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कविता

जगमग जगमग दिप जलत हे

जगमग जगमग दिप जलत हे
मां के दरस मा प्यारे देखा
खाली पांव अब भगत चलत हे
पुजा आरती मां दुर्गा के
जगह जगह पंडाल सजत हे
भगत आज लगा लौ नारा
पिरा हमर मिट जाही पुरा
ईर्ष्या द्वेष काबर मन मा पले हे
जगमग जगमग दिप जले हे
रंग बिरंगा कपडा देखा
मां के दरस मा आंखि सेंका
भक्ति में मन आज रमे हे
भगतन मन के तांता लगे हे
उत्सव के करलव तइयारी
भक्तिमय आज हे दुनिया सारी
मां के चरण मा स्वर्ग बसे हे
जगह जगह पंडाल सजे हे
मां करथे सिंह सवारी
पुजा पाठ करलौ नरनारी
चुनरी ले अब मां दुर्गा सजत हे
पुजा आरती मां दुर्गा के
जगमग जगमग दिप जलत हे

कोमल यादव
मदनपुर खरसिया
9977562133
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