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कविता

तीजा जावत

तीजा जावत अपन बाई ल देख के
मोला मनेमन अड़बड़ हाँसी लागे
ईमान से महापरसाद आज
मोला अड़बड़ अलकरहा लागे
सुत उठ के तरिया ले
साबुन म नहा के आगे
मइके जाय के सुध मं
साबुन डब्बा ल भुलागे
लाटिया गुर डारे बरा मं
गहूं पिसान के लाड़ू बांधे
भात गलाये दरगोटनी म
पटुवा भाजी ल महीं मं रांधे
मुंड म डारे अंडी तेल
उल्टा कोकवा म मुंड़ कोरय
कान म फुल्ली, नाक म खिनवा
मांडी के जात ले लुगरा पहिरय
मटकत जावय अपन ददा संग
मोर पांव परे बर घलो भुलागे
तीजा जावत अपन बाई ल देख
मोला अड़बड़ रोवासी लागे।

टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’