंवई ल लिखत रहिहू त भासा के विकास कहां ले होही। मनखे ह चांद म पहुंचगे, भारत के झंडा ह चांद म लहरागे अउ तुमन अपनेच्च कुंआ म हावव।
कुछु बाहिर के लिखव, जेन ल हमर गांव म रहइया भाई-बहिनी मन पढ़य अउ दुनिया ल जानय। एक गांव के बाहर हजारों तरह के घटना होय हे। दुलारी कस कतको नारी घूमत हांवय। हमर राज के सैकड़ों डॉक्टर, इंजीनियर अमरीका तक पहुंच गे हावय, ओखरों लइका मन बिहाव के लइक होगे हावंय। इहू ल जानव। ईमान के सीमा खतम होगे हावय, तब काय तुमन मन के भाव ल सीमा म बांधना चाहत हव।

-सुधा वर्मा