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कविता

कारी, कुरसी अउ कालाधन संग दस कबिता

Sitaram Patel1:- कुरसी अउ कालाधन
करजा मा बूड़े हावय दिन
ब्यभिचारी रात हांसत हावय
बलात्कार होवत हावय दिन रात
तन मा मन मा
लोकतंत्र मा सबो समान हावय
बलात्कारी मन के सजा
कुरसी अउ कालाधन हावय
बरगंडा बर तरसत रइथन हामन
उनकर करा पूरा चंदन बन हावय

2:- रूकावट
रूकावट बर खेद हावय
इ रूकावट मा भारी भेद हावय
रूकावट मा भारी ले भारी काम हो जाथे
बिग्यापन हावय आत
हाथ मा फूल हवाला
हलधर हाथी का जोड़
जो कभू नी टूटे
समाचार- छेतरीय आतंकवाद
फूलत फरत हावय
लापता – बीते पांॅच बरिस ले
देस के नेता लापता हावय
जो कोन्हों ला मिलही
इ पता मा भेज दिहा
देस के राजधानी

भेजही अउ पता दिही
वेला आय जाय के पुरस्कार देबा

3:-औसध युग
का मनखे इहें सचमुच जीयत हावय
मोला नी लागत हावय
मनखे इहां जीयत हावय
इहें मनखे नीही दवाई जीयत हावय
आज रोज रोज नावा नावा
दवाई के खोज होवत हावय
दवाई खोजोइया, बेचोइयामन
फरत फूलत हावय
आज के मनखे बिन दवाई के
नी जीयत हावय
आज के युग औसध युग हावय

4:- कारी
कारी आगि मा रोज रोज नोहाथे
पांचझन ला एके रात मा निपटाथे
नोहा नोहा काया सोन साही निखरथे
आंखि फिसलथे,घरि घरि मरथे
जिन दलमन ला तारथे,आपन ला मारथे
मसीन साही खटिया खटर खटर बाजथे
परकिरति पुरूस ला चूंदी मा तोप देथे
अउ परकिरति कुहरा कुहरा हो जाथे
कारी परकिरति करिया ला खोजत हावे
करिया राजा बन गिस हावय मथुरा के
ओहर बिरिन्दाबन ला सफ्फा भूला जाथे
नानकन गांव हावय हामर बिरिन्दाबन
देस भर मा करिया के सासन हावय
गरीबी भूख लकरी ओकर रासन हावय
चमचा तेल भरस्टाचार ओकर बासन हावय
कारी करिया के मूंहबोली बहिनी हावय
एकरे खातिर इहें कारीमन बाढ़त हावय
कारी लछमी अउ सरसती के जोग हावय
एकरेबर एकर पूजा संझा बेरा होत हावय

5:- चुनाव चिन्हा
वो मोर मेर लंगड़ात आइस
अउ हाथ जोड़ के ठाढ़े हो गिस
मैंहर कहेंव तूं का करत हावा
रिस्ता मा तूं मोर ले बड़खा हावा
ओहर किहिस चुनई मा ठाढ़े हावों
एकरे सेती मोर पाछू पड़े हावा
आपन चुनाव चिन्हा आतंकवाद बताय हावा
तूंइचला बोट fदंहा आप तूं जावा

6:- पंचहत्थी लाठी
सवा अरब मनखे ले भरे
बड़ बड़खा हावय हामर देस
किचकिचात बिलबिलात कीचक साही
बिराट प्रायद्वीप हावय हामर देस
गरीबमन के भाखा मा कहों ता
सबोले पूंजीवाला हावय मोर देस
का परजातंत्र मा नी लगिस गरहन भाई
आतंकवाद, नक्सलवाद, लिट्टे कोन बनाइस
असमानतावाद, भाई भतीजावाद, जातिवाद
साम्र्कदायिकता, क्षेत्रीयता, भाशावाद
जनतंत्र के छेरी भेड़ी ला छेरका
जेती चाहत हावय , वोती ले जात हावय
आपन आपन ढंग ले पंचहत्थी लाठी ले
हामर मंडिर के महानता के लोहा
सारा संसार मानत हावय
मंडिर के खंडहर बाचत हावय
मूरतीमन सबो गंवागे हावय
गंवोइया के खोज जारी हावय
मिलही ता तुंहर हावय
नी मिलही ता हामर आय

7:- चेतना
लइकाहर जब बाढ़थे, ता वोहर मर जाथे
ओकर मरे मा ओकर जवानी हांसथे
जवानी के बुड़गा आपन साथ सबो ले जाथे
तभू ले हामन नी चेत पान
काबर कि हामन चेतना ला नी पाय हावन
अउ मौत हामर तीर कलेचुप आ जाथे

