Categories
व्यंग्य

गनेस के पेट

हमर गांव के लइका मन, गनेस पाख म, हरेक बछर गनेस बइठारे। गांवेच के कुम्हार करा, गनेस के मुरती बनवावय। ये बखत के गनेस पाख म घला, गनेस मढ़हाये के अऊ ओकर पूजा के तियारी चलत रहय। समे म, कुम्हार ला, मुरती बनाये के, आडर घला होगे। एक दिन, गांव के लइका मन ला, कुम्हार आके बतइस के, गनेस भगवान के पेट ला, कोन चोरा के, लेग जथे। जे घांव बनाथंव ते बेर, ओकर पेट गायबेच हो जथे, जबकि मुरती बनाके, रात भर पहरा देथंव। बिहिनिया ले ओकर पेट करा सेफला हो जथे। लइका मन ला, अचरज होइस। ओमन कुम्हार ला, अपन आगू म, मुरती बनाये बर किहीस अऊ खुद चऊकीदारी म लग गीन। वाजिम म, देखते देखत, ओसकत ओसकत, भगवान के, पेट रात भर म चेपटगे।

सेफला पेट के गनेस ला, कइसे बइठारय। दूसर जगा, गनेस बनाये के आडर देवागे। ओकरो उइसनेच किस्सा …। परब लकठियागे। सहर म, गनेस के, मुरती बिसाये बर, निकलगे। उहां घला उही हाल ……जे गनेस ला देखतीस …सेफला……। लइका मन, ये बछर, सेफला गनेस ल बईठार के पूजा करे बर सुरू करीन। पहिलीच दिन, खाये पिये के अबड़ समान चघिस। भगवान ओकर मन के पूजा ले, परसन्न होगे। रात कुन सपना म, दरसन दीस अऊ किथे – अतेक अकन खाये पिये के समान, झिन चढ़हाये करव जी, मोर करा पेट निये, काये करहूं, कामे खाहूं ….., बांट ले करव तुहीं मन। लइकामन किथे – कइसे गोठियाथस भगवान, तैं ठीक से, खावस निही तेकर सेती, तोर पेट दिखत निये ……, बने खाबे तब, तोर पेट वापिस दिखही। भगवान किथे – मोर तीर पेट कहां हे, वो तो चोरी होगे हे, खाहूं तेला, कती मेर राखहूं …….?



सुकुरदुम होगे लइका मन। गनेस भगवान ला, लइकामन पूछथे – तोर पेट ला कोन चोराये हे भगवान ? भगवान किथे – नी जानव जी …….। लइकामन किहीन – तैं फिकर झिन कर भगवान, हमन जुर मिल के, पाख के रहत ले, चोर ला धर के, तोर आगू म, हाजिर कर देबो। भगवान हांसिस अऊ अनतरधियान होगे। लइकामन, सपना म, भगवान ला दिये आसवासन ला, पूरा करे बर चल दीस। कन्हो लइका कहूं करा गीस, कन्हो कहूं करा। पुलिस वाला के बेटा सोंचिस, ये काम हमर थोरहे आय, ये पुलिस के आय। थाना चल दीस। पुलिस वाला, गनेस के, हुलिया पूछीस। पुलिस पूछीस – अतेक बड़ पेट रिहीस गनेस के, कहत हस तैं …..ओकर अतेक बड़ पेट कइसे होइस …..? का ओहा अतेक खावत रिहीस ….? अतेक खवइया के, इनकम घला, जोरदार रिहीस होही। ओकर इनकम के, सरोत का रिहीस ……? का वोहा टेक्स पटावत रिहीस ? ओकर आधार कारड अऊ पेन कारड, लिंक रिहीस अऊ कती बैक म, ओकर खाता रिहीस ….? लइका, पहिली तो, हड़बड़ागे। फेर अपन पुलिसिया पहुंच के, रौब दिखइस। लइका किथे – मेहा सहर के एसपी के भतीजा आवंव …..। जइसे एसपी नाव सुनीस, पुछइया के हाथ नारी जुरागे। चुपचाप रिपोट लिखे बर धरीस, फेर मामला अटकगे तब, जब गनेस के आधार कारड मांगिस अऊ लइका ओकर जनाकारी निये किहीस।

