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फिलमी गोठ

जयंत साहू के गोठ बात : फिल्म सिनेमा एवार्ड बोहागे धारे-धार

छत्तीसगढ़ी सिनेमा म घलो अब पराबेट संस्था समूह डहर ले इनाम बांटे के प्रचलन सुरू होगे। बिते बखत पेपर म पढ़े बर मिलीस की छत्तीसगढ़ी सिने एवार्ड दे जाही। कोन कोन ह सम्मान के हकदार होही तेकर चुनई करे बर जुरी बने हे। जुरी म चुरी पहिनईया मन नही बल्कि पढ़े लिखे कलमकार मन हाबे। ये बात के गम पायेव त मन ल संतोश होइस की निर्णय सही-सही होही। काबर की सही निर्णायक के नइ रेहे ले इनाम ल अपने चिन पहिचान के आदमी ल देके परयास घलो रिथे। कभु कभु तो अइसे भी होथे की आयोजक के दबाव म निणर्य हो जथे। अब देखना हे कि ये एवार्ड ह जुरी के झलेरा म धारे धार बोहाथे या आयोजक के झलेरा म।
अब सज्जन आदमी के हैसियत ले काहवं त जुरी अउ आयोजक मन से गलत भी हो जही त उंकर कायच कर लेबो भइ अपन खुषी ले बाटत हे सही आदमी ल देवे चाहे करिया चोर ल देवेय आखिर अपने थइली झर्रा के देवथे। एवार्ड दे के पाछु सोच कुछू भी राहय फेर ओमन सिनेमा वाला कलाकार मनके मेहनत ल चिनहीस इही ल संहरावा। ईहा तो वोतको करइया नइये।
सुरू म षासन ह घलो इनाम बांट के सम्मान करे के बोहनी करे रिहीस। एक पइत लाहर लगा के हकर गे। कलाकार मन दुसरईया बरस फेर ओइसने आयोजन के अगोरा करत रिहीस। काबर ते ऊंकर मन के आगोरा के दिन पुरबे नइ करिस। अगोरत अगोरत जोजन परगे। सरकार करा चिज बस के खंगता नइये फेर काबर ए कोती धियान नइ देवथे तेला उही मन जाने। चलव कोनो होय धियान तो दिस अउ अपने थइली ल अलहोर के इनाम बांटे के परयास करिस।
निर्माता-निर्देषक संग कलाकार के मन म खुसी हमागे कि ओकर मेहनत के परछो दिखही। सुरवाती दौर म जब एको दू ठी फिलिम बनत रिहीस त लोगन मन बने मन करके देखत रिहीन। फिलिम ले आगु गाना के सीडी ह बजार म सुने बर मिल जवत रिहीस। कोनो कोनो निर्माता मन तो गाना के केसिट बेच के आधा पइसा वसूल डरे। अब वइसमन बखत नइ रइगे, फिल्मी गोठबात करइया मन बताथे कि निर्माता मन के लागत ह लेदे के निकलथे त कमई के बात तो दुरिहा हे। जब अतका नुकसान म रहे बाद भी ढर्रा ले फिलीम बनत हाबे त ओ निर्माता मन ह सम्मान के हकदार हे।
वो मन सिरिफ मनोरंजन के जरिया नइ बनावथे बल्कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा ल स्थापित करे म अपन योगदान देवथे। दर्षक मन के नजर म छत्तीसगढ़ी फिलीम ल रहना जरूरी हे तभे वो मन ह ये तनि लोरहकही। अभी तक दर्षक म बने रकम ले छत्तीसगढ़ी फिलीम देखे बर टाकीज कोती आवत नइये। तब अइसन म एवार्ड वाले मन निर्माता-निर्देषक अउ कलाकार के हौसला बढ़ाय के काम करत हे। जेन मन सिरतोन म सम्मान के लायक हे उही मन ल मिलही तव तो उंकर मन के परयास बर साधूवाद अउ कहू वो मन अपन अपन मन पसंद ल इनाम धरा दिही तब तो अइसन एवार्ड के कार्यक्रम नइ होतिस तिही बने।
छत्तीसगढ़ी सिनेमा एवार्ड के दिन जेन कलाकर ल अपन कलाकारी म अजम रिहीस तेन मन सम्मान पाय के आस धरे पहुचे रिहीस। कतकोन झन ल तो पक्का जानकारी रिहीस की इनाम म ओकरे नाम लिखाय हे। कतको मन देखेच के नाव लेके गे रिहीस। छत्तीसगढ़ी सिने एवार्ड देना कोनो छोटे मोटे काम नाहे। गजब बारिके ले देखे अऊ परखे बर परथे तब जाके निर्णय निकलथे। अब जेन मनखे ल मंजीरा धरे बर नइ आवे तेहा सर्व श्रेश्ठ संगीत निर्देषक के चुनाव कइसे करही। गीत के भाव, रस, छंद, सुर, ताल अउ मात्रा के गियान नइये तेन मनखे ल सबले अच्छा गीत के चुनाव करे बर किबे त भला कइसे फबही। गीत अउ संगीत ल तो वोकर जानकार मन ही बता सकथे कि कते ह बने हे अउ कते हा गिनहा। अइसे नही कि आंखी मंुद के कोनो भी एक ठन केसिट ल छू देबे अउ उही ल सबले अच्छा गीत संगीत हे किके फैसला सुना देबे।
अच्छा हे त का खातिर अच्छा हे अउ खराब हे त का खातिर खराब लागिस इहू बात के जवाब होना चाही। गाए बजाए के तो थोक बहुत साध सबे ल रिथे। अइसन साधे साध के सतनच्चा ल सुर ताल के पक्का नइ माने जा सके त उंकर निर्णय ल अच्छा कइसे माने जाही। अब अभिनेता अउ अभिनेत्री के विसय म गोठ निकालबो त फेर उही बात सामने आही कि अभिनय के बारिकी ल जानने वाला ही सबले बने ल बता सकथे। अब फाइटमास्टर के चुनाव करे बर कोनो जोक्कड़ ल थोरे रख देबे। रखी देबे त देखइया मन कही देखना संभु के नचकार टुरा ह खैरखा म कभु लउठी भांजे नइये अउ अखरा डाढ़ म ओसताजी करे बर भिड़े हे। केहे के मतलब ओ विधा के जानकार व्यक्ति ह सर्वश्रेश्ट के चुनाव करे त इनाम बर अगवइया ल खुषी होही अउ पिछवईया ल घलो अपन कमजोरी के पता चलही।
दू दरजन एवार्ड ल आधा दरजन जुरी ह निर्णय दे दिस ये हा जुरी मन बर एक उपलब्धी आय। एमा संस्था वाला ल घलो सोहलियत होइस होही काबर की अलग-अलग विधा बर अलग-अलग काहा ले निर्णायक खोजतिस। सभे भार ल उही जुरी मन ल बोहा दे गे रिहीस। चुन चुन के महानुभव मन ल जुरी चुने रिहीस ऊहू जुरी मन चुन चुन इनाम बाटिस। इनाम झोकइया मन अभी तक असमंजस म हे कि कोन फिलीम बर एवार्ड दिये गे हाबे।
कहइया के मुह ल थोरे धरे सकबे। इनाम देवइया ल गुनगान के गुनी मन से फैसला कराना चाही। छत्तीसगढ़ी फिल्म सिनेमा एवार्ड कोनो भी संस्था देवय थोकन अपन अउ थोकन ओकर महत्ता ल धियान राखे। काबर की इनाम ह अइसन हांसी दिल्लगी के चिज नोहे जेला एक बार देके फेर मांग लेबे। बल्कि इनाम से ही ओला सर्व श्रेश्ठ मान लिये जाथे। कोनो अपन खुषी ले इनाम बाटत हाबे त हम काबर हस्तक्षेप करबो फेर जेन ह एक कलाकार के काम के सही अउ बहुत सही के मुल्यांकन करत हाबे त वो मुल्यांकन करइया के मनः fस्थाती के मनन तो करे सकत हन। का वो सस्ंथा ह एवार्ड ल निस्पक्ष रूप ने दिये हे या वो जुरी म मुल्यांकन करे के काबलियत रिहीस। ये सब बात ल हमर संग कहु जम्मो कला के मर्मग्य अउ कलाकार मन मनन करही त हो सकथे अवइया साल के सिने एवार्ड धारे धार बोहाय के बजाय खुद अपन धरा म धार बनाए के परयास करही।
 
जयंत साहू
ग्राम-डुण्डा, पो. सेजबाहर,
रायपुर छ.ग. (492015)