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कविता

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, गुरतुर बोली मीठ भाखा हे ।
कोन करिया कोन गोरिया, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ।
गाँव गवई के हमन रहइया, माटी के हावय घर अऊ कुरिया ।
बर पीपर हे तरिया नदिया, बाग बगीचा घन अमरइया ।
मन निरमल हे गंगा जइसे, सब ला मया करइया ।
धोती कुरता पटकू पहिरइया, चटनी बासी पेज खवइया ।
खुमरी ओढे चले नगरिहा, खेत खार म काम करइया ।
सोनहा जइसे अन्न उपजइया, सबके भूख मिटइया ।
तीजा पोरा देवारी मनइया, सुख दुख के संग देवइया ।
सुवा पंथी करमा ददरिया, छत्तीसगढ़ के संस्कृति बढ़िया ।
गरीब गुरबा के सेवा करइया, सबके चेत करइया ।
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ।

मालिक राम ध्रुव
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
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