8:- सेरनी के दूध
मोर बीबी ला सेरनी के दूध चाहत रहय
अउ थोरे नीही खूब अउ संजोग देखा
जंगल के राजा आपन रानी के संग पधारे हवय
पांय परय अउ कहें धन भाग हामर हवय
चुनई मतदान केन्र् याने जनपद प्राथमिक स्कूल
हाथ जोड़े खड़े हावय उनकर परिवार सारा
लइकामन माटी मा ढलगत हवय
हामरमन मा पाय के खोट रहय
दू बोट के बदला मा दू किलो दूध
वो सुध, मिलावट की गुंजाइस नीए
मिलावट ले पूरा नी होए मनोकामना मन के
मनोकामना बिना सुध नीए तन के
मांगत काबर हावा जरूरत नीए धन के
कलंक काबर सहथा जन जन के
मतदान खतम होति आत रिहीस
पांच बजे बर पांच मिनअ बांचे रिहीस
ओकर पाछू सबो कुछू हो जाही
फेर हामनला कुछू नी मिलय
मोर बीबी झल्लाईस, कन्हों लंग ले छड़ी लाईस
सियार के हाथ मा सेरनी समोसा खात रिहीस
आव देखिस न ताव, दे घूमा के देईस
में अउ मोर लइकामन एके संग भागेन
सेरनी के परिवार हामर पाछू कूदत हावय
फइरका मा सांकल लगाके भीतरी मा बंद हावौं

9 :- भगवान तुंहार लीला
भगवान तुंहार लीला
मोर मनखे के मगज के समझ के परे हावय
तूं आपन fसंघासन सरग मा बनाहा
fभंया के मनखे बर कुरिया झन बनावा
आपन बिमान मा आहा, दूसर ला रेंगाहा
परजातंत्र सतरंज के खेल मा
आपन रक्छा बर सबो राखिहा
मंतरी हाथी घोड़ा उंट पैदल
भुंइया ला अधूरा सरग बनाय के तुंहर सपना सच हो गिस
तुंहर राजनीति गांव के छेदहा मनखे पा गिस
वो मंद महुवा पीके नाली मा घुंडलत हावय
वाह परभू वाह ! तुंहर लीला
आदमी ला नून तेल लकरी ले उबार के
राजनीति के निसा पिलात हावा
तुंहर महानता के का कहना
गरीब असहायमन के आंसू पीवत हावा
बिचारामन आंखि छांड़के तुंहर कति निहारत हावय
भगवन ये तुंहर कइसने लीला हावय
द्वापर मा सुदामा तुंहर महल गिस
प्र इहें तूं महल ले उतरके उघरा पांय झाला मा
सुदामा सो मिले बर आत हावा
कहूं तुंहर पांय मा फोरा तो नी पर गिस
कहूं तुंहला सुदामा के झाला खोजे मा तकलीफ तो नी होइस
हामर देस ला किसानमन के देस, गांवमन के देस बनावा
आपन बर जगहा जगहा महल बनावा
आपन बड़ाई के गीद गाय बर
चाटूकरमन के हाथ मा संख अउ घड़ियाल थमावा
ओ बुधियार मनखेमला भरमा देवा
ओमन पताल के नाली मा बिलबिलात रहय
अउ तुमन सरग के सुख लूटत रहा
तुंहर सपना के गांव, तुंहर लीला के अनुसार
बने ढंग ले चलत हावय
पहिली पेट बर लड़त रिहीन, आप बोट बर लड़थे
लड़ेहर इमनला पूरखती ले मिले हावय
हर जुध हर धरम होथे, धरम बर होथे
हर धरम जुध होथे, आपन इतिहास हावय
जुध मा महा हो जाथे
पहिली भारत रिहीस, तउनहर महाभारत बन गिस
पूरा पेज मा छाय रहंय, हासिए मा हामनला फेंक दिन
आपन ला बड़खा बड़खा आखर मा लिखवाइन
हामर उपर करिया चांटी साही रेंगा दिन
जब तुंहला गुदगुदी के जरूरत पड़थे,
हमनला आपन उपर मा रेंगा लेथा
नीही ता हाथी साही फूंक देथा
जरूरत निकल जाय मा
भगवन आतंकवाद खतम होही
जब तुं आपन अरथ के आतंक छांड़ दिहा
भूखामनला रासन दिहा
फेर आतंकवाद के खात्मा जरूर होही
तुं कोन्हों करा रहा मोर भगवन
तुंहला चाहत रिही मोर अन्तरमन

10:- दू ठन तितली
दस करेवा झपटत हावय
दू ठन तितली मनला
मैंहर पहुंचे डर के मारे
करेवामन उढ़ियागिन
फेर कतका दिन
खैर मनाही दूनों तितली मन

– सीताराम पटेल