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कविता

डोंगरी पहाड़ में

डोंगरी पहाड़ में ओ, अमरईया खार में।
दूनों नाच लेबो ओ.. करमा के डाँड़ में।।
डोंगरी पहाड़ में……..

आमा के पाना हा डोलत हावै ओ।
सुआ अउ मैना हा बोलत हावै ओ।।
ए बोलत हावै ओ…. रुखवा के आड़ में।
दूनों नाच लेबो ओ…. करमा के डाँड़ में।
डोंगरी पहाड़ में……….

मया के बिरुवा हा फूलत हावै गा।
तोर मोर भेद अब खुलत हावै गा।।
ए खुलत हावै गा……फुलवा के मार में।
दूनों नाच लेबो गा…..करमा के डाँड़ में।
डोंगरी पहाड़ में………

फुले हे परसा ए दे लाली लाली ओ।
आगी लगावै ए दे कोइली काली ओ।।
ए कोइली काली ओ…आमा के डार में।
दूनों नाच लेबो ओ…करमा के डाँड़ में।
डोंगरी पहाड़ में……….

बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
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