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कविता

छत्तीसगढ़ी भासा





छत्तीसगढ़ी भासा ल पढबो अऊ पढाबोन
हमर राज ल जुर मिलके, सबझन आघू बढाबोन ।
नोनी पढही बाबू पढही, पढही लइका के दाई ।
डोकरा पढही डोकरी पढही, पढही ममा दाई ।
इसकूल आफिस सबो जगा,छत्तीसगढ़ी में गोठियाबोन।
अपन भासा बोली ल, बोले बर कार लजाबोन ।
कतको देश विदेश में पढले, फेर छत्तीसगढ़ी ल नइ भुलावन ।
अपन रिती रिवाज ल संगी , कभू नइ गंवावन ।
काम काज के भासा घलो, छत्तीसगढ़ी ल बनाबोन ।
देश विदेश सबो जगा, एकर मान बढाबोन ।

रचना
महेन्द्र देवांगन “माटी”
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला — कबीरधाम (छ ग )
पिन – 491559
मो नं — 8602407353
Email – mahendradewanganmati@gmail.com



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