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गोठ बात

घुरवा के दिन घलो बहुरथे‬

Varsha Thakur1दू तीन दिन होगे बहिनी ,बहिरी वाली ह नई आवत हे का ?बहिरी ह खियागे हे ,नवा बहिरी लेतेव।,तीहार ह घलो नजदीक हे। वा ! कहाँ ले बहिरी वाली आही। नई जानस का परंदिन बजार में अड़बड़ ,बहिरी बेचाइस,बहिरी के शार्टेज होगे रहीस ,ओखर डिमांड भारी बाड़गे रहीस। ब्लेक में घलो खोजे नई मिलत रहिस हे। हमर प्रधानमंत्री के प्रताप ले बहरी के भाग जाग गे हे।ओखर पांखी आगे हे। घर के कोनो कोंटा में लुकाय कलेचुप रहय ,तेन बहरी संग फोटू खिचीय बर होड़ मचे हे ,का मंत्री, विधायक, नेता, अभिनेता ,अधिकारी, कर्मचारी ,एसपी, पुलिस ,वकील,ब्यपारी,
मास्टर , लईका, सबे के सबे बहरी ल धर धर के फोटू खिचाय। जन मन बहरी नई कोनो सुपर- स्टार होगे है। यही ल कीथे घुरवा के दिन भी बहुरथे। टी.वी.में देखेस नई दिन भर बड़े -बड़े मन ल बहिरी धरे -धरे दिखइस। तुहर गोसइया ल घलो सड़क ल बाहरत दिखइस।आज तो पूरा पेपर में बहिरीच- बहिरीच के फोटू हे। तुहर गोसइया के घलो हे। बुधिया ह अपन गोसइया ल लड़त रहीस हे देखतहव ओतेक बड़े मनखे गली खोर ल बाहरत हे। अउ तुमन ल देख लव ,अपन कुरिया में एक बहिरी नई बाहरव ,ऊपर ले कागज ल चीर -चीर के ,पान-गुटका के पाउच ल फेक-फेंक के कचरा बगराथव।
का करौ! बहिनी,रात-दिन चाय-पानी के जोखा में लगे रहिथव। एक ग्रुप जाथे तो दूसर आ जथे, कहाँ ले टी. वी.देखव पेपर पढ़ौ रात में सुतथव तभो सपना में एही चाय-पानी दिखथे।बड़े के संगती अइसने ताय। सांस ले बर नई मिलें।
वा ! मास्टर-मास्टरीन मन घलो बतात रहीन उहु मन स्कूल गे रहिन ,बहारेबर ,सबो लइका मन ल तक बुलाय रहीन। ऊपर ले ऑडर आय हे। २ अक्टूबर के स्कूल में “स्वछता-अभियान” चलाना हे। कचरा के फोटू अउ बाहरत हुए फोटू ल खीच के बड़े ऑफिस में भेजे बर हे।
कइसे ओखर स्कूल में रोज नई बाहरय -बटोरय का ?
पूछेंव -तव बतात रहीस रोज बहारेथ- बटोरथे। आगू के मैदान अउ कक्षा मन एकदम साफ रहिथे। पाछु कोती झुंझकुर-झाड़ी हे। उही ल साफ करतेन फेर सांप -बिच्छु के डर लागथे। कोई लइका ल कुछु होगे तो जीव के काल ,नोटिस आ जही ,सस्पेंड कर दी ही। आजकल के लइका बात नई मानय।
आगू कोती साफ रहिथे। पाछु -झाड़ी ल साफ नई कर सके ,तो कचरा के फोटू ल कहाँ ले लानिन होही?
पूछेंव -तव बतात रहीस -बड़े गुरूजी कहिस दो -तीन दिन का कचरा एक जगह इकट्ठा करो,उसीको हटायेंगे ,और फोटो खिंचवाएंगे। फोटो तो भेजना है। तो वइसनहे करेन।
तो आज तो मैडम के घलो फोटू छपे होही। देखा तो कहां हे ?
नई छपे हे ,पूछत रहेव ,तुहर फोटू कोन पेज में हे ?तो बपरी बतात रहीस नई छपे हे। फोटू ल खींचा के धोवाय ल देथन तो टाईम हो जाथे,पेपर वाले मन “मेटर बासी हो गया है नई छपेगा” कई देथे का करबो दू चार फोटू मन ल फेस बुक में डाल देथन।तो कोनो-कोनो देखही, मन लगही लाईक कर दीही ,अउ हमरो मन के मन माढ़ जही। प्रमाण घलो हो जही। विज्ञापन देवय नई ,सरकारी स्कूल ताय।
आई फोटू ल खींचा लेतीन,तुरते दे देतीन।
वइसनेहे केहेव। का करै सबे काम उही मन ल करेबर हे। स्कूल के बीच ले नई निकल सके। छुट्टी होय के बाद जाथे ,तब तक टाईम अड़बड़ हो जथे। छुट्टीहोय के पहिली निकल गे कहु अधिकारी आ गे ,तो एक ठोक नोटिस थमा दी ही। बजार-हाट में देखलीस कोनो पेपर वाले तो फोटू छाप दीही “,स्कुल के समय में शिक्षक बाजार में घूमते मिले।” बकवाय ताय। बतात रहीस अब नौकरी में पहली असन मजा नई रहिगे हे. एक दिन एक मास्टरीन क्लास ले के अइस अउ धूप में बईठ गे ,ठौका अधिकारी आ गे डॉट फटकार लगइस अउ पेपर में दे दीस ,निरीक्षण के दौरान एक मैडम धूप में बैठे पायी गयी। काखर नजर लाग गे हे ,धीरे-धीरे करके हमर सबे छुट्टी मन खतम होत जाथ हे। अब तो छुट्टी के दिन घलो स्कुल जाय लगथे। आन साल तक तो कम से कम ५ सितमबरके एक दिन कोनो-कोनो मन बुला लेत रहीन अउ एक ठन श्री- फल दे देवय फूलमाला पहिरा देवय। तव बने लाग जात रहीस,हमरो कुछ पूछ परख तो हे। ए साल तो उहू दिन (शिक्षक-दिवस )दिन भर स्कूल में रेहेन ,प्रधानमंत्री के भाषण सुनेबर। ऊपर ले ऑडर रहिस हे ,स्कूल में टी. बी.