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किरीट सवैया छंद

किरीट सवैया : पीतर

काखर पेट भरे नइ जानँव पीतर भात बने घर हावय।
पास परोस सगा अउ सोदर ऊसर पूसर के बड़ खावय।
खूब बने ग बरा भजिया सँग खीर पुड़ी बड़ गा मन भावय।
खेवन खेवन जेवन झेलय लोग सबे झन आवय जावय।

आय हवे घर मा पुरखा मन आदर खूब ग होवन लागय।
भूत घलो पुरखा मनखे बड़ आदर देख ग रोवन लागय।
जीयत जीत सके नइ गा मन झूठ मया बस बोवन लागय।
पाप करे तड़फाय सियान ल देख उही ल ग धोवन लागय।

पीतर भोग ल तोर लिही जब हाँसत जावय वो परलोक म।
आँगन मा कइसे अउ आवय जेन जिये बस रोक ग टोक म।
पालिस पोंसिस बाप ह दाइ ह राखिस हे नव माह ग कोख म।
हाँसय गावय दाइ ददा नित राहय ओमन हा झन शोक म।

जीयत मा करले तँय आदर पीतर हा भटका नइ खावय।
छीच न फोकट दार बरा बनके कँउवा पुरखा नइ आवय।
दाइ ददा सँग मा रहिके करथे सतकार उही पद पावय।
वेद पुराण घलो मिलके बढ़िया सुत के बड़ जी गुण गावय।

जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया”
बाल्को(कोरबा)
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