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कविता

छतीसगढ़ी भाखा

जागव जी जवान, जागव जी किसान।
छत्तीसगढ़ी भाखा ल, अपन मानव जी सियान।

माटी के मया ल माटी बर बोहाव,
छत्तीसगढ़ी भाखा ल, अपन करेजा म जनाव।

महतारी के भुइँया, अपन छत्तीसगढ़ ल जानव
आघु बढ़ा के येला,येखर मया ल पाव।

जागव जी जवान, जागव जी किसान।
अपन महतारी भाखा ल गोठियाव जी सियान।

छत्तीसगढ़ीं दाई के कोरा म, मया अब्बड़ पाव।
साँझ-बिहनिया दाई के सेवा म अपन जिनगी ल बनाव।

अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़।
प्रशिक्षण अधिकारी आई टी आई मगरलोड धमतरी।
मो.न.-7722906664,7987766416