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कविता

तैं ह आ जाबे मैना

तैं जाबे मैना
उड़त उड़त तैंह जाबे
मैंह कइसे आवौं ना, मैंह कइसे आवौना,
बिन पाँरवी मोर सुवना कइसे आवौं ना
मन के मया संगी तोला का बताववं ना
तैंह जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह जाबे ….

पुन्नी
के रात मैना चंदा के अँजोर
जुगुरजागर चमकत हे गाँव के गली खोर
सुरता आवत हे तोर अँचरा के छोर
तैंह जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह जाबे ….

पुन्नी
के अँजोर सुवा बैरी होगे ना
दूसर बैरी मोर पाँव के पैरी होगे ना
छन्नरछन्नर पैरी बाजय कइसे आवौं ना
मन के मया संगी तोला का बताववं ना ….

लहर
लहर पुरवाही झूमर गावै गाना
झिंगुर आभा मारै मोला, कोइला मारै ताना
मया मां तोर मैं बिसरायेवं अपन अऊ बिराना
तैंह जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह जाबे ….

मुकुन्‍द कौशल