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कविता

तोर दू दिन के जिनगानी हे

तोर दू दिन के जिनगानी हे,जादा झन इतराबे।

दाई के गरभ मा परे रहे,तब धेरी बेरी गिंगियाय।
तोर नाम ला जपहूं प्रभूजी,कहिके तंय गोहराय।
जनम धरे दाई ददा के,मंया मा तंय बँधाबे।

तोर दू दिन के…

लइका पन मा खेले कूदे,जुवानी मंया बिलमाये।
एको घड़ी सतसंग नइ करे,राम नाम नइ गाये।
आही बुढ़ापा मुड़ धर रोबे,अपन करम ठठाबे।

तोर दू दिन के…

धन दोगानी महल अटारी ,तोर संग नइ जाही।
बेटा बहू नाती नतुरा,सबो तोला तिरियाही।
रामके नाम जपत रहिबे,जीवन सफल बनाबे।

तोर दू दिन के…

छल कपट अऊ झूठ लबारी,मा दिन तोर पहागे।
का हाबे तोर करम कमाई,काला तंयहा बताबे।दान धरम कुछु करेच ऩइ हस,कइसे मुँहू लुकाबे।

तोर दू दिन के…

छुटही परान पिंजरा ले पंछी,बिन बताय उड़ जाही।
ये तन हा तोर माटी होगे,सबो तोला कोन्टाही।
अभी चेतजा अभी जाग जा,फेर जनम नइ पाबे।

तोर दू दिन के जिनगानी हे,जादा झन इतराबे।

केंवरा यदु..मीरा.



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