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कविता

छत्तीसगढ़ महिमा

रंग ले रंग जिनगानी
छत्तीसगड़ के
भाए अबड़ के
पानी बानी अउ कहानी
रंग ले रंग जिनगानी

बड़का बड़का हावय खदान
किसम किसम के होथे धान
तगड़ा तगड़ा हवय किसान
मेहनत मया हे जिंकर मितान
नोहय लबारी
नइए चिनहारी
भूख पियास बादर पानी

गहिरी गहिरी नरवा बोहाथे
उंचहा उचहा पहाड़ सोभाथे
हर्रा बहेरा तन सिरजाथे
नून चटनी संग बासी सुहाथे
तीजा तिहारे
बर बिहाव रे
बाजे बाजा आनी बानी

मंदिर मंदिर इतहास हवय
कन कन म एकर सुवास हवय
भगवान इहां बनवास सहय
रिसि मुनियन के सुॅंवास हवय
कतेक बखानौ
अतके तानौ
चटरू छोटका अग्यानी
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धर्मेन्द्र निर्मल
कुरूद भिलाईनगर जिला दुर्ग 490024

One reply on “छत्तीसगढ़ महिमा”

बढिहा लिखे हावस ग , धर्मेन्द्र । अपम भाखा ल पूजबो तभे बानी के वैभव ल पाबो ।

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