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कविता

छत्तीसगढ़िया होटल

KUBERकवि – कुबेर

छत्तीसगढ राज म एक ठन,
छत्तीसगढ़िया होटल बनाना हे।
चहा के बदला ग्राहक मन ल,
पसिया-पेज पिलाना हे।

सेव के बदला ठेठरी-खुरमी,
इडली के बदला मुठिया-फरा,
दोसा के बदला चिला रोटी,
तुदूरी के बदला अंगाकर रोटी खवाना हे।

मंझनिया तात पेज, संग म अमारी भाजी,
रात म दार-भात अउ इड़हर के कड़ही,
बिहिनिया नास्‍ता म आमा के अथान संग,
दही बरा के बदला, दही-बासी खवाना हे।

कुर्सी के बदला मचोली, टेबल के बदला पिड़हा,
प्‍लेट के बदला बटकी, कप के बदला कटोरी,
बेयरा ल बस्‍तर के, बस्‍तरिहा पगड़ी पहिराना हे।

न कोई कपाट-बेड़ी, न कोई छेंका-फरिका,
छकत ले खाओ संगी, अउ जी ल जुड़ावव जी,
जनता के होटल, जनता के द्वारा, जनता बर
होटल के आगू अइसने साइन बोर्ड लगाना हे।
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कुबेर
भोड़िया, राजनांदगांव
मो. 9407685557
kubersinghsahu@gmail.com

9 replies on “छत्तीसगढ़िया होटल”

Dear Janghel
Jai-Johar
I am waiting for you in my Chhattisgariya Hotel. You are very-very warm welcome.Thank you for comment.

वर्मा जी ल कुबेर के जय जोहार,
हमर ये होटल ह 1998 म बन गे रिहिस हे,अब जा के वोकर उद्घाटन होइस हे, आप ल पसंद आइस,आपके कृपा हे।
जय जोहार
कुबेर

आपके ये होटल मा जउन मजा हे ओ मजा तो आज के पाश्‍चात्‍य संस्‍क़ति वाला होटल म नई मिलय ा

आद. सरला जी नमस्कार
हमर होटल म कोनो राचर-कपाट नइ हे, सब के खातिर खुले हे। आपके स्वागत हे।
कुबेर ़
मो. 94076 85557

राम राम कुबेर भैया, आपके साइन बोर्ड जोरदार गे । का सपना संजोय हव । वाह आपके रचना, वाह हमर छत्तीसगढ । जय हो

दिलीप साहू संगवारी सेवा सहकारी समिति कोडेवाsays:

जय राम कुबेर जी,
आपके रचना पढेंव आज देश अउ समाज ल आपके बनाय होटल के जरूरत हवे तभे हमर समाज के जम्‍मो मनखे मन के भुख ह भगाही

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