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कविता

किसानी के गीत

आवा आवा रे आवा ना,
किसान अऊ बनिहार मन आवा ना।
आगे आगे रे आगे ना,
बारीश के दिन बादर आगे ना।

चलव चलव रे चलव ना,
खेती अऊ खार चलव ना।
आवा आवा रे आवा ना,
किसान अऊ बनिहार मन आवा ना।

धरव-धरव रे धरव ना,
नागर अऊ बैइला ला धरव ना।
बोवव-बोवव रे बोवव ना,
धान गेहूँ ला बोवव ना,
आवा आवा रे आवा ना
किसान अऊ बनिहार मन आवा ना।
निदव-निदव रे निदव ना,
बन अऊ कचरा ला निदव ना।
डालव डालव रे डालव ना
खातू अऊ माटी ला डालव ना।
करव- करव रे करव ना
बियासी अऊ बतर ला करव ना।

देखव देखव रे देखव ना
मुही अऊ पार ला देखव ना।
निकालव निकालव रे निकालव ना
करगा अऊ बदवरी ला निकालव ना।
लुवव लुवव ने लुवव ना
धान अऊ गेहूँ ला लुवव ना
नानव नानव रे नानव ना
धान अऊ गेहूँ ला नानव ना।
मिसव मिसव रे मिसव ना
धान अऊ गेहूँ ला मिसव ना।

धरव धरव रे धरव ना
कोठी अऊ किरगा मा धरव ना।
आवा आवा ने आवा ना
किसान अऊ मजदूर मन आवा ना।
नाचव नाचव रे नाचव ना
किसान अऊ मजदूर मन नाचव ना।
गावव गावव रे गावव ना
करमा अऊ ददरिया गावव ना।

जनम जनम के बंधना संगी, मया प्रित के छाँव।
छत्तीसगढ़ के मया करईया, गाँव देहात के ताव।
Hemlal photo

हेमलाल साहू

7 replies on “किसानी के गीत”

आपके रचना ह सुग्घर लागिस संगवारी

आप ल बहुत बहुत धन्यवाद सांगवारी महेंद्र देवांगन जी जो आपमान हमार रचना ल पसंद करेव । जय जोहार राम राम

हाव भैया रमेशकुमार सिंह मे हा जरूर जारी रखहा बस तुहार मन के आशीवाद मोर साथ रहय ।

Ramesh bhaiya abhi to hmla bahut kuchh sikhna he mor rachna me kuchh galti rahithe t bta de karw chhote bhai samjh ke

आपमान हमर रचना पसंद करेव तेकर बार बहुत बहुत धन्यवाद भैया विजेंद्र जी

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