दसवा दिन, लइका मन ला, भगवान फेर दरसन दीस। लइका मन, गनेस भगवान ला, बताये लगीन के, तोर पेट चोरइया, मिलगे भगवान। एक झिन लइका बतइस – तोर पेट ला, कुछ बियापारी मन चोराये हे। टेक्स ला तोरे पेट म लुकाके, उही मन राखथे …..। दूसर किथे – निही भगवान, ओमन, नी चोराये हे, मेहा कुछ इनजीनियर के, बड़े जिनीस पेट देखे हंव, जरूर ओहा तोरे होही, ओमन गिट्टी, सिरमिट, लोहा अऊ मजदूरी के पइसा ला उही म लुकाथे ….। तीसर किथे – कतको झिन सरकारी करमचारी मन, अपन अकरमन्यता ला लुकाये बर, तोर पेट ला राखे हे भगवान ……। एक झिन किथे – कन्हो तोर पेट ला करियाधन कस, बिदेसी बैंक म, जमा कर देहे कस लागथे भगवान, इहां दिखत निये…….। अगला किथे – चुपरे, तैं कहीं नी जानस ……, पेट ला कन्हो चोरा के, बैंक म जमा करही …? एक झिन किथे – में एखंर मन कस, लबारी नी मारंव गऊकिन भगवान, सवांगे देखे हंव, तोर पेट ला, देस के कुछ नेता मन चोरा के, अपन तीर म राखे हाबय। उही मन बइमान, हईतारा, भरस्टाचारी, देसदरोही मनला, पेट म सनरकछन देथे…….।



तभे, एक झिन लइका, हफरत हफरत अइस। ओ किथे – येमन जम्मो झिन लबारी मारत हे भगवान, तोर पेट ला, हमर देस के, कुछ डाकटर मन चोराये हे …..। भगवान अचरज म परगे अऊ पूछे लगीस – ओमन का करही ? लइका किथे – अतेक दिन ले तोर पेट, अतेक पान ओसके नी रिहीस भगवान ….., कुछ डाकटर मन, आकसीजन लुका के राखे बर, तोर पेट ला लेगे हे भगवान ….। भगवान किथे – आकसीजन लुकाके काये करही, फेर ओकर काये परमान ……। लइका बतइस – ओला काबर लुकाथे अऊ लुका के का करथे, तेला मे नी जानव, फेर अतका जानथव के, आकसीजन ला पेट म लुका के राखथे, तेकर सेती लइकामन बर, असपताल म, आकसीजन के कमी होवत जावत हे अऊ कतको लइकामन सरग सिधार देवत हे …….। गनेस भगवान, लमबा सांस ले बर, धर लीस। भगवान सोंचे लागीस – को जनी, कोन सही कहत हव, फेर कुछ दिन ले, सहीच म मोर पेट म भराये हावा, एकदम से कती तनी, निकल गीस, तभे मोर पेट, सट ले ओसकगे। न सिरीफ मोर पेट बलकी, ओमा के आकसीजन ला घला, कन्हो चोरा के ले गेहे तइसे लागथे, तभे तो कुछ समे ले महूं ला सुवांस ले बर तकलीफ होवत हे ……।

पाख नहाकगे, असली चोर कोन आय …पता नी चलीस, फेर भगवान, लइका मन के उदिम ले, बड़ खुस होगे अऊ बरदान मांगे बर किहीस। लइका मन किथे – हमन ला कुछु नी चाही भगवान, हमर तीर, परयाप्त हे, तोला देना हे त, येदे ला कुछू दे दे। एक झिन, चिरहा कुरता, फटहा पेंट, चेपटा पेट के, हाड़ा हाड़ा दिखत लइका ला, आगू कर दीस। ओ लइका किथे – मोर बर, अतके कर देते भगवान के, कन्हो तोरे कस, हमर गरीब के, पेट ला घला, चोरा के लेग जतीस। पेट बर, रात दिन करत, हरहर कटकट ले, बांच जतेन ……। भगवान सुन पइस के निही ……ओकर पेट के बांचे खोंचे आकसीजन सिरागे। भगवान सरग सिधार दीस …….।

हरिशंकर गजानंद देवांगन
छुरा