ट्रांजिस्टर की व्यवस्था किया जाय। सभी शिक्षकों और विद्यार्थीयो को सुनाना अनिवार्य है।ट्रांजिस्टर ल तो खरीद लेन ,फेर ओतेक लईका में एक ठन का होही ‘ऊट के मुँह में जीरा “बड़े मैडम ह बड़ मुश्किल से टी वी के जुगाड़ कर लीस तो दूसर समस्या आगे। अतेक लईका ल एक संग कोनमेर बैठान ,एक हॉल नही नान नान कमरा। फेर बड़े मैडम पड़ोस के एक ठन हॉल ल लिस तब जाके हमन सबे उहे समायन। हमर मन के धियान पूरा समय लईका मन ल कंट्रोल करे में रहीस। दूसर के कुरिया कुछु नुकसान झन कर देवे “लेने के देने” पड़ जही। आजकल के लईका बात नई सुने खासकर बालक वर्ग तो अती उत्पाती ,बेदरा बरोबर एती ले ओती कूदत फादत रहीथे।
तो ड़पकारतीस ,एको थपरा लगातीं ,तो कहाँ रहतीस।
कहाँ थपरा के बात करत हस बहिनी ,लईकामन ल डाटना डपटना मना हे। आजकल के लईकामन अड़बड़ सवेदनशील होथे। कुछु बात ल मन में लगालीन तो गड़बड़ हे। पेपर में आजही “मानव अधिकार आयोग “तक बात चल दी ही ,तो ऊखर नौकरी जात रही।
लईका बात नई मानय तो पढ़ाते काला।
पूछेंव -तव बतात रहीस जेनमन पढ़ते तेन ल पढ़ाथन ,नई पढ़े तेन ल नई पढ़ावन। का करै बपरी ल दिनभर काम हो जथे। घर के, बाहिर के, स्कूल के।
ओखर बेटा -बेटी मन काम नई करे का ?
कहां करही !ओमन ल अंग्रेजी स्कूल में पढ़ावत हावे। लईका स्कूल ले कोचिंग, फेर ट्यूशन,पढ़ाई ले फुरसत नई मिले, तो कहाँ महतारी के संग काम करही। कभू काम तियार देथे ,तो थक गयी हू पढ़ रही /रहा हूँ कई देथे।
अड़बड़ गोठबात होगे ,चल दई जावं ,तोरो गोसइया के टाइम होगे हे ,एल पेपर ल सम्हाल के रख।
अजी सुनती हो।
का होगे ,कइसन चिल्लावत हव।
क्यों नाराज हो रही हो भई ?
नाराज हो रही हो कहतहव ,कईसन गली खोर ल बाहरत हव ,दुनियाभर में सोर होगे हे। घर में तो “आड़ी के काडी नई करव “एक गिलास पानी ल हेरके नई पीयव, अउ गली खोर ल बाहरे ल चलीस। रात -दिन बाहरत -बटोरत हमर हाथ गोड़ खियागे ,पेपर वाले मन कभू हमर फोटू नई छापिन। न हमर संग कभू फोटू खींचवाय़ ,तुमन। याहा बहिरी में काय मोहगेहाव तूमन ,वो ल धर- धर के फोटू खींचवाय़ हावव। चारदिन केजरीवाल ह धरय। ओखर असर हो गे का ?बपुरा केजरीवाल ल लईका जान के ओखर बहिरी ल नगाडरेव का ?कुछु लागिस नई !
अरी कैसी बात करती हो। केजरीवाल का बहिरी हम क्यों छीने ?अरी भागवान ये ” बहिरी” तो” सार्वभौमिक ” है। हमारे प्रधानमंत्री जी ने तो सबको झाड़ू लगाने का न्योता भेजा है ,सलमान ,तारक मेहता ,केजरीवाल को भी। बहिरी के बिना किसी का काम नही चलता है. हमारे देश में तो घर -घर बहिरी है।
वो तो ठीक हे ,फोटू ल काबर खींचवाय़ हावव काबर गली खोर ल बाहरे हवव ,तेन ल तो बतावव।
अरे यही तो राजनीति है। ये तो पार्टी का कार्यक्रम था। हाई कमान का ऑडर था ,तो करना ही पड़ा।
अई अतेक महंगा कपड़ा ल पहिर के बाहरेव ,सरी धूरा- माटी कर डलेव।
अरे नही, धूल मिटटी नही हुआ है। वो तो दिखाने के लिये झाड़ू लगाया। उसको पहले से ही साफ करवा दिया था। आस पास के पत्ते को डलवा दिया था। हाई कमान का बात तो रखना पड़ेगा।
तो ये बात हे।
अरे धीरे बोल पेपर वाले सुन लिए तो अपोजिशन तक बात चली जायेगी। पार्टी में मेरी पेशी हो जाएगी।
चलो आज ले मै होममिनिस्टर ऑडर करथ हवव ,अपन कुरिया ल रोज बाहरहु। ये लो धरो बहिरी।
लाओ भई ,कहाँ है झाड़ू ,किसको झाड़ू ,बताओ।

-वर्षा ठाकुर