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कविता

झगरा फेंकी डबरा

रोजेच के वोइच ,
हावय कांव कांव
जाओं ता छाँड़ के,
घर ला काहाँ जाँव
सास बोहो के झगरा,
दई ददा के झगरा,
भई भई के झगरा,
भई बहिनी के झगरा
दई बेटी के झगरा
ददा बेटा के झगरा
दई बेटा के झगरा
ददा बेटी के झगरा
कका काकी के झगरा
डौका डौकी के झगरा
बोबा बाई के झगरा
बहिनी बहिनी के झगरा
कका भतीजा के झगरा
बोबा नाती के झगरा
भई भउजी के झगरा
देरानी जेठानी के झगरा
मैंहर फूर बात कइथों
झन समझबे लबरा
फेंक अई सबो झगरा
जमो हामन डबरा
फेर रबो हामन सुखी
नी रिही कांव कांव
गांव जुआर फेर रिही
हामर घर के तो नांव
– सीताराम पटेल