Categories
कविता

तीजा पोरा

तीजा पोरा के दिन ह आगे , सबो बहिनी सकलावत हे।
भीतरी में खुसर के संगी , ठेठरी खुरमी बनावत हे।।

अब्बड़ दिन म मिले हन कहिके, हास हास के गोठियावत हे।
संगी साथी सबो झन,  अपन अपन किस्सा सुनावत हे।।

भाई बहिनी सबो मिलके , घुमे के प्लान बनावत हे।
पिक्चर देखे ला जाबो कहिके, लईका मन चिल्लावत हे।।

नवा नवा लुगरा ला , सबोझन लेवावत हे ।
हाँस हाँस के सबोझन,  एक दूसर ल देखावत हे।।

प्रिया देवांगन “प्रियू”
पंडरिया  (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़