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गोठ बात

छत्तीसगढ़ी गोठियावव अऊ सिखोवव – बेरा के गोठ

ऐसो हमर परोसी ठेकादार पवन अपन टूरी अऊ टूरा ल 18 किमी दूरिहा सहर के अंगरेजी इस्कूल म दाखिला कराईस। ऊंखर लेगे बर बड़का मोटर (बस) इस्कूल ले आही कहिस।नवा कपड़ा, बूट, पुस्तक कापी, झोरा( बैग ) जम्मो जिनिस बर पईसा देय के इस्कूल ले बिसाईस हे। पवन के गोसाईन ह बतावत रहिस उहां पैईसच वाला धनीमानी मनखे , अधिकारी, मंतरी मन के लईका मन पढ़थे। रोजीना नवा नवा कलेवा जोर के भेजे बर कहे हे। इस्कूल म लईका मन अंगरेजीच म गोठियाही कहात रहिस। हमन तो ठेठ छत्तीगढ़िया आवन । कोन जनी कईसे पढ़ई चलही।पवन ठेकादार के कार डरावर नकुल के टूरी घलो पढ़े बर ऐसो गांव के इस्कूल जाही।ओकर टूरी बड़ चटरी।इस्कूल जाय के पहिलीच ओला सौ तक गिनती , अनार, आम, ए बी सी डी सबोच जानडरे हे,चटर चटर सुना देथे।नकुल बड़ गुमान करथे अपन बेटी ऊपर फेर अपन इस्थिति जानथे। नकुल एक दिन ईलाज करायबर अपन गोसाईन संग बड़का अस्पताल गय रहिस।उहां के बड़का डाक्टरिन ल अलवा जलवा टूटहा फूटहा छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियात सुन दूनो परानी हांस डरिस। डाक्टरिन पूछिस- काबर हांसथव। नकुल कहिस- तुंहर अलकरहा गोठ सुनके हांसी आ जाथे डाक्टरीन । डाक्टरिन कहिस- मैं बड़का सहर के अंगरेजी इस्कूल म पढ़े हंव।घर म कोनो छत्तीसगढ़ी नई बोलय।मोर गोसईया बड़का इंजीनियर हे, वहु बड़े सहर म पढ़े हे । छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियाय नई जानत रहिस। हमर बदली एती होईस तब मरीज मन हमेड़ी (हिंदी) नई जानय। अपन रोगराई ,पीरा छत्तीसगढ़ी म बतावय त ओला हमुमन समझबूझ नई सकन, ऊंखर ईलाज करे म दिक्कत होवय।तब हमर कम्पोटर ललित बीच म आके बुझावय।हमर गोसईया दऊरा जाथय उहां मजूर मिस्तीरी मन छत्तीसगढ़ीच गोठियाथे। कतको मन कामबुता म दिक्कत, तनखा पगार , मेट, मुंसी के बेवहार अऊ सिकायत बतावय। आधा समझाय आधा नई समझाय। दूसरईया घनी फेर ऊहीच गोठ। एक दिन हमन दूनो परानी किरया खायेन , कुछू उदीम करके पांच महिना म छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियाय बर सीखबो।हमन घर के बाहरे बटोरे बर माईलोगिन रखेन। ओखरे संग छत्तीसगढ़ी म गोठियांव। सरकारी गाड़ी के डरावल तो रहिस फेर घर के कार बर गांव ले डरावल बलायेन।अस्पताल ले छुटे पाछू बजार हाट होवत आवंव। जईसन बन सकय ,जादा ले जादा छत्तीसगढ़ी गोठियायबर मिले उहां जावंव। अभी चार महीना पूरे हावय।अतका गोठियायबर सीखेहंव। डाक्टरिन कहिस– आज कम्पूटर,मोबईल के बेरा बखत चलत हे,अंगरेजी इस्कूल म अपन लईका दाखिला करायबर मुठा मुठा पईसा फेंकत हे।फेर पढ़ लिख के काय करही? नऊकरी , बेपार, राजनीति, समाजसेवा ईहीच तो।नान्हे करमचारी होय कि बड़े अधिकारी कोनो परकार के नऊकरी करय, छत्तीसगढ़ी गोठियाय बर परही। सिंधी , मड़वारी, गुजराती , बिहारी, छत्तीसगढ़िया कोन्हो बेपारी मन बिना छत्तीसगढ़ी गोठियाय अपन धंधा नई कर सकय ।राजनीति करईया नेता मन सबले पहिली छत्तीसगढ़ीच गोठियाय बर सीखथे अऊ भोकवा जनता ल भरमाथे।आने परांत ले आय मनखे छत्तीसगढ़ी सीख के मंतरी संतरी बन गे। डाक्टरिन कहिस -आज कलेक्टर, तहसीलदार बने के परिच्छा म घलो छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़ी भाखा के सवाल पुछथे। तुहंर लईका अंगरेजी इस्कूल म पढ़के छत्तीसगढ़ी ल भुला जाही अऊ नऊकरी पायबर घलो पाछू हो जाही। कोनो भी परांत अऊ देस के पहिचान ऊंकर भाखा बिना नई होवय।हमर देस म परांत घलो भाखाच ले बने हे।जौन परांत म कमाय खाय बर जाबे , ऊहां के भाखा सीखे बर परथे।
हमर परांत के दुरभाग आय ईहां के रहईया अपन ल छत्तीसगढ़िया कथे फेर गोठियाय बर लजाथे। सरकारी आदेस के ठोसलगहा पालन दुसर परांत ले आय अधिकारी मन नई होवन दय।हमन ल ऐकरबर एक होके गोठियायबर परही।

हीरालाल गुरुजी”समय”
छुरा, गरियाबंद