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गुन ला गा लो : महावीर अग्रवाल के गीत





जोन माटी मां जनम धरे हो, वोकर गुन ला गा लो
वोकर गुन ला गा लो रे भैय्या, वोकर गुन ला गा लो।
इहंचे खेलेन गिल्ली डंडा, अऊ डंडा पचरंगा
इही हमर बर तीरथ धाम हे इही हवे जी गंगा
पांव परो महतारी के अऊं माथे तिलक लगा लो
माथे तिलक लगाओ भैय्या, माथे तिलक लगा लो।
धान के हावै जबरा कोठी, दुनिया के पोसइय्या
रद्दा रेंगइय्या पाथे भैय्या, बर पीपर कस छंइय्या
इही धान के फुलवारी मां, अऊ सोना उपजा लो
अऊ सोना उपजालो रे भैय्या अऊ सोना उपजा लो।
गाँव गॉव मां गमकत रहिथे, तुलसी अऊ कबीरा
बांस गीत ला गावत रहिथे, राऊत अऊर अहीरा
सुआ के संग संग मोर संगी, करमा ददरिया गा लो
करमा अऊ ददरिया गा लो रे भैय्या, करमा अऊ ददरिया गा लो।
भोमरा चराचर जरथे तभों ले मनखे मिहनत करथे
दुनिया ला देखाए बर रद्दा, ये हा दिया कस बरथे
बरत दिया के ये अंजोर मां, एक पहर सुस्ता लो
एक पहर सुस्ता लो रे भैय्यो एक पहर सुस्ता लो।

महावीर अग्रवाल
ए-14 आदर्श नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)