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गोठ बात

छत्तीसगढ़िया मन कहां हें ?




छत्तीसगढ़ राज सोनहा भुईयां हिरा बरोबर चमकत हे ! मयारू मैना के बासई ह मन ल हर लेथे , देखते-देखत म गोंदा, मोंगरा अऊ दौना के रंग अऊ महकई हर अंगना-दुआर ल पबरित कर देथे ! गांव-गांव गली-गली म लोक कला के घुंघरू,मांदर अईसे बाजथे के हिरदे ल हुंक्कार के मुह म गीत के राजा ददरिया सऊंहात आ जाथे तिहां छत्तीसगढ़ के मया-मरम , सुख-दुख के कहानी ल एकक ठन पढ़-पढ़ के ओरिया देथे !

आज छत्तीसगढ़ ल अलग राज बने 16 बछर होगे हे 17 बछर होवईया हे ! बिकास के लहर छत्तीसगढ़ के कोंटा-कोंटा म चलत हे फेर कईसन बिकास कोनो ल समझ नई आत हे ! नवा-नवा सड़क, बिल्डिंग,गार्डन, पर्यटन के बिकास , बैपार के बिकास , रोजगार के बिकास, सिक्छा म बिकास, चिकित्सा म बिकास , फिलिम जगत, गीद-गोबिंद , नाचा-पेखन सगरी उदिम ह बाढ़त हे अऊ जुन्ना छत्तीसगढ़ ह नवा-नेवरिया छत्तीसगढ़ बनत हे ! जुन्ना छत्तीसगढ़ ल सिरजाय अऊ पाय बर हमर जम्में पुरखा मन अपन जिनगी अरपन कर दिन ! हमर पुरखा मन के करम के परताप आय के आज छत्तीसगढ़ राज सिरजीस फेर ओमन जेन सपना देखे रहिन का ओ सपना आज पुरा होवत हे ? हमला तो चिटकून घलो नई लागत हे ! जुन्ना छत्तीसगढ़ ल आज राजनिति अजगर ह अईंठत हे गुरमेट के अऊ हमर भासा, संसकिरिति, धरती, बैपार, सिक्छा , रोजगार ये सब ल एकक कर के लिले परत हावय, आज फेर जरूरत हे ओ पुरखा मनके हमला !

देखव ग छत्तीसगढ़िया मन बने टकटक ले निहार के तुमन जात अऊ धरम म बंट-बंट के एक दूसर ल छोटे बड़े बताके जुझत राहव ” तुंहर गरभ तुंहला खाय कोरे-कोर छत्तीसगढ़ लुटाय ” छत्तीसगढ़ के नस-नस ल सोकटा करत हें अब तो जागव ग , अब नही त कब जागहव ? लागथे छत्तीसगढ़ महतारी ह चिहूर पारके रोही तब जागहव ?
छत्तीसगढ़ के बिकास होवत हे ये बात तव समझ म आत हे फेर छत्तीसगढ़िया के बिकास नई होवत हे ये अचरूज बात लागत होही ! भाई हो गुनव, देखव, परखव तब तो समझ आही ग ?
चलव छत्तीसगढ़िया भाई मन करा गुने बर पद राख देथन तब जरूर गुनहीं ,परखहीं अऊ जुरीयाय के उदिम करहीं :-

१ कतका झन छत्तीसगढ़िया मन करा गैस ऐजेन्सी हावय ?
२ कतका झन छत्तीसगढ़िया मन सो पेट्रोल,डिजल के ठेंका हे ?
३ छत्तीसगढ़िया मन करा कार,बाईक सोरूम हवय का ग ?
४ छत्तीसगढ़िया मन करा राईस मिल हावय धुन नही ?
५ कतका झन छत्तीसगढ़िया मन के बड़े-बड़े मॉल म आफिस-दुकान हावय ?
६ बड़े-बड़े बिल्डिंग, नवा-नवा सड़क ये सब ल बनाय बर कतका झन छत्तीसगढ़िया मन ठेंका लेथव अऊ बड़े बिल्डर कै झन छत्तीसगढ़िया हवव ?
७ कोनो छत्तीसगढ़िया कपड़ा के थोक बिकरेता हें का ?
८ बड़े-बड़े कतको इसकूल, कालेज, बिस्वबिदयालय हावय इंकर मन के मालिक छत्तीसगढ़िया मन हें का ?
९ छत्तीसगढ़िया मन करा फाईव स्टार होटल हावय धुन नही ?
१० राजनिति म छत्तीसगढ़िया मन के कतका चलथे, धुन हर बात ल अपन पार्टी के मानथैं भले छत्तीसगढ़ के बुरा होवय चाही भला ?
११ छत्तीसगढ़ म हिंदी फिलिम के हिरो-हिरवईन,गायक-गायिका मन ल मुंहमांगे पईसा देके नेवततथैं अऊ इहां के कलाकार मन ल कतका मिलथे ?
१२ ऑऊट सोर्सिंग नाव के बेमारी ल तो सुनेच होहू ?
१३ छत्तीसगढ़िया मन करा बड़े-बड़े हसपिटल हावय का ?
१४ छत्तीसगढ़िया भाई हो तुंहर करा बड़े-बड़े कारखाना हावय का जी ?
१५ कतका झन छत्तीसगढ़िया मन कलेक्टर, कमिसनर जईसन आला अधिकारी के पद म हें ?
१६ छत्तीसगढ़िया मन सो छापाखाना अऊ बड़का अखबार , टीबी चैनल हवय का जेकर ले अपन दुख-पिरा,मांग, अपन कला ये सब ल छाप सकव देखा सकव बिना काट-छांट रोक टोक के ?
१७ सोना,चांदी,हिरा के बैपारी छत्तीसगढ़िया मन होहू ग ?




कतका ल ओरियावंवं ग इहां सड़क म रेंगबे त सड़क के तीर तखार म बिहारी मन के ठेला दिखथे , बजार हाट जाबे त सिंधी, बनिया,मरवाड़ी,पंजाबी मन के सोरूम, दुकान दिखथे ! जगा-जगा आफिस,भवन म जाबे त उत्तर परदेस अऊ बिहार के गार्ड दिखथैं ! छत्तीसगढ़ म कोंटा-कोंटा म राजिस्थान अऊ हरियाणा के मनखे मन जमीन ल लीज म लेके साग-भाजी, फल-फलहरी के खेती करत हें बड़ फायदा उठात हावयं अऊ हमर किसान मन खेती ल बेंचे परत हें ! बाहर के मनखे मन दारू के ठेंका चलाके इहां के मनखे ल नसेढ़िया बनात हें , हमर छत्तीसगढ़ के कतको देबी-देवता के मंदिर टुटत फुटत हे अऊ बाहिर राज ल आके मनखे मन इहां मंदिर बनात हें हमर मंदिर टुटथे त कोनो चिंव-चावं नई करयं ,बाहिर वाले मन के बनाय मंदिर टुटे ल करथे त आंदोलन होय ल धर लेथे ! छत्तीसगढ़ के महापुरूष मन ल बदनाम करथैं कोनो चिंव नई करयं मन म सोंचथैं जेकर जात के महापुरूष तेने जानय हमला का फेर ये नई गुनयं आज ओकर उपर आय हे काल हमरो उपर आही , कोनो सरकारी आफिस, पराईबेट आफिस जाबे त छत्तीसगढ़ी के नाव लेवईया नईहे छत्तीसगढ़ी म गोठिया देबे त तोरे उपर हास देहीं अईसन हमर हाल हे ! भूमि अधिग्रहन जईसन बिमारी बिकास के नाव म नेवतत हें जेकर ले छत्तीसगढ़िया किसान के जमीन ल अधिग्रहित करके बाहर के बैपारी ल कारखाना , कम्पनी बनाय बर जमीन देहीं ओ कम्पनी म बाहर के मनखे मन ल काम-बुता म भरहीं हमर मन के घर,खेत,खार सब चले जाही अऊ छत्तीसगढ़िया मन धारे-धार बोहाहीं इंकर कोनो थिरबाहं नईहे !

छत्तीसगढ़िया,छत्तीसगढ़ी अऊ छत्तीसगढ़ के बिकास अईसने होही कईके हमर पुरखा मन देखे रहिन का ? सब जगा बाहिर ले आय मनखे मन रपोट के बईठ गे हावयं अब पुछत हवं बता दव ग….छत्तीसगढ़िया मन कहां हें ? …

असकरन दास जोगी
गांव : डोंड़की ( बिल्हा, बिलासपुर )
मो.नं. 9770591174



2 replies on “छत्तीसगढ़िया मन कहां हें ?”

बढ़िया जोगी जी सही बात कहे हव

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