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कविता

गणपति विराजे

सबके मन आज रमे हे
भगतन के तांता लगे हे
कानन कुंडल मुकुट मा साजे
जय जय जय गणपति विराजे
एति तेति पंडाल सजे हे
बिहनिया संझा शंख बजे हे
बाजत हावय गाजा बाजा
पुजा पाठ जम्मो करबो आजा
भगत जमके जयकार लगावा
मुख ले फेर चित्कार लगावा
षिव शंकर के डमरू बाजे
जय जय जय गणपति विराजे
षिव शंकर हावय पिता तुंहर
कष्ट निवारण करा हमर
गणनायक संग नंदी नाचे
जय जय जय गणपति विराजे
स्नेह प्रेम के गावा गाथा
प्रभु चरनन मा टेका माथा
कष्ट ला एहा हरही भाई्र
इंखर बिना जिवन दुखदाई
भगतन संग भगवान हा नाचे
जय जय जय गणपति विराजे

कोमल यादव
मदनपुर खरसिया
9977562133