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कविता

किसान के पीरा : आरे करिया बादर

आरे करिया बादर
अब आ रे करिया बादर
सूक्खा परगे तरिया नदिया,
जर के माटी होगे राखर।
आरे करिया…..

ददा के दवा अऊ बेटी के बिहाव,
सेठ के कर्जा ल कइसे करिहौ।
दुकानदार के गारी सुनके,
खातू के लागा ल कइसे भरिहौ।।
“आत्महत्या”के सिवा, अब नइये मोर जांगर..
आ रे करिया……

बूंद बूंद बर सब तरसगे,
पीरा होगे किसान ल। दुनिया के पेट भरइया,
अब कब बोहुं मैं धान ल? लइका मन के पेट
बर बेचेंव बइला नांगर……
अब आ रे करिया…….

टोंटा सुखा गे पानी बिना ,
चिरई चुरगुन ह रोवत हे।
रूखराई म लू अमागे,
असाढ़ म भोभरा होवत हे।। गाय गरुवा छेरी मरत हे ,
कुकरी पड़की घाघर।। आ रे करिया…..

– राम कुमार साहू
सिल्हाटी (स.लोहारा )
(कबीरधाम)
मो नं. 9977535388
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