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कविता गीत

चंदन हे मोर देस के माटी

चंदन हे मोर देस के माटी, पावन मोर गांव हे ।
बाजय जिंहा धरम के घंटी, तेखर छत्‍तीसगढ नाव हे ।।

होत बिहिनिया खेत जाये, नागर घर के नगरिहा ।
भूमर-भूमर बनिहारिन गावैं, करमा सुआ ददरिया ।
परत जिंहा हे सुरूज देव के, चकमिक पहिली पांव हे ।।

राम असन मर्यादा वाले, कृष्‍णा करम कबीर हे ।
गांधी सुभास आजाद भगतसिंग, आजादी के रनधीर हे ।
गंगा जमुना के निरमल पानी में, ममता मया के छांव हे ।।

अनधन-गियान गीत उपजइया, माटी कोयला पथरा ।
साधु संत मपसी के धरती, सुख शांति अंचरा ।
प्रेम सांति भाईचारा, हमर इही भाव हे ।।

बाजे जिंहा धरम के घंटी तेखर छत्‍तीसगढ नाव हे   !!

डॉ.मदन देवांगन
राजा परपोडी, दुर्ग