Categories
गज़ल

छत्तीसगढ़ी गज़ल : पीरा संग मया होगे

अइसन मिलिस मया सँग पीरा,
पीरा सँग मया होगे.
पथरा ला पूजत-पूजत मा,
हिरदे मोर पथरा होगे.

महूँ सजाये रहेंव नजर मा
सीस महल के सपना ला ,
अइसन टूटिस सीस महल के
आँखी मोर अँधरा होगे.

सोना चाँदी रूपया पइसा
गाड़ी बंगला के आगू
मया पिरित अउ नाता रिस्ता
अब माटी – धुर्रा होगे.

किरिया खाके कहे रहे तयं
तोर संग जीना-मरना हे
किरिया तोड़े ,सँग ला छोड़े
आखिर तोला का होगे .

जिनगानी ब्यौपार नहीं ये
मया बिना कुछू सार नहीं
तोर बिना मनभाये- संगी
जिनगानी बिरथा होगे.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग
(छत्तीसगढ़)


अरूण कुमार निगम जी के ब्‍लॉग –

अरुण कुमार निगम (हिंदी )
SIYANI GOTH
mitanigoth
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

5 replies on “छत्तीसगढ़ी गज़ल : पीरा संग मया होगे”

अरूण भाई के ये गजल
दुनियादारी के देखावत हे कई रंग,
पढ़ के मोरो मन बड़ गदगद होगे ।

अरुण भाई ! बढिया गज़ल लिखे हावस ग । मज़ा आ गे ।

एक ठन कार्यक्रम म परोदिन सिमगा जाना हे तेकरे तैयारी करत करत तुंहरो ग़ज़ल मिल गे |

Comments are